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Thursday, 25 April, 2024
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‘भारत ने बड़े भाई की तरह हमारी मदद की’, श्रीलंका के मंत्री निमल सिल्वा ने कहा- संकट में साथ दिया

ढाका में आयोजित हिंद महासागर सम्मेलन के मौके पर दिप्रिंट को दिए विशेष इंटरव्यू में, श्रीलंका के बंदरगाह, शिपिंग और उड्डयन मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत की सुरक्षा को किसी से कोई खतरा न हो.

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नई दिल्ली: भारत को एक बड़ा भाई बताते हुए श्रीलंका के बंदरगाह, शिपिंग और उड्डयन मंत्री निमल सिरिपाला डी सिल्वा ने कहा कि पिछले साल श्रीलंका को वित्तीय संकट से निपटने में भारत ने एक ‘बिग ब्रदर’ की भूमिका निभाई हैं. दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भारत की सुरक्षा को किसी अन्य देश से खतरा न हो.

बांग्लादेश के ढाका में छठे हिंद महासागर सम्मेलन के मौके पर एक विशेष साक्षात्कार में डी सिल्वा ने कहा, “हम भारत की चिंताओं को समझते हैं. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत की सुरक्षा को किसी और [क्षेत्र में] से खतरा न हो.”

श्रीलंका के मंत्री की टिप्पणी भारत द्वारा कैश-स्ट्रैप्ड द्वीप देश के लिए $ 1 बिलियन क्रेडिट लाइन को एक वर्ष – मार्च 2024 तक बढ़ाए जाने के कुछ दिनों बाद आई है. यह भारत के $4 बिलियन के आपातकालीन सहायता पैकेज का हिस्सा था जो पिछले साल की शुरुआत में श्रीलंका को दिया गया था, जो मार्च में समाप्त होने वाली थी.

पिछले महीने, श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से $ 3 बिलियन की मदद प्राप्त की थी. चीन, भारत और जापान श्रीलंका के सबसे बड़े ऋणदाता हैं, चीन ने श्रीलंका को अपने ऋणों पर दो साल की मोहलत दी है.

श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबरने में भारत की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, मंत्री ने नई दिल्ली को ‘बिग ब्रदर’ के रूप में संदर्भित किया.

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डी सिल्वा ने कहा, “भारत हमारा बड़ा भाई है. उन्होंने वित्तीय संकट में हमारी बहुत मदद की है. उन्होंने उस समय हमारे वित्तीय संकट को दूर करने के लिए हमें 4 बिलियन डॉलर से अधिक दिए और भारत लगातार मदद कर रहा है और बदले में हम भी उनकी मदद कर रहे हैं.”

उन्होंने चीन द्वारा कथित “कर्ज में फंसाने” के बारे में भी बात की.

छठे हिंद महासागर सम्मेलन में 25 देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई है – ज्यादातर ऐसे देश जो हिंद महासागर क्षेत्र का हिस्सा हैं.

बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, सोमालिया, मालदीव, ओमान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के मंत्री, शिक्षाविद, पूर्व राजदूत, राजनीतिक विश्लेषक, जिन्होंने बदलती विश्व व्यवस्था, समुद्री सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन आदि पर चर्चा की.

जयशंकर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया

शुक्रवार शाम को अपने संबोधन के दौरान, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने चीन के कथित ‘कर्ज में फंसाने’ के बारे में बात की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों से आग्रह किया कि जब “अपारदर्शी उधार प्रथाओं” की बात आती है तो वे अतीत की गलतियों को न दोहराएं.

भारतीय विदेश मंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देने के लिए पूछे जाने पर, डी सिल्वा ने कहा कि अन्य देश सलाह दे सकते हैं लेकिन यह श्रीलंका पर निर्भर है कि वह अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करे.

उन्होंने कहा, “हम केवल अन्य देशों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं लेकिन हमें अपनी समस्याओं के लिए अपने देश में स्वदेशी समाधान की ढूंढ़ने की जरुरत हैं.”

श्रीलंका को अक्सर चीन की तथाकथित “ऋण जाल” कूटनीति के शिकार के रूप में उद्धृत किया जाता है. दक्षिणी श्रीलंका में स्थित हंबनटोटा बंदरगाह चीन द्वारा निर्मित और वित्त पोषित है. हालांकि, ऐसी चीनी परियोजनाओं को “वाइट एलीफैंट” भी कहा जाता है – एक महंगा निवेश जिसमें बदले में बहुत कम फायदा मिलता हैं.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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