ढाका, 16 दिसंबर (भाषा) बांग्लादेश के प्रधान सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने देश को इस दिन 1971 में मिली आजादी के 54 साल पूरे होने के अवसर पर कहा कि यह विजय दिवस और अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल ‘‘दुनिया की सबसे खराब निरंकुश सरकार’’ सत्ता से बाहर हो गई।
यूनुस ने विजय दिवस के मौके पर दिए भाषण में बांग्लादेश के संस्थापक नेता बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान का जिक्र नहीं किया।
साल 1971 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था, इसलिए दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तानी सेना पर भारतीय सेना की जीत से ही बांग्लादेश अस्तित्व में आया था।
यूनुस और बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने मुक्ति संग्राम में शहीद हुए जवानों को और राजधानी के बाहरी इलाके सावर स्थित राष्ट्रीय स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
यूनुस ने भाषण में कहा, ‘‘मैं उन लाखों शहीदों को याद करता हूं जिनमें असंख्य बच्चे, किशोर, युवा और बुजुर्ग शामिल हैं, जिनके बलिदान के कारण ही हमें आजादी मिल पाई।’’
उनके संबोधन में 1971 के राजनीतिक नेतृत्व और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता और बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान का कोई जिक्र नहीं था।
यूनुस ने कहा, ‘‘अपनी गलतियों के कारण हम अपनी उपलब्धियों को पूर्णता नहीं दे सके और हाल ही में एक राक्षसी निरंकुश सरकार ने देश पर कब्जा कर लिया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया की सबसे खराब निरंकुश सरकार (हसीना की अवामी लीग सरकार) को हटाने और व्यापक जनांदोलन के कारण उन्हें देश से भागने पर मजबूर करने से इस साल का विजय दिवस और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।’’
पड़ोसी देश में स्वतंत्रता के बाद से चली आ रही परंपरा से हटकर इस बार राजधानी ढाका में विजय दिवस परेड का आयोजन नहीं किया गया। मुक्ति संग्राम मामलों के सलाहकार फारूक-ए-आजम ने इस बारे में बताया कि सशस्त्र बलों की व्यस्तता के कारण इस बार परेड का आयोजन नहीं किया गया।
भाषा
प्रीति नरेश
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