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Wednesday, 25 December, 2024
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बांग्लादेश में छात्रों ने ‘असहयोग-आंदोलन’ का किया आह्वान, प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की

शुक्रवार और शनिवार को देश भर में झड़पें हुईं, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 55 लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने जुलाई में हुई हिंसा के दौरान मारे गए 150 लोगों के लिए न्याय की मांग की.

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नई दिल्ली: हजारों बांग्लादेशी छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं, उनकी एक ही मांग है – प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार का इस्तीफा. नतीजतन, शुक्रवार और शनिवार को देश भर में झड़पें हुईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कम से कम 55 लोग घायल हो गए.

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गाजीपुर, चटगांव, सिलहट, बोगुरा, जमालपुर और फरीदपुर में झड़पें हुईं. द डेली स्टार के अनुसार, श्रीपुर में कानून प्रवर्तन और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के दौरान गाजीपुर में एक व्यक्ति की मौत हो गई और लगभग 10 अन्य लोग घायल हो गए.

बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी छात्रों को अपने निवास – ढाका में गोनो भवन – पर मिलने के लिए आमंत्रित किया और उन्होंने जुलाई के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार किए गए छात्रों को रिहा करने के लिए भी आदेश दिया.

द डेली स्टार ने हसीना के हवाले से कहा, “गोनो भवन के दरवाजे खुले हैं. मैं छात्र प्रदर्शनकारियों के साथ बैठना चाहती हूं और उनकी बात सुनना चाहती हूं. मैं कोई संघर्ष नहीं चाहती,”

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, छात्र विरोध के आयोजकों ने घोषणा की कि रविवार से, हत्याओं के विरोध में एक असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा और यह तब तक जारी रहेगा जब तक हसीना माफी नहीं मांग लेतीं और उनका मंत्रिमंडल इस्तीफा नहीं दे देता.

द डेली स्टार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को 15-सूत्री असहयोग आंदोलन की घोषणा की, जिसमें करों और बिलों का भुगतान न करना, सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को बंद करना, सभी शैक्षणिक संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद करना, सभी सरकारी बैठकों, लक्जरी दुकानों, होटलों और मॉल का बहिष्कार करना और सभी सेवारत अधिकारियों को अपने संबंधित छावनी के बाहर ड्यूटी न करने देना शामिल है.

विरोध प्रदर्शनों का यह नया दौर 15 जुलाई को देश में भड़की हिंसा के बाद आया है, जिसमें 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दिग्गजों के परिवारों के लिए आरक्षण को लेकर प्रदर्शनकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच झड़प हुई थी.

इस साल जून से ही दक्षिण एशियाई देश में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, जब उच्च न्यायालय ने 2018 के सरकारी आदेश के खिलाफ फैसला सुनाया था, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में प्रभावशाली के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत कोटा खत्म कर दिया गया था.

प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि इस फैसले से सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों को अनुचित लाभ होगा. हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभायी थी.

हिंसा में कम से कम 150 लोग मारे गए थे, कुछ हज़ार लोग घायल हुए और सरकार ने कम से कम 10,000 लोगों को गिरफ्तार किया. यह तब समाप्त हुआ जब बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने 21 जुलाई को विवादास्पद कोटा 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गए.

जुलाई के विरोध प्रदर्शनों के दौरान, सरकार ने कर्फ्यू, इंटरनेट बंद और देखते ही गोली मारने का आदेश दिया था. सड़कों पर व्यवस्था बहाल करने के लिए सेना को बुलाया गया. जुलाई में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद हसीना की सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पार्टी और उसकी छात्र शाखा पर प्रतिबंध लगा दिया था.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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