scorecardresearch
बुधवार, 7 मई, 2025
होमविदेशउच्चतम न्यायालय ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं से अधिनिर्णय के लिए मुद्दे तय करने को कहा

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं से अधिनिर्णय के लिए मुद्दे तय करने को कहा

Text Size:

नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अधिनिर्णय के लिए बिंदु तय करे, जिसमें आरोपियों को गिरफ्तार करने एवं उनकी संपत्ति कुर्क करने के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकार को बरकरार रखा गया है।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष दलील दी कि समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई उस पीठ द्वारा उठाए गए दो विशिष्ट मुद्दों से आगे नहीं बढ़ाई जा सकती, जिसने अगस्त 2022 में याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले को वृहद पीठ को सौंपे जाने की जरूरत है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख निर्धारित की और कहा कि जरूरत पड़ने पर सात अगस्त को भी सुनवाई जारी रहेगी।

मेहता ने कहा कि अगस्त 2022 में समीक्षा याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार करने पर विचार करने वाली पीठ ने केवल दो पहलुओं पर नोटिस जारी किया था, पहला- अभियुक्तों को ईसीआईआर की प्रति की आपूर्ति और धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 24 के तहत साक्ष्य प्रदर्शित करने के जिम्मा हटाना।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हालांकि, अदालत ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में दोनों पहलुओं का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया और केंद्र ने भविष्य में किसी भी विवाद से बचने के लिए अगले दिन इस आशय का एक हलफनामा दायर किया।

मेहता ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने भी केंद्र के हलफनामे पर कोई विरोध नहीं किया है।

सिब्बल ने कहा कि अदालत के आदेश को सरकार के हलफनामे पर प्राथमिकता होगी।

दूसरी ओर, न्यायमूर्ति कांत ने याचिकाकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए मसौदा मुद्दों पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि सहायक वकील को ‘बेहतर होमवर्क’ करने की आवश्यकता है।

सिब्बल ने न्यायालय से अनुरोध किया कि मामले को सुनवाई की तिथि से पहले प्रक्रियात्मक पहलुओं के लिए सूचीबद्ध किया जाए, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने सुनवाई के बिंदुओं को तय करने के लिए 16 जुलाई की तारीख तय की।

हाल ही में शीर्ष न्यायालय ने समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की मौजूदा पीठ का पुनर्गठन किया।

जुलाई 2022 में शीर्ष न्यायालय ने पीएमएलए के तहत धनशोधन से संबंधित मामलों में शामिल लोगों की गिरफ्तारी और उसकी संपत्ति कुर्क करने के अधिकारों को बरकरार रखा था।

उसी वर्ष अगस्त में, शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की और कहा कि दो पहलुओं पर ‘प्रथम दृष्टया’ पुनर्विचार की आवश्यकता है।

भाषा सुरेश माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments