नई दिल्ली : ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में भारत की अध्यक्षता का कार्यकाल समापन के निकट पहुंचने के बीच, विकासशील देशों के इस संगठन के सदस्य देशों ने बुधवार को स्वीकार किया कि इस वर्ष संगठन के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई और इस साल की गतिविधियों ने निरंतरता, समेकन और आम सहमति के सिद्धांतों को मजबूत करके सहयोग को बढ़ाया है.
भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स शेरपाओं और सूस शेरपाओं की चौथी और अंतिम समापन बैठक के दौरान इसका उल्लेख किया गया था. भारत के ब्रिक्स शेरपा के रूप में बैठक की अध्यक्षता सचिव (कांसुलर, पासपोर्ट, वीजा और प्रवासी भारतीय मामलों) संजय भट्टाचार्य ने की थी.
ब्रिक्स में दुनिया के पांच सबसे बड़े विकासशील देश हैं, जो वैश्विक आबादी के 41 प्रतिशत, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 24 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार के 16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस बैठक में इस साल की गतिविधियों की समीक्षा की गई.
भारत ने अपनी अध्यक्षता में संगठन के लिए विषय चुना था, ‘ब्रिक्स 15: निरंतरता, समेकन और आम सहमति की खातिर अंतर-ब्रिक्स सहयोग.’ भारत ने अपनी अध्यक्षता के लिए प्राथमिकता वाले चार क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार की. इनमें बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार, आतंकवाद का मुकाबला, ‘एसडीजी’ प्राप्त करने के लिए डिजिटल और तकनीकी औजारों का उपयोग तथा लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना शामिल हैं.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस साल ब्रिक्स की करीब 150 बैठकें और समारोह हुए, जिनमें से 20 मंत्रिस्तरीय थे.
बयान में कहा गया कि बुधवार को हुई बैठक के दौरान ‘ब्रिक्स गैवेल और हैंडओवर रिपोर्ट’ चीन को सौंपी गई. अगले साल एक जनवरी से ब्रिक्स की अध्यक्षता चीन करेगा. चीन ने अपनी अध्यक्षता में ब्रिक्स की प्राथमिकताओं की भी जानकारी दी.
उसमें कहा गया कि ब्रिक्स देशों ने 2021 में भारत की अध्यक्षता की सराहना की.