तियानजिन (चीन), एक सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमला मानवता में विश्वास रखने वाले प्रत्येक राष्ट्र के लिए एक खुली चुनौती है और आतंकवाद पर ‘दोहरा मानदंड’ अस्वीकार्य है।
उन्होंने यह बात अमेरिका के ‘टैरिफ वॉर’ की पृष्ठभूमि में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शीर्ष नेताओं के एक समावेशी विश्व व्यवस्था बनाने के लिए एकत्र होने के दौरान कही।
हालांकि, एससीओ शिखर सम्मेलन का व्यापक लक्ष्य गहन सुरक्षा और आर्थिक संपूरकताएं सुनिश्चित करना था लेकिन जिस बात ने अधिक ध्यान आकर्षित किया वह था मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित सौहार्दपूर्ण तालमेल, जिसने तीनों देशों के बीच व्यापक समन्वय का संकेत दिया।
मोदी और पुतिन का एक-दूसरे का हाथ थामकर शी की ओर बढ़ते हुए और फिर तीनों का एक करीबी मित्र की तरह घेरा बनाकर बातचीत करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और कई अन्य वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में कहा कि आतंकवाद से लड़ना ‘‘मानवता के प्रति’’ एक कर्तव्य है।
पाकिस्तान और इसका समर्थन करने वालों को स्पष्ट संदेश देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह पूछना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन दिया जाना हमें कभी स्वीकार्य हो सकता है?’’
मोदी ने चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल (बीआरआई) का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा कि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी परियोजनाएँ विश्वास और अर्थ दोनों खो देती हैं।
भारत बीआरआई की आलोचना करता रहा है क्योंकि इसका एक हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।
हालाँकि, प्रधानमंत्री के संबोधन का मुख्य विषय आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयासों का आह्वान था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट रूप से और एक स्वर में कहना होगा: आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं। हमें मिलकर, हर रूप और अभिव्यक्ति में आतंकवाद का विरोध करना चाहिए। यह मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी देश, समाज या नागरिक स्वयं को आतंकवाद से ‘‘पूरी तरह सुरक्षित’’ नहीं मान सकता।
पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, जिसके तहत पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया गया था।
इस हमले के बाद चार दिन तक दोनों देशों के बीच भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत पिछले कई दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘अनेक माताओं ने अपनी संतानें खो दीं और अनेक बच्चे अनाथ हो गए। हाल में हमने पहलगाम में आतंकवाद का एक बेहद घृणित रूप देखा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर एक आघात था, बल्कि यह हर उस देश, हर उस व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती था जो मानवता में विश्वास रखता है।’’
मोदी ने पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ खड़े होने वाले मित्र देशों के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने समूह के प्रति भारत के दृष्टिकोण और नीति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए शंघाई सहयोग संगठन के संक्षित नाम ‘एससीओ’ का नया अर्थ प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘एससीओ के ‘एस’ का अर्थ है ‘सिक्योरिटी’ यानी सुरक्षा, ‘सी’ का अर्थ है ‘कनेक्टिविटी’ यानी संपर्क और ‘ओ’ का अर्थ है ‘ऑपर्चुनिटी’ यानी अवसर।’’
मोदी ने कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव हैं। हालांकि, आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद इस राह में बड़ी चुनौतियां बने हुए हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद न केवल व्यक्तिगत राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी देश, कोई भी समाज, कोई भी नागरिक खुद को इससे पूरी तरह सुरक्षित नहीं मान सकता। इसीलिए भारत ने लगातार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकता के महत्व पर जोर दिया है।’’
प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय विकास एवं प्रगति के लिए ‘कनेक्टिविटी’ (संपर्क) के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि संपर्क के हर प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। यह एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों में भी निहित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘संप्रभुता को दरकिनार करने वाली ‘कनेक्टिविटी’ विश्वास और अर्थ खो देती है।’’
प्रधानमंत्री ने एससीओ के अंतर्गत एक सभ्यता संवाद मंच के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा मंच हमें अपनी प्राचीन सभ्यताओं, कला, साहित्य और परंपराओं की समृद्धि को वैश्विक मंच पर साझा करने का अवसर प्रदान करेगा।’’
प्रधानमंत्री ने ‘ग्लोबल साउथ’ का विकास सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में सीमित रखना भावी पीढ़ियों के साथ घोर अन्याय है।
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अकसर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया तथा लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
भारत की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि देश ‘‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’’ (सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन) के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है।
मोदी ने कहा, ‘‘हम निरंतर व्यापक सुधारों पर काम कर रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग दोनों के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। मैं आप सभी को भारत की विकास यात्रा का हिस्सा बनने के लिए हार्दिक रूप से आमंत्रित करता हूँ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चाहे कोविड-19 महामारी हो या वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है।’’
अपने संबोधन में, चीनी राष्ट्रपति ने एक नयी वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक व्यवस्था के अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जिसमें ग्लोबल साउथ को प्राथमिकता दी गई।
उन्होंने कहा, ‘हम हमेशा अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय के पक्ष में खड़े हैं, समावेशिता की वकालत करते हैं…, इस प्रकार विश्व शांति और विकास के लिए एक सक्रिय शक्ति बनते हैं।’
उनकी टिप्पणी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार और टैरिफ नीतियों के अप्रत्यक्ष संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है।
शी ने कहा कि एससीओ दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है जिसका संयुक्त आर्थिक उत्पादन लगभग 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि एससीओ समान विचारधारा वाले साझेदारों को एक साथ लाता है जो ‘एक न्यायसंगत, बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को आकार देने’ के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह समूह ‘यूरेशिया में स्थिरता, सुरक्षा और शांतिपूर्ण विकास की एक नई प्रणाली के लिए राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक नींव रख रहा है – एक ऐसी प्रणाली जो पुराने यूरो केंदित और यूरो-अटलांटिक मॉडलों की जगह लेगी’।
भाषा शोभना सुभाष
सुभाष
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.