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Saturday, 21 December, 2024
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म्यांमार में फेसबुक पर अस्थायी रोक, UN महासचिव ने तख्तापलट ‘विफल’ करने के लिए मदद मांगी

एंतोनियो गुतेरेस ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट को ‘विफल’ करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद लेने का संकल्प जताया है, वहीं देश में फेसबुक पर पाबंदी लगा दी गई है.

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यंगून : म्यांमार की नई सैन्य सरकार ने देश में तख्तापलट के बाद सैन्य शासन के खिलाफ शुरू हुए प्रतिरोध के बीच फेसबुक पर अस्थायी रोक लगा दी है.

सोशल मीडिया मंच फेसबुक म्यांमार में काफी लोकप्रिय है और अपदस्थ सरकार अधिकतर घोषणाएं इस पर ही करती थी.

उपयोक्ताओं ने बताया कि बुधवार देर रात से उन्हें फेसबुक इस्तेमाल करने में परेशानी आने लगी थी.

मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी ‘टेलेनॉर म्यांमार’ ने एक बयान में पुष्टि की कि उन्हें संचार मंत्रालय से फेसबुक को अस्थायी रूप से बंद करने का निर्देश मिला है.

उसने कहा कि वह इसका पालन करेगा, हालांकि वह इस कदम के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला होने को लेकर भी चिंतित है.

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘म्यांमार में दूरसंचार प्रदाताओं को फेसबुक पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया गया है. हम प्राधिकारियों से सेवा बहाल करने का आग्रह करते हैं ताकि म्यांमार के लोग अपने परिवार तथा दोस्तों से सम्पर्क कर सकें और उनतक महत्वपूर्ण जानकारियां पहुंच सकें.’

म्यांमार में सोमवार को सेना ने तख्तापलट कर देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली है. स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची की पार्टी ने कहा है कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है.

सेना का कहना है कि आंग सान सू ची की निर्वाचित असैन्य सरकार को हटाने का एक कारण यह था कि वह कथित व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रही.

उसने घोषणा की है कि वह एक साल के लिए आपातकाल की स्थिति के तहत शासन करेगी और फिर चुनाव आयोजित करेगी जिसमें जीतने वाले सरकार का कार्यभार संभालेंगे.

वहीं न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट को ‘विफल’ करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद लेने का संकल्प जताया है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संकट से निपटने के लिए सुरक्षा परिषद् एकजुट नहीं हुआ है.

म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता पर नियंत्रण करने के बाद स्थिति पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की बैठक हुई.

गुतेरेस ने ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘दुर्भाग्य से इस संबंध में सुरक्षा परिषद् एकजुट नहीं हो सका और तख्तापलट को विफल बनाने की खातिर म्यांमार पर पर्याप्त दबाव बनाने के लिए हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रमुख देशों की मदद लेंगे.’

गुतेरेस ने कहा कि म्यांमार में नवंबर के चुनाव ‘शांतिपूर्ण संपन्न होने’ के बाद यह ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ है कि चुनाव परिणामों और जनाकांक्षा को खारिज कर दिया जाए.

म्यांमार की स्थिति पर सुरक्षा परिषद् ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है.

गुतेरेस ने साक्षात्कार में कहा, ‘सू ची पर अगर हम कोई आरोप लगा सकते हैं तो वह यह है कि वह सेना के काफी नजदीक थीं और उन्होंने रोहिंग्या के खिलाफ सैन्य अभियान को लेकर सेना का काफी बचाव किया जिससे काफी संख्या में वहां से पलायन हुआ.’

उन्होंने कहा कि सू ची ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में भी सेना का बचाव किया.

उन्होंने कहा, ‘इसलिए अगर हम उन पर कोई आरोप लगा सकते हैं तो वह यह है कि वह सेना के काफी निकट थीं. तख्तापलट पूरी तरह अस्वीकार्य है और मुझे उम्मीद है कि म्यांमार में एक बार फिर से लोकतंत्र आगे बढ़ेगा.’

उन्होंने कहा कि इसे हासिल करने के लिए सभी कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए और संवैधानिक व्यवस्था फिर से बहाल की जानी चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर एकजुट होगा.


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