scorecardresearch
Wednesday, 13 November, 2024
होमविदेशसोशल मीडिया पर छाया रहता है त्वचा की देखभाल का मुद्दा

सोशल मीडिया पर छाया रहता है त्वचा की देखभाल का मुद्दा

Text Size:

(डैनियल सेबेस्टिया-सेज, रासायनिक इंजीनियरिंग के व्याख्याता, सरे विश्वविद्यालय; डैनियला कार्टा, भौतिक रसायन विज्ञान की व्याख्याता, सरे विश्वविद्यालय; और लियान लियू, रीडर, रसायन विज्ञान और रासायनिक इंजीनियरिंग स्कूल, सरे विश्वविद्यालय)

लंदन, नौ नवंबर (द कन्वरसेशन) त्वचा की देखभाल का मुद्दा सोशल मीडिया पर छाया रहता है। ऐसी अनगिनत पोस्ट और वीडियो हैं जो इस बारे में बात करते हैं कि अगर उपभोक्ताओं को अच्छी दिखने वाली, जवां और स्वस्थ त्वचा चाहिए तो उन्हें कौन से उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहिए।

लेकिन ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही कुछ जानकारी अनजाने में भ्रामक हो सकती है और इससे आपकी त्वचा को स्वस्थ बनाने के बजाय नुकसान पहुंचने का खतरा हो सकता है।

त्वचा संबंधी समस्या क्या है?

त्वचा की सबसे बाहरी परत ‘स्ट्रेटम कॉर्नियम’ वास्तविक त्वचा परत का निर्माण करती है। यह केराटिन से निर्मित मृत कोशिकाओं से बनी होती है। केराटिन वही प्रोटीन है जो नाखूनों और बालों में पाया जाता है। यह संरचना किसी भी संभावित हानिकारक अणु के लिए त्वचा की बाधा को पार कर शरीर में प्रवेश करना कठिन बना देती है।

आपकी त्वचा की सबसे बाहरी परत, जिसे आपकी त्वचा अवरोधक के रूप में जाना जाता है, आपके शरीर को पर्यावरणीय खतरों से बचाती है।

अगर त्वचा किसी भी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है तो यह नमी बनाए रखने में कम सक्षम होगी। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है और त्वचा संवेदनशील हो जाती है और त्वचा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचना आसान हो जाता है।

इसके परिणामस्वरूप त्वचा रुखी दिखने लगती है और इसकी चमक तथा कोमलता खत्म हो जाती है।

असंतुलित आहार, धूम्रपान, तनाव, अत्यधिक और असुरक्षित धूप में रहना और नींद की कमी से भी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।

कॉस्मेटिक उत्पादों में पाए जाने वाले कई पदार्थ अनजाने में त्वचा की परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर, डिटर्जेंट और एक्सफोलिएंट जैसे कठोर उत्पाद अगर ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल किए जाएं तो हमारी त्वचा को ढकने वाली एपिडर्मल परत को खत्म कर सकते हैं।

भौतिक एक्सफोलिएंट्स (जैसे फेस स्क्रब) के अत्यधिक इस्तेमाल से त्वचा की परत को नुकसान पहुंच सकता है।

एएचए (अल्फा-हाइड्रॉक्सी एसिड) एक्सफोलिएंट जैसे ग्लाइकोलिक, लैक्टिक और साइट्रिक एसिड, लिपिड मोर्टार को घोलकर काम करते हैं जिससे ये उत्पाद अतिरिक्त केराटिन कोशिकाओं को हटाने में सक्षम होते हैं।

यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि यदि किशोर सावधानी नहीं बरतते हैं तो उनकी त्वचा की परत को नुकसान पहुंचने का खतरा अधिक हो सकता है।

अच्छी खबर यह है कि क्षति होने के बाद त्वचा की परत अक्सर खुद ही ठीक हो जाती है – यदि क्षति मामूली हो तो अक्सर कुछ दिनों के भीतर ही ठीक हो जाती है।

पोषक आहार और शरीर में पानी की मात्रा बनाये रखना भी त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक होता है।

(द कन्वरसेशन)

देवेंद्र सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments