नई दिल्ली: पाकिस्तान के अगले मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) बनने वाले जस्टिस इज़ाज़ उल एहसान ने गुरुवार को अपना इस्तीफा दे दिया. पाकिस्तानी मीडिया ने इस बारे में जानकारी दी.
निवर्तमान काजी फ़ैज़ ईसा के रिटायरमेंट के बाद एहसान को अक्टूबर में पाकिस्तान के शीर्ष न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालना था. यह घटनाक्रम पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति सैय्यद मज़हर अली अकबर नकवी के खिलाफ कदाचार के आरोपों की जांच के बीच इस्तीफा देने के दो दिन बाद आया है.
पाकिस्तान के अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में होने वाले आम चुनावों के बीच, एहसान ने नकवी के खिलाफ चल रही न्यायिक जांच पर सवाल उठाए थे और इस घटनाक्रम से देश की शीर्ष अदालत में उथल-पुथल मच गई है.
एहसान सुप्रीम कोर्ट की उस पांच सदस्यीय पीठ का हिस्सा थे जिसने हाई-प्रोफाइल पनामागेट खुलासे के बाद 2017 में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेता नवाज़ शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य घोषित करने वाला फैसला सुनाया था.
2016 में एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया जांच ने ‘पनामा पेपर्स’ को — पनामा की कानूनी फर्म मोसैक फोंसेका से लीक हुए दस्तावेज़ के आधार पर — शरीफ परिवार और विदेशी कंपनियों के बीच कथित संबंध करार दिया, जिनके पास विदेशों में लक्जरी संपत्तियां थीं.
6 मई 2017 को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी के तत्वावधान में एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) गठित करने का आदेश दिया गया था.
डॉन की रिपोर्ट में बताया गया है, जेआईटी ने 60 दिनों की जांच के बाद एक गंभीर रिपोर्ट तैयार की, जिसमें कहा गया कि शरीफ परिवार के पास आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं अधिक संपत्ति है.
जेआईटी रिपोर्ट के परिणामस्वरूप पांच सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से शरीफ को पद संभालने के लिए अयोग्य माना और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया, साथ ही राजनीति से आजीवन प्रतिबंध लगाने का भी आदेश दिया.
इस सप्ताह की शुरुआत में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ पर आजीवन प्रतिबंध हटा दिया, जिससे उन्हें फिर से पद के लिए दौड़ने की इज़ाज़त मिल गई.
पीएमएल (एन) की सूचना सचिव मरियम औरंगजेब ने दोनों न्यायाधीशों के अपने पद से हटने पर सवाल उठाए हैं.
एक संवाददाता सम्मेलन में औरंगजेब ने आरोप लगाया कि दोनों न्यायाधीशों ने पिछले 6 साल में पाकिस्तान के लोगों के साथ “अन्याय” किया है.
‘जल्दबाजी में जांच’
पाकिस्तान के द नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को लिखे अपने इस्तीफे में नकवी ने कहा कि उनके लिए न्यायाधीश के रूप में काम करना “जारी रखना” असंभव है.
नकवी कथित तौर पर अपने संसाधनों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए न्यायिक जांच (सर्वोच्च न्यायिक परिषद के तहत) का सामना कर रहे हैं.
डॉन के अनुसार, मंगलवार को सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया.
पांच सदस्यीय एसजेसी के सदस्य न्यायमूर्ति एहसान ने 22 नवंबर 2023 को नकवी को नया कारण बताओ नोटिस जारी करने में परिषद के अन्य सदस्यों के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया था.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को एसजेसी सदस्यों को लिखे एक पत्र में एहसान ने “जल्दबाजी की कार्यवाही” के बारे में दुख जताया और कहा कि परिषद की कार्यवाही के दौरान बहस और चर्चा “अस्तित्वहीन” थी.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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