( ललित के झा )
वाशिंगटन, चार फरवरी (भाषा) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में यूक्रेन सीमा पर स्थिति को लेकर चर्चा में मतदान से अनुपस्थित रहने के कुछ दिन बाद अमेरिका के विदेश विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध अपनी विशेषताओं पर आधारित हैं और रूस के साथ जारी तनाव का इन पर असर नहीं पड़ा है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बृहस्पतिवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत के साथ हमारा रिश्ता अपनी खूबियों पर टिका है।’’ प्राइस से यह पूछा गया था कि क्या यूक्रेन संकट को लेकर रूस के साथ तनाव के कारण भारत के साथ अमेरिकी संबंधों पर असर पड़ा है।
इस सप्ताह दूसरी बार विदेश विभाग के प्रवक्ता ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर भारत के रुख से संबंधित सवालों के जवाब देने से परहेज किया। प्राइस ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने रुख पर चर्चा करने के लिए मैं इसे अपने भारतीय साझेदारों पर छोड़ देता हूं।’’
प्राइस ने बृहस्पतिवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘रूस के सैन्य जमावड़े और यूक्रेन के खिलाफ उसकी अकारण संभावित आक्रामकता के बारे में हमारी चिंताओं पर हम अपने भारतीय साझेदारों सहित दुनिया भर के दर्जनों देशों के साथ संपर्क में हैं।’’ उन्होंने कहा कि ये ऐसी बातचीत है जो अमेरिका विभिन्न स्तरों पर कर रहा है।
अनुमान के अनुसार रूस ने यूक्रेन के साथ सीमा के पास करीब 1,00,000 सैनिकों को भेजा है, जिसे लेकर पश्चिम के देशों ने कड़ी चेतावनी दी है और कहा है कि रूस आक्रमण करने का इरादा रखता है। रूस ने बार-बार इस बात से इनकार किया है कि वह यूक्रेन पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है।
हालांकि, रूस मांग कर रहा है कि नाटो यूक्रेन को कभी भी सैन्य गठबंधन में शामिल होने की अनुमति नहीं दे और रूसी सीमाओं के पास नाटो हथियारों की तैनाती को रोकने तथा पूर्वी यूरोप से अपनी सेना को वापस लेने का वादा करे। अमेरिका और नाटो ने रूस की मांगों को खारिज कर दिया है लेकिन रूस की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने और संकट को कम करने के लिए आगे बातचीत से इनकार नहीं किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने पहले एक अलग संदर्भ में कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का उसके आस पास के देशों से परे सुरक्षा वातावरण पर असर पड़ेगा। चाहे वह चीन हो या भारत अथवा दुनिया भर के देश, इसके प्रभाव दूरगामी होंगे और मुझे लगता है कि सभी इसे लेकर व्यापक समझ रखते हैं।’’
भारत सोमवार को यूक्रेन सीमा को लेकर स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चर्चा के लिए बैठक से पहले प्रक्रियात्मक वोट से अनुपस्थित रहा और रेखांकित किया कि ‘‘शांत और रचनात्मक’’ कूटनीति ‘‘समय की आवश्यकता’’ है और रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा हासिल करने के व्यापक हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाले ऐसे किसी भी कदम को टाला जा सकता है।
बैठक से पहले, रूस ने यह निर्धारित करने के लिए एक प्रक्रियात्मक वोट का आह्वान किया। अमेरिका के अनुरोध पर हुई बैठक को आगे बढ़ाने के लिए परिषद को नौ मतों की आवश्यकता थी। भारत, गैबॉन और केन्या वोट से दूर रहे, जबकि रूस और चीन ने इसके खिलाफ मतदान किया। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सहित परिषद के अन्य सभी सदस्यों ने बैठक के पक्ष में मतदान किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूएनएससी में कहा कि भारत, रूस और अमेरिका के बीच चल रही उच्च-स्तरीय सुरक्षा वार्ता के साथ-साथ पेरिस में नॉरमैंडी प्रारूप के तहत यूक्रेन से संबंधित घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखे है।
तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘भारत का हित एक ऐसा समाधान खोजने में है जो सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को तत्काल कम कर सके और इसका उद्देश्य क्षेत्र और उसके बाहर दीर्घकालिक शांति एवं स्थिरता हासिल करना है।’’ भारत ने कहा कि वह सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में भी है। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि इस मुद्दे को केवल राजनयिक बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है।’’
भाषा सुरभि पवनेश
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