(योशिता सिंह)
न्यूयॉर्क, 15 अप्रैल (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डॉ. बी आर आम्बेडकर की 131वीं जयंती पर कहा कि उन्हें श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका लोकतंत्र और स्वतंत्रता को मजबूत करना है।
जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि बाबासाहेब के विचारों ने ऐसे समय में ‘‘स्पष्टता मुहैया कराई और कार्रवाई करने के लिए ‘‘दिशासूचक’’ की तरह काम किया , जब न केवल भारत, बल्कि दुनिया एक बार फिर लोकतंत्र के गुणों पर चर्चा कर रही है।
उन्होंने बृहस्पतिवार को बाबासाहेब की जयंती पर यहां भारत के महावाणिज्य दूतावास में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में कहा, ‘‘आप सभी की तरह, मैं बाबासाहेब आम्बेडकर जी को विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं और श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका लोकतंत्र एवं स्वतंत्रता को मजबूत करना है, क्योंकि उन्होंने इन्हें भारत में संस्थागत बनाने के लिए बहुत काम किया।’’
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता को मजबूत करना ऐसे समय पर और खास हो जाता है जब हम भारत की स्वतंत्रता के 75 साल – हमारी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।
जयशंकर ने वाणिज्य दूतावास में आयोजित कार्यक्रम में डॉ आम्बेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान निर्माता के रूप में डॉ. आम्बेडकर की विरासत समय बीतने के साथ और मूल्यवान बनती जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज डॉ. आम्बेडकर की सोच, डॉ. आम्बेडकर की आकांक्षाएं वह खाका हैं, जो देश की स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ रहे हमारे देश का मार्गदर्शन करेंगी।’’
जयशंकर वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के बाद बुधवार की शाम न्यूयॉर्क पहुंचे थे। इससे पहले जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने अमेरिकी समकक्ष क्रमश: एंटनी ब्लिंकन और लॉयड ऑस्टिन के साथ टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन डीसी गए थे।
जयशंकर ने न्यूयॉर्क स्थित श्री गुरु रविदास मंदिर और अपना पंजाब मीडिया ग्रुप की साझेदारी से वाणिज्य दूतावास में आयोजित स्मृति कार्यक्रम में प्रवासियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम यहां आम्बेडकर जयंती मनाने आए हैं, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि उनके विचार, उनकी सोच और संदेश लोगों की सेवा के लिए (प्रधानमंत्री नरेंद) मोदी द्वारा प्रतिदिन किए जाने वाले कार्यों को तय करते हैं, प्रभावित करते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि जब 45 करोड़ 10 लाख लोग ‘जन धन योजना’ के लाभार्थी हैं, जब 10 करोड़ लोग ‘उज्ज्वला योजना’ का लाभ ले रहे हैं, जब 80 करोड़ लोगों को ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ का लाभ मिल रहा है, लगभग 20 करोड़ परिवार ‘जल जीवन मिशन’ के लाभार्थी हैं और करोड़ों लड़कियां ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना से लाभान्वित हो रही हैं, तो ऐसे में ‘‘मुझे लगता है कि हमें आज इस बात को पहचानना चाहिए कि ‘ हमारे जीवन और हमारे कार्यक्रमों में आम्बेडकर की’ क्या केंद्रीय भूमिका है।’’
जयशंकर ने कहा कि न्याय के लिए और उत्पीड़न के खिलाफ आजीवन लड़ने वाले बाबासाहेब ने स्वतंत्रता को समानता, सामाजिक उद्धार एवं महिला सशक्तीकरण से जोड़ा और उन्होंने लोकतंत्र के वास्तविक अर्थ को आगे बढ़ाने के लिए रूढ़िवादी राजनीति से परे सोचा।
उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक भारत के निर्माण में बाबासाहेब के मौलिक योगदान के लिए हम हमेशा उनके ऋणी रहेंगे।’’
जयशंकर ने एक बेहतरीन छात्र के रूप में भी बाबासाहेब की उपलब्धियों को रेखांकित किया और कहा कि न्यूयॉर्क स्थित ‘कोलंबिया यूनिवर्सिटी’ में पढ़ने के दौरान बिताए समय ने न केवल एक राजनीतिक विचारक के रूप में, बल्कि एक समाज सुधारक के रूप में भी उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।
उन्होंने कहा कि डॉ. आम्बेडकर की ‘‘प्रासंगिकता सार्वभौमिक’’ है और उन सभी राष्ट्रों को उनके योगदान को स्वीकारना चाहिए, जो भेदभाव और अन्याय से निपटने के लिए एक निष्पक्ष समाज का निर्माण करना चाहते हैं।
जयशंकर ने कहा कि आम्बेडकर को मुख्य रूप से उनके राजनीतिक कार्यों और संवैधानिक विशेषज्ञता के लिए जाना जाता था, लेकिन वे गहरे आर्थिक विचारक होने के साथ ही स्वरोजगार और उद्यमिता के बड़े समर्थक थे। उन्होंने कहा कि आम्बेडकर का जीवन दया और करुणा, सामाजिक समरसता और सबके लिए न्याय का एक ज्वलंत उदाहरण है।
जयशंकर ने ट्वीट करके भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित आम्बेडकर जयंती कार्यक्रम में हिस्सा लेने की बात बताई। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने रेखांकित किया कि डॉ. बी आर आम्बेडकर की एक निष्पक्ष समाज के निर्माण में और भेदभाव एवं अन्याय के खिलाफ लड़ाई में सार्वभौमिक प्रासंगिकता है। मोदी सरकार के मुख्य सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम उनकी सोच एवं संदेश के प्रति एक श्रद्धांजलि हैं।’’
इससे पहले, जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘‘व्यापक चर्चा’’ की और यूक्रेन संघर्ष के दुनिया पर असर के साथ ही अफगानिस्तान तथा म्यांमा में स्थिति पर भी विचार साझा किए।
भाषा सिम्मी मनीषा
मनीषा
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