(क्रिस जेम्स, द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड)
क्वींसलैंड, पांच फरवरी (द कन्वरसेशन) पिछले सप्ताह के अंत में, अमेरिकी कंपनी बूम सुपरसोनिक ने अपने एक्सबी-1 सुपरसोनिक डेमोन्स्ट्रेटर विमान के साथ ध्वनि की गति से भी तेज उड़ान भरी। यह अब पहला पायलट वाला गैर-सैन्य विमान है जिसने 2003 में कॉनकॉर्ड के सेवा से हटने के बाद से ध्वनि अवरोध को तोड़ा है।
यह बूम के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में पहला कदम है, जिसके तहत 2029 तक सुपरसोनिक एयरलाइनर यात्रियों को ले जा सकेंगे।
लेकिन सुपरसोनिक यात्रा वास्तव में क्या है? प्रचार के बावजूद इसके अधिक प्रचलित न होने के कुछ कारण हैं।
सुपरसोनिक उड़ान क्या है?
‘मैक’ संख्या को विमान की गति को ध्वनि तरंगों की गति से विभाजित करके परिभाषित किया जाता है। ‘‘ध्वनि अवरोध को तोड़ने’’ का अर्थ है ध्वनि की गति से तेज उड़ान भरना, जिसमें मैक संख्या 1 से अधिक हो।
मैक संख्या एक महत्वपूर्ण अनुपात है: जब विमान उड़ता है, तो यह अपने सामने की हवा को चीरता है। ये विक्षोभ ध्वनि की गति से चलते हैं। सुपरसोनिक उड़ान में ये विक्षोभ मिलकर यान के चारों ओर ‘शॉक वेव’ बनाती हैं।
जब लोग कहते हैं कि आप लड़ाकू विमान की आवाज सुनने से पहले उसे देख सकते हैं, तो वे सुपरसोनिक उड़ान का उल्लेख कर रहे होते हैं: लड़ाकू विमान लगभग मैक 2 की गति से यात्रा कर सकते हैं।
लड़ाकू विमान से आने वाली आवाज इसकी ‘शॉक वेव’ में फंस जाती है; जब तक शॉक वेव जमीन पर आपकी स्थिति तक नहीं पहुंच जाती, तब तक आप विमान की आवाज नहीं सुन पाएंगे।
सुपरसोनिक यात्रा का आकर्षण:
दक्षता कारणों से, अधिकांश यात्री विमान ध्वनि की गति से थोड़ी धीमी रफ्तार, लगभग मैक 0.8 से उड़ते हैं। इसे सबसोनिक उड़ान कहते हैं।
बूम ओवरचर नामक एक एयरलाइनर बनाने की योजना पर काम कर रहा है जो मैक 1.7 की गति से उड़ सकता है। सुपरसोनिक तरीके से उड़ान भरने से उड़ान का समय काफी कम हो सकता है। कंपनी का दावा है कि ओवरचर पर न्यूयॉर्क से रोम की यात्रा में आठ घंटे के बजाय सिर्फ चार घंटे और 40 मिनट लगेंगे।
बूम इस बड़े लक्ष्य पर काम करने वाली एकमात्र कंपनी नहीं है। अमेरिकी कंपनी स्पाइक एयरोस्पेस भी एक सुपरसोनिक बिजनेस जेट विकसित कर रही है, जिसकी टैगलाइन है ‘‘डिलीवरिंग द वर्ल्ड इन हाफ द टाइम’’।
सुपरसोनिक यात्रा 20वीं सदी में मौजूद थी, लेकिन सीमित तरीके से। हालांकि, समय, दुर्भाग्य और भौतिकी के नियमों के कारण, यह जारी नहीं रही।
कॉनकॉर्ड याद है?
सुपरसोनिक एयरलाइनर के लिए डिजाइन का काम 20वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ, और 1970 के दशक तक हमारे पास सुपरसोनिक यात्री विमान था। रूसी तुपोलेव-144 था जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे और कॉनकॉर्ड नामक एक फ्रांसीसी-ब्रिटिश सुपरसोनिक एयरलाइनर था, जिसे 1976 से 2003 तक ब्रिटिश एयरवेज और एयर फ्रांस द्वारा संचालित किया गया था।
कॉनकॉर्ड में 128 यात्रियों की क्षमता थी और यह मैक 2 गति पर चलता था। यह नियमित रूप से लगभग तीन घंटे में लंदन से न्यूयॉर्क की यात्रा करता था। इसकी उड़ान महंगी थी, और इनसे मुख्य रूप से व्यवसायी और अमीर तथा प्रसिद्ध लोग यात्रा करते थे।
सुपरसोनिक यात्री उड़ान क्यों नहीं चल पाई?
