(अदिति खन्ना)
लंदन, 30 अप्रैल (भाषा) ब्रिटेन में रह रहे जाने-माने संस्कृत विद्वान और लंदन में भारतीय विद्या भवन केंद्र के कार्यकारी निदेशक डॉ. एम. एन. नंदकुमार को ‘यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन वर्ल्डवाइड’ द्वारा मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गया है।
नंदकुमार को मंगलवार को लंदन में विश्वविद्यालय के स्नातक समारोह में कुलपति प्रोफेसर वेंडी थॉमसन ने डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की।
उन्होंने इस सम्मान का श्रेय वर्षों से अपने कई प्रेरक अकादमिक सलाहकारों और भवन यूके के अध्यक्षों को दिया।
नंदकुमार ने अपने भाषण में कहा, ‘‘मुझे ब्रिटेन और भारत दोनों की कई उल्लेखनीय हस्तियों के साथ बातचीत करने का सौभाग्य मिला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यद्यपि यह सूची बहुत लंबी है, लेकिन मुझे सबसे अधिक संतुष्टि उन व्यक्तियों की संख्या से मिली है, जो पिछले 40 वर्षों में भवन के द्वार से गुजरे हैं और भारतीय शास्त्रीय कलाओं के प्रति अपने जुनून को जगाया है। ब्रिटेन के सांस्कृतिक ताने-बाने में भारत की कलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखना संतुष्टिदायक है।’’
प्रतिष्ठित विद्वान ने लंदन विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज’ (एसओएएस) में पीएचडी की तलाश में कर्नाटक के अपने गांव मट्टूर से ब्रिटेन तक की अपनी यात्रा पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘नवंबर 1977 में मेरे आगमन के बाद, मैं अपने गांव और भारत के लिए तरस गया, ब्रिटेन में अपने प्रवास को अस्थायी रूप से देखा, बस इतना ही कि मैं अपनी पीएचडी पूरी कर सकूं और कॉलेज लेक्चरर के रूप में अपनी इच्छित भूमिका में स्वदेश लौट सकूं। हालांकि, परिस्थितियां ऐसी बनने लगीं कि मुझे यहां 45 साल से ज्यादा समय तक रहना पड़ा।’’
नंदकुमार ने कहा, ‘‘मैंने भारतीय विद्या भवन में पढ़ाना और सहायता करना शुरू किया, जो उस समय ब्रिटेन में भारत की शास्त्रीय कलाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित एक नया संगठन था। संयोग से मैं एक ऐसे संगठन से जुड़ गया जिसका मिशन मेरी रुचियों से पूरी तरह मेल खाता था – भारत के संगीत, नृत्य, नाटक और साहित्य के प्रति मेरा प्रेम। बाकी, जैसा कि वे कहते हैं, इतिहास है।’’
भाषा संतोष नेत्रपाल
नेत्रपाल
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