कोलंबो, आठ फरवरी (भाषा) श्रीलंका ने देश के आतंकवाद विरोधी कठोर कानून में प्रस्तावित संशोधनों का बचाव करते हुए मंगलवार को उसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा और सुरक्षा की दिशा में उठाया गया ‘‘सबसे प्रगतिशील कदम’’ बताया।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि आतंकवादी गतिविधियां निषेध कानून (पीटीए) में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयक वैधानिक कानून होगा जो लोगों को सुरक्षा प्रदान करेगा। सरकार की योजना इस संशोधन विधेयक को संसद में पेश कर कानून का रूप देने की है।
इस कानून को लागू हुए 43 साल हो गए हैं, ‘‘यह सबसे प्रगतिशील कदम होगा और कानून के दायरे में आने वाले लोगों को संविधान प्रदत मौलिक अधिकारों की सुरक्षा, उनकी बेहतरी और रक्षा में मददगार साबित होगा।’’
श्रीलंका का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब मंगलवार को मानवाधिकार मामलों पर जिनेवा में उसकी यूरोपीय संघ के साथ बैठक होनी है।
श्रीलंका की अदालत ने 2019 ईस्टर हमले से जुड़े होने के संदेह में 14 अप्रैल, 2020 को पीटीए के तहत गिरफ्तार मानवाधिकार वकील और कार्यकर्ता हेजाज हिजबुल्ला को सोमवार को जमानत दे दी। इस हमले में 11 भारतीयों सहित कुल 270 लोग मारे गए थे। हिजबुल्ला को बिना किसी आरोप के हिरासत में रखा गया था।
यूरोपीय संघ विवादित पीटीए में बदलाव करने का दबाव श्रीलंका पर बना रहा है। इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को बिना आरोप के 90 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है, साथ ही इसमें हिरासत अवधि को और बढ़ाने का प्रावधान भी है।
सरकार ने 27 जनवरी को गजट अधिसूचना के माध्यम से पीटीए में संशोधन की घोषणा की थी। अधिकारियों का कहना है कि इसका लक्ष्य इस विवादित कानून को ऐसे अन्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरुप बनाना है।
भाषा अर्पणा नरेश
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