नई दिल्ली: अमेरिका और पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के बीच बुधवार को वॉशिंगटन डी.सी. में हुई मुलाकात के बाद आतंकवाद-विरोधी साझेदारी और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने का निर्णय लिया है, पाकिस्तान सेना ने कहा है.
पाकिस्तान सेना की प्रेस नोट में कहा गया है, “राष्ट्रपति ट्रंप ने क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिए पाकिस्तान के निरंतर प्रयासों की सराहना की और दोनों देशों के बीच मजबूत आतंकवाद-विरोधी सहयोग की प्रशंसा की. दोनों पक्षों ने आतंकवाद-विरोधी क्षेत्र में सहयोग जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई.”
“संवाद की गहराई और सौहार्द को दर्शाते हुए,” यह बैठक एक घंटे की निर्धारित अवधि से दो घंटे तक चली.
पाक सेना ने यह भी कहा कि व्यापार, आर्थिक विकास, खनिज संसाधन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एनर्जी, क्रिप्टोकरेंसी और उभरती तकनीकों जैसे कई क्षेत्रों में “द्विपक्षीय सहयोग” पर भी चर्चा हुई.
पाक सेना ने कहा कि ट्रंप ने “दिर्घकालिक सामरिक संरेखण और साझा हितों पर आधारित पाकिस्तान के साथ पारस्परिक लाभकारी व्यापार साझेदारी में गहरी रुचि” व्यक्त की.
बैठक के दौरान, सेना प्रमुख मुनीर ने पाकिस्तान सरकार और जनता की तरफ़ से ट्रंप को हाल के क्षेत्रीय संकट में पाकिस्तान और भारत के बीच संघर्षविराम की सुविधा प्रदान करने में उनके रचनात्मक और परिणाम‑उन्मुख भूमिका के लिए धन्यवाद दिया. बयान में कहा गया है कि सीओएएस ने ट्रंप की ‘स्टेटमेनशिप’ की प्रशंसा की और ‘वैश्विक समुदाय के सामने आने वाली बहुआयामी चुनौतियों को समझने और उन पर काम करने की उनकी क्षमता को स्वीकार किया.’
यह मुलाकात कैबिनेट रूम में हुई और उसके बाद ओवल ऑफिस तक भी पहुंची. यह पहली बार था जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति सक्रिय पाकिस्तान के सेना प्रमुख—जो किसी राजनैतिक पद पर नहीं हैं—से औपचारिक रूप से मिले.
इस मुलाकात में विदेश मामलों के लिए विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकोफ और अमेरिकी विदेश-सचिव सीनेटर मार्को रूबियो भी शामिल थे. मुनीर, जिन्हें हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव के समय फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया था, अपने साथ पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आसिम मलिक को भी लेकर आए थे.
जटिल सुरक्षा साझेदारी
ट्रंप प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए पाकिस्तान के एफ‑16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के समर्थन में पाकिस्तान को 397 मिलियन डॉलर जारी करने को मंजूरी दी.
यह निर्णय इसलिए खास था क्योंकि जनवरी में पद संभालने के बाद ट्रंप ने सभी विदेशी सहायता पर 90 दिन की रोक लगाने का कार्यकारी आदेश जारी किया था.
रॉयटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान के लिए यह फंड ट्रंप प्रशासन द्वारा दिए गए 243 में से एक अपवाद के तहत है, जिसमें अब तक कुल 5.3 बिलियन डॉलर जारी किए जा चुके हैं. इनमें से 4.1 बिलियन डॉलर अमेरिकी विदेश विभाग से सैन्य और हथियारों के कार्यक्रमों के लिए जुड़े हुए हैं.
397 मिलियन डॉलर की यह राशि पिछले बाइडेन प्रशासन द्वारा सितंबर 2022 में एफ‑16 फ्लीट के रखरखाव के लिए मंजूर की गई 450 मिलियन डॉलर की राशि का एक निरंतरता है, जिसमें स्पष्ट शर्त थी कि विमान केवल आतंकवाद-निवारण के लिए इस्तेमाल होंगे, भारत के खिलाफ नहीं.
ट्रंप और मुनीर की व्हाइट हाउस की यह मुलाकात उस करीब दो दशक पुराने अमेरिकी-पाकिस्तानी आतंकवाद-रोधी साझेदारी की पुष्टि करती है, जो अक्सर मतभेदों से भरी रही है.
CENTCOM के कमांडर जनरल माइकल कुरिला ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान को “एक अद्भुत आतंकवाद-रोधी साझेदार” बताया, जो एक वरिष्ठ अमेरिकी सैन्य अधिकारी की ओर से दुर्लभ और सार्वजनिक मान्यता है.
पूर्व पेंटागन अधिकारी कश पटेल ने इस साल की शुरुआत में कनाडा से एक ISIS कार्यकर्ता को संयुक्त राज्य अमेरिका प्रत्यर्पित करने में पाकिस्तान के अहम भूमिका निभाने की भी पुष्टि की.
इन वार्ताओं में क्रिप्टोकरेंसी का शामिल किया जाना सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला पहलू रहा.
विश्लेषकों और अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि “क्रिप्टो-लिंक्ड प्रभाव नेटवर्क” और वॉशिंगटन में गैर-पारंपरिक लॉबिंग प्रयासों ने ट्रंप-मुनीर बैठक को औपचारिक कूटनीतिक चैनलों को पीछे छोड़कर साधने में मदद की. यह नई प्रवृत्ति दर्शाती है कि पाकिस्तान अमेरिकी नीतिकारों से, विशेषकर उभरती तकनीकी क्षेत्र में, किस तरह जुड़ना चाहता है.
क्षेत्रीय गतिशीलता
संवाद का एक अहम हिस्सा चल रहा इस्राइल-ईरान संघर्ष था. बताया गया है कि ट्रंप और मुनीर दोनों ने समाधान की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. ट्रंप ने पहले कहा था कि पाकिस्तान को ईरान की अच्छी समझ है — इस्लामाबाद, वॉशिंगटन डीसी में ईरान के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने यह भी कहा कि मुनीर “मुझसे सहमत हुए” कि तनाव को और बढ़ने से रोकना जरूरी है.
बैठक के बाद ट्रंप ने रिपोर्टर्स से कहा, “उन्हें ईरान की बहुत अच्छी जानकारी है, ज्यादातर लोगों से बेहतर… उनका रिश्ता इस्राइल से भी खराब नहीं है। वे दोनों को जानते हैं.” हालांकि, पाकिस्तान की सैन्य प्रेस विज्ञप्ति में इस विषय का कोई ज़िक्र नहीं किया गया.
एक प्रतीकात्मक संकेत के रूप में, मुनीर ने ट्रम्प को पाकिस्तान की आधिकारिक यात्रा पर आने का निमंत्रण दिया है, जो दोनों पक्षों की सहमति से सुविधाजनक तारीख पर होगी — जिसे पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने द्विपक्षीय संबंधों की “गर्माहट” के प्रतीक के रूप में बताया है.
पाकिस्तानी सरकार के अधिकारियों, जिनमें रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी शामिल हैं, ने इस बैठक को “पहले से निर्धारित” बताया और दोनों देशों के बीच “अभूतपूर्व गर्मजोशी” का उदाहरण कहा.
हालांकि, आलोचकों ने इस तरह की उच्च स्तरीय बैठक के पाकिस्तान में नागरिक सर्वोच्चता और लोकतांत्रिक मानदंडों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता जताई है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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