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Monday, 16 September, 2024
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देश को फिर खड़ा करने की कोशिश, बांग्लादेश में छात्र कर रहे हैं बाढ़ से राहत कार्यों की अगुवाई

कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र सहायता पहुंचा रहे हैं, जबकि मेडिकल के छात्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में शिविर लगा रहे हैं. उनका कहना है कि ये प्रयास अंतरिम सरकार का समर्थन करने के लिए हैं.

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ढाका: बांग्लादेश में शेख हसीना के 15 सालों के शासन को समाप्त कर देने वाले छात्र आंदोलन के बाद वहां एक राजनीतिक परिवर्तन हो रहा है. छात्रों ने एक नया काम शुरू किया है – बाढ़ से राहत की कोशिशों का समन्वय करना.

भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ने पिछले दो हफ्तों में कम से कम 15 लोगों की जान ले ली है, जबकि कम से कम 4.8 मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं.

शुक्रवार को ढाका विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की तृतीय वर्ष की छात्रा रौनक जहान ने 18 घंटे से अधिक समय तक काम किया, टीमों के बीच समन्वय स्थापित करने और धन, राशन, कपड़े और चिकित्सा आपूर्ति का प्रबंधन करने के लिए काम किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में समय पर पहुँचें.

वह अकेली नहीं है. विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और विभागों से पूरा छात्र समुदाय इस संकट से निपटने के लिए एक साथ आया है. उन्होंने रोस्टर बनाए हैं और डोनेशन एकत्र कर रहे हैं. मेडिकल छात्र पहले ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा शिविर लगाने के लिए रवाना हो चुके हैं. छात्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ये प्रयास संकट के प्रबंधन में अंतरिम सरकार का समर्थन करने की पहल का हिस्सा हैं.

उन्हें लगता है कि यह उनकी जिम्मेदारी है.

ढाका विश्वविद्यालय के छात्र मिश्कात इमामुल-हक ने कहा, “हमने अपने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और तानाशाह को बाहर किया. अब इसे बनाना हमारा काम है. यह संकट का समय है और हमने अपने लोगों के लिए इस राहत कार्य में अधिकतम योगदान सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव संसाधन जुटाए हैं. हम इसके लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य है और छात्र एक बार फिर इसकी अगुआई कर रहे हैं,”

11 जिले- फेनी, कोमिला, नोआखली, लक्ष्मीपुर, ब्राह्मणबरिया, चटगांव, कॉक्स बाजार, खगराछारी, सिलहट, मौलवीबाजार और हबीगंज- बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, 887,629 परिवार अभी भी बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं. शुक्रवार को आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्रालय के सचिव मोहम्मद कमरुल हसन ने एक बयान में कहा कि अब तक 188,739 लोगों ने आश्रय केंद्रों में शरण ली है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को कुल 3.52 करोड़ बांग्लादेशी टका, 20,150 टन चावल और 15,000 पैकेट सूखा भोजन आवंटित किया गया है.

कमरुल ने यह भी स्वीकार किया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सेना, नौसेना, तटरक्षक बल, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश, अग्निशमन सेवा, स्थानीय पुलिस और छात्रों द्वारा बचाव अभियान चलाया जा रहा है.

‘अलग-अलग टीमें, रोस्टर’

ढाका विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही छात्रा अशरीफा खातून ने बताया कि छात्रों ने खुद को तीन टीमों में विभाजित किया है- बचाव, वितरण और प्रबंधन.

उन्होंने कहा, “प्रबंधन टीमें यह सुनिश्चित कर रही हैं कि सभी चीजें ढाका में ही इकट्ठी की जाएं. हमने पूरे शहर में डोनेशन के लिए बूथ स्थापित किए हैं, जिनमें से मुख्य बूथ ढाका विश्वविद्यालय परिसर में है. छात्र शहर भर में दान पेटियों के साथ जा रहे हैं, यहाँ तक कि पुराने इलाकों में भी धन इकट्ठा करने के लिए जा रहे हैं, और यह देखकर बहुत खुशी होती है कि लोग उदारता से डोनेट कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि दुकानदारों ने अपनी दुकानों से राशन डोनेट किया है, लोगों ने नकद राशि डोनेट की है, जिनके पास कम साधन हैं उन्होंने कपड़े दान किए हैं और कुछ मामलों में तो उन्होंने अपनी दिन भर की कमाई भी दान की है.

उन्होंने कहा, “हम सिर्फ़ छात्र हैं लेकिन हम अपनी क्षमता के अनुसार जो भी कर सकते हैं, इस उद्देश्य के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं. हम भोजन के ट्रक भेज रहे हैं, कुछ छात्रों को बाढ़ की स्थिति में बचाव दल में काम करने का भी अनुभव है और उन्हें ज़मीन पर इस्तेमाल किया जा रहा है.”

खातून ने बताया कि निजी विश्वविद्यालयों से भी अधिक छात्र लगातार इस अभियान से जुड़ रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी कनेक्ट हो रहे हैं.

उन्होंने कहा, “हम सोशल मीडिया पर सब कुछ पोस्ट कर रहे हैं और लोग हमसे जुड़ रहे हैं.” उन्होंने कहा, “इंजीनियर, मेडिकल के छात्र-सभी स्ट्रीम के छात्र मदद के लिए आगे आ रहे हैं.”

Students conduct relief work in Dhaka. | Ananya Bhardwaj | ThePrint
ढाका में सहायता कार्य में जुटे छात्र । अनन्या भारद्वाज/दिप्रिंट

काम पर लगे मेडिकल छात्र

शुक्रवार को मेडिकल छात्रों ने ढाका विश्वविद्यालय परिसर में एक बैठक की और योजना तैयार की.

दिप्रिंट से बात करते हुए चटगांव मेडिकल कॉलेज की डॉ. सुमैया शोइली ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के सभी मेडिकल कॉलेजों के छात्र एक साथ मिलकर मेडिकल टीमें बना रहे हैं जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर मेडिकल कैंप लगा सकती हैं और लोगों की सेवा कर सकती हैं.

उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि इन परिस्थितियों में जल जनित बहुत सी बीमारियाँ आम हैं. इसलिए, हम प्रभावित क्षेत्रों में आपूर्ति के साथ बहुत सी टीमें भेजेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि लोगों के लिए चिकित्सा शिविर लगाए जाएँ.”

उन्होंने कहा, “देश उथल-पुथल से गुज़र रहा है, इसलिए हम कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं.” शोइली ने कहा कि आपूर्ति के लिए धन छात्रों द्वारा एकत्र किया जा रहा है और इसका एक बड़ा हिस्सा डोनेशन के माध्यम से एकत्र किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से भी मदद मिल रही है.

ढाका के एक रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. मजहर-उल ने कहा कि डॉक्टर भी यह सुनिश्चित करने के लिए रोस्टर बना रहे हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा मदद ज़मीन पर पहुँचे.

उन्होंने कहा, “हमने रोस्टर बनाया है और हम राहत शिविरों में लोगों को तैनात करना जारी रखेंगे, जहाँ मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं. ऐसा ज़मीन पर ज़्यादा से ज़्यादा कवरेज सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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