कॉनकॉर्ड को 1960 के दशक में डिजाइन किया गया था, जब ऐसा लग रहा था कि सुपरसोनिक यात्री परिवहन अगली बड़ी चीज होने जा रही है। लेकिन बोइंग 747 ने 1970 में वाणिज्यिक सेवा में प्रवेश किया। इसके जैसे सस्ते, बड़े और दक्ष विमान ने कॉनकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
सुपरसोनिक गति से कुशलतापूर्वक उड़ान के लिए डिजाइन किया गया कॉनकॉर्ड उड़ान भरने और गति बढ़ाने के दौरान ईंधन बचाने के मामले में कुशल नहीं था। कॉनकॉर्ड की महंगी पड़ने वाली गैस की खपत वाली प्रकृति को लेकर इसके पूरे कार्यकाल में शिकायत रही।
प्रतिस्पर्धी रूसी एयरलाइनर, तुपोलेव टीयू-144 की 1973 की पेरिस एयर शो दुर्घटना ने भी सुपरसोनिक उड़ान सुरक्षा पर सार्वजनिक धारणा को बदल दिया, उस समय जब कई विमानन कंपनियां कॉनकॉर्ड खरीदने या न खरीदने पर विचार कर रही थीं।
सौ कॉनकॉर्ड बनाने की योजना थी, जिनमें से केवल 20 कॉनकॉर्ड का निर्माण किया गया। आज भी इस पर विवाद है कि क्या कॉनकॉर्ड ने कभी इसका संचालन करने वाली विमानन कंपनी को आर्थिक लाभ दिलाया।
सुपरसोनिक उड़ान के लिए शोर भी एक बड़ी वास्तविक समस्या है:
लड़ाकू विमान याद हैं? जब कोई विमान सुपरसोनिक गति से यात्रा करता है, तो इसकी शॉक वेव जमीन पर फैलती हैं, जिससे ‘सोनिक बूम’ नामक तेज विक्षोभ पैदा होता है। चरम स्थिति वाले मामलों में इससे खिड़कियों के कांच टूट सकते हैं और इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है।
साल 1970 के दशक की शुरुआत में, सोनिक बूम की चिंताओं के कारण अमेरिका की सरकार को अपनी जमीन पर सुपरसोनिक यात्री उड़ान के उतरने पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।
कॉनकॉर्ड के विमान भी उड़ान भरते समय बहुत शोर करते थे, क्योंकि इन्हें बहुत ज्यादा ताकत लगानी होती थी।
सुपरसोनिक यात्रा का भविष्य:
सुपरसोनिक यात्रा का भविष्य कॉनकॉर्ड के सामने आने वाली कुछ या सभी समस्याओं को हल करने पर निर्भर करता है।
नासा और लॉकहीड मार्टिन की क्वेस्ट परियोजना का उद्देश्य यह दिखाना है कि सोनिक बूम को प्रबंधकीय स्तरों तक कम किया जा सकता है।
वे अपने एक्स-59 सुपरसोनिक विमान को अमेरिकी शहरों के ऊपर उड़ाने और नागरिकों की प्रतिक्रियाओं का आकलन करने की योजना बना रहे हैं।
क्या बूम कॉनकॉर्ड से आगे निकल सकता है?
बूम सुपरसोनिक भूमि के ऊपर सुपरसोनिक तरीके से उड़ान भरने की योजना नहीं बना रहा है। उनकी योजना मैक 0.94 की गति से भूमि पर उड़ान भरने की है। उनका दावा है कि ऐसा करने से मानक यात्री विमानन कंपनियों की तुलना में 20 प्रतिशत तेजी से उड़ान भरी जा सकेगी।
वे यह भी दावा करते हैं कि उनके इंजन का डिजाइन यह सुनिश्चित करेगा कि ओवरचर उड़ान भरते समय आधुनिक सबसोनिक एयरलाइनर से ज्यादा शोर न करे। गैस की खपत के मामले में, वे उत्सर्जन को कम करने के लिए 100 प्रतिशत तक लंबे समय तक चलने वाले विमानन ईंधन का उपयोग करने की योजना बनाते हैं।
कॉनकॉर्ड को 1960 के दशक में उपलब्ध डिजाइन टूल का उपयोग करके एल्युमीनियम से बनाया गया था। आधुनिक डिजाइन विधियों और टाइटेनियम तथा कार्बन फाइबर जैसी आधुनिक एयरोस्पेस सामग्रियों से ओवरचर और इसी तरह के विमान का वजन कॉनकॉर्ड से बहुत कम होना चाहिए, जिससे दक्षता में सुधार होगा।
(द कन्वरसेशन) वैभव माधव
माधव
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