(तस्वीरों के साथ)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 18 अक्टूबर (भाषा) श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलक को उनके दूसरे उपन्यास ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए 2022 के बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
वर्ष 1992 में ‘द इंग्लिश पेशेंट’ के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले माइकल ओंडात्जे के बाद, करुणातिलक (47) साहित्यिक पुरस्कार के तौर पर 50,000 ग्रेट ब्रिटेन पाउंड (जीबीपी) की रकम जीतने वाले दूसरे श्रीलंकाई मूल के व्यक्ति बन गये। उन्हें सोमवार की रात लंदन में एक समारोह में पुरस्कृत किया गया।
‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ एक फोटोग्राफर माली अल्मेडा की कहानी है, जो 1990 में अपनी मौत के बाद स्वर्ग के वीजा कार्यालय की तरह प्रतीत होने वाली एक जगह पहुंचता है। वह यह नहीं जानता कि उसे किसने मारा। माली के पास उन लोगों से संपर्क करने के लिए सात चाँद हैं जिन्हें वह सबसे ज्यादा प्यार करता है। इसी दौरान वहां उसके हाथ गृहयुद्ध के अत्याचारों की तस्वीरों का एक जखीरा लगता है जो सामने आ जाएं तो देश को झकझोर कर रख देंगी।
करुणातिलक ने कहा, ‘‘मुझे आशा है कि वह दिन अब बहुत दूर नहीं रह गया है… श्रीलंका समझ गया है कि भ्रष्टाचार और जातिवाद तथा सांठगांठ के इन विचारों ने काम नहीं किया है और कभी भी काम नहीं करेंगे।’’
बुकर पुरस्कार 2022 की जूरी के अध्यक्ष नील मैकग्रेगर ने कहा, ‘‘जूरी ने ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ में जिस चीज की विशेष रूप से प्रशंसा की, वह था इसका, महत्वाकांक्षा का दायरा और इसके कथानक को पेश करने का तरीका।’’
स्वतंत्र प्रेस ‘सॉर्ट ऑफ बुक्स’ द्वारा प्रकाशित ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’, गृहयुद्ध से घिरे श्रीलंका की जानलेवा तबाही के बीच इसकी जांच में मृत्यु के बाद के जीवन की पड़ताल करती है।
श्रीलंका के गाले में 1975 में जन्मे और कोलंबो में पले-बढ़े करुणातिलक ने कहा कि श्रीलंका के लोग संकट के समय में भी हास-परिहास करने में माहिर होते हैं।
उनका पहला उपन्यास 2011 में आया था जिसे राष्ट्रमंडल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
लंदन में राउंडहाउस में आयोजित पुरस्कार समारोह में करुणातिलक और इस साल के अन्य चयनित लेखक शामिल रहे।
बुकर प्राइज फाउंडेशन के निदेशक गैबी वुड ने कहा, ‘‘इस साल बुकर पुरस्कार के निर्णायकों ने शानदार टीम बनाई है। उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लिखे गये 170 उपन्यास पढ़े।’’
कैमिला ने ब्रिटेन की महारानी का दर्जा मिलने के बाद अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में इस समारोह में हिस्सा लिया।
भाषा वैभव फाल्गुनी मनीषा
मनीषा
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