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Friday, 27 December, 2024
होमविदेश‘अपने लिए खड़े हों’ : महिला की नस्ली टिप्पणी पर भारतवंशी परिवार ने कहा

‘अपने लिए खड़े हों’ : महिला की नस्ली टिप्पणी पर भारतवंशी परिवार ने कहा

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(योषिता सिंह)

न्यूयॉर्क, नौ दिसंबर (भाषा) भारतीय मूल का अमेरिकी परिवार उस महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने पर विचार कर रहा है जिसने एयरलाइन शटल बस में उन पर नस्ली टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा कि उनकी पीढ़ी उनके माता-पिता की पीढ़ी से भिन्न है और वे सिर झुकाकर चुप नहीं बैठेंगे।

यह घटना नवंबर में यूनाइटेड एयरलाइंस के शटल में तब घटी थी, जब 50 वर्षीय फोटोग्राफर परवेज तौफीक अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ मैक्सिको से लॉस एंजिलिस जा रहे थे।

तौफीक ने परिवार के साथ हुई घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया मंच पर साझा किया है। इसमें महिला उन्हें नस्लीय गाली देती हुई, अपशब्दों का इस्तेमाल करती हुई और अपमानजनक इशारे करती हुई दिखाई दे रही है। महिला कहती है, ‘‘आपका परिवार भारत से है, आपका कोई मान-सम्मान नहीं है। आपके पास कोई नियम नहीं है।’’

पेशे से फोटोग्राफर तौफीक ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए गए एक साक्षात्कार में उस दिन को याद किया जब बस में एक व्यक्ति को छोड़कर कोई अन्य परिवार के समर्थन में नहीं आया। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद था कि कोई भी नहीं था।’’

उन्होंने कहा, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर और उसके बाहर भी उन्हें और उनके परिवार को समर्थन मिल रहा है जिसके वे आभारी हैं।

तौफीक ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से, कुछ लोग होंगे जो नफरत फैलाना चाहते हैं, जो विभाजन फैलाना चाहते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि वास्तव में उनकी संख्या बहुत कम है और हम उनसे ज्यादा हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सोच यह है कि हमें उक्त महिला को अदालत में जवाबदेह ठहराना चाहिए। दुर्भाग्य से, यूनाइटेड फ्लाइट हमारी किसी भी तरह से मदद नहीं कर पायी।’’

तौफीक ने कहा कि महिला की ओर से कोई जवाबदेही या आत्मचिंतन की भावना नहीं दिखी।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम मुकदमा दर्ज कराने जा रहे हैं। हम इसे आगे बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। हमारे पास कानूनी लोग हैं जिनसे हमने सलाह ली है और हमें बताया गया है कि यह एक समझदारी भरा कदम होगा और इसे यूं ही खत्म नहीं होने देना चाहिए।’’

तौफीक ने कहा, ‘‘हमारी पीढ़ी मेरे माता-पिता की पीढ़ी से बहुत अलग है। मुझे लगता है कि मेरे माता-पिता के समय में, जब ऐसी चीजें होती थी तो वे अपना सिर झुका लेते थे, चुप रहते थे। मुझे लगता है कि वह समय खत्म हो गया है। यह हमारी पीढ़ी पर निर्भर करता है कि वह वास्तव में सुनिश्चित करे कि यह ऐसी चीज नहीं है जिसे आप बिना किसी परिणाम के कर सकते हैं।’’

भाषा धीरज मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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