कोलंबो, 25 जनवरी (भाषा) श्रीलंका की एक अदालत ने मंगलवार को उन 56 भारतीय मछुआरों को रिहा करने का आदेश दिया जिन्हें द्वीपीय देश के जल क्षेत्र में मछली पकड़ने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।
उत्तरी जाफना प्रायद्वीप की एक अदालत ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा दिसंबर में हिरासत में लिए गए मछुआरों को रिहा करने का आदेश दिया।
कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने एक ट्वीट में कहा, ‘यह जानकर प्रसन्नता हुई कि एक अदालत ने 56 भारतीय मछुआरों को रिहा करने का आदेश दिया है।’ वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, ‘‘रिहाई सुनिश्चित करने के लिए उच्चायुक्त गोपाल बागले और उनकी टीम के काम की सराहना करता हूं।’’
श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ ही भारतीय राजनयिक सूत्रों ने भी रिहाई की पुष्टि की और कहा कि मंगलवार के इस आदेश के बाद श्रीलंका में कोई भारतीय मछुआरा हिरासत में नहीं है। मछुआरों की रिहाई का अदालत का आदेश ऐसे समय आया है जब भारतीय अधिकारियों ने श्रीलंका से आर्थिक सहायता वार्ता की पृष्ठभूमि में उन्हें मानवीय आधार पर रिहा करने का आग्रह किया था।
भारत ने इसी महीने श्रीलंका को अपने सबसे खराब विदेशी मुद्रा संकट से निपटने में मदद के लिए आर्थिक राहत पैकेज देने की घोषणा की है।
इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे और विदेश मंत्री जयशंकर के बीच हुई बातचीत में भी मछुआरों का मुद्दा उठा था। भारत और श्रीलंका के संबंधों में मछुआरों का मुद्दा एक अड़चन बना रहा है। श्रीलंकाई नौसेना द्वारा पाक जलडमरूमध्य में भारतीय मछुआरों पर गोलीबारी करने और उनकी नौकाओं को जब्त कर लेने की कई कथित घटनाएं हुई हैं।
श्रीलंका और तमिलनाडु के बीच पाक जलडमरूमध्य पानी की एक संकरी पट्टी है जहां मछलियां बहुतायत में मिलती हैं और दोनों देशों के मछुआरे वहां मछली पकड़ते हैं।
भारतीय मछुआरों की रिहाई ऐसे दिन हुई है जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने केंद्र से श्रीलंका सरकार के साथ इस मुद्दे को सख्ती से उठाने और भारतीय मछुआरों की जब्त नौकाओं की नीलामी के फैसले पर असहमति जताने का आग्रह किया।
स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा कि श्रीलंकाई नौसेना द्वारा 2018 के बाद जब्त की गई 75 नौकाओं और अन्य उपकरणों को जल्द मुक्त कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने तमिलनाडु के मछुआरों की श्रीलंका द्वारा जब्त की गयी 105 नौकाओं की नीलामी के कदम पर गहरी निराशा जतायी।
स्टालिन ने कहा कि भारत मूकदर्शक नहीं बना रह सकता क्योंकि बार-बार भारतीय मछुआरों के अधिकारों को कुचला जाता है।
भाषा अविनाश नरेश
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