(क्रिस्टोफर हाल्श, पारिस्थितिकीविद, बिंगहैमटन यूनिवर्सिटी, स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क; और एलिजा ग्राम्स, जैविक विज्ञान की सहायक प्रोफेसर, बिंगहैमटन यूनिवर्सिटी, स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क)
न्यूयॉर्क, 11 मई (द कन्वरसेशन) कीट-पतंग हमारे चारों ओर हैं- फुटपाथ पर चींटी, भिनभिनाती हुई मधुमक्खी, हवा में उड़ती हुई तितली-और वे हमारे अनुभव की दुनिया को आकार देते हैं। वे फूलों के परागण, कचरे को विघटित करने, कीटों को नियंत्रित करने और खाद्य श्रृंखलाओं में महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
मनुष्य कीटों पर कितना भी निर्भर क्यों न हो, हमारे कार्यों से दुनिया के कई हिस्सों में उनकी आबादी कम हो रही है। हाल में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि पिछले दो दशकों में अमेरिका ने अपनी 20 प्रतिशत से ज्यादा तितलियां खो दी हैं। अफसोस की बात है कि गिरावट की यह दर असामान्य नहीं है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि कीटों की आबादी हर साल दो प्रतिशत की दर से घट रही है।
ऐसा क्यों हो रहा है, यह समझने के लिए अंतरराष्ट्रीय शोध समूह ‘स्टेटस ऑफ इन्सेक्ट्स’ ने कीटों की कमी के कारणों पर 175 हालिया अध्ययनों की समीक्षा की। हमें सैकड़ों संभावित कारण मिले जो सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, जिनमें से लगभग सभी सीधे या परोक्ष रूप से मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
कीटों की कमी के कारण आपस में जुड़े हुए हैं
कीट-पतंगों की संख्या में कमी के कुछ मुख्य कारण हैं: गहन कृषि, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियां और प्राकृतिक वास का नुकसान। कुछ कारक दूसरों की तुलना में बड़े खतरे हैं, लेकिन ये सभी कीटों की संख्या में कमी लाने में भूमिका निभाते हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि कई कीट एक ही समय में इनमें से एक से अधिक जोखिमों का सामना करते हैं।
शहरी जोखिम
शहर के पार्क में किसी कीट पतंगे की कल्पना करें। शहर के विस्तार के साथ ही इसके प्राकृतिक वास को नुकसान होता है, लेकिन बगीचों से हटाए जाने वाले पौधों से भी इसके रहवास को खतरा हो सकता है। साथ ही, यह प्रदूषण के प्रभावों से पीड़ित होते है- शहरी क्षेत्रों में प्रकाश, वायु और ध्वनि प्रदूषण आम है।
प्रकाश प्रदूषण कीट पतंगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वे रात में कृत्रिम रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं, और उनके शिकारी भी। उदाहरण के लिए, मकड़ियों ने रोशनी वाले क्षेत्रों में शिकार करना सीख लिया है। जब रात में उड़ने वाले कीट-पतंगों की प्रजातियां रोशनी के आसपास बहुत समय बिताती हैं, तो वे बहुत अधिक ऊर्जा खर्च कर सकती हैं, जिससे पौधों के परागण जैसी अन्य गतिविधियों के लिए कम ऊर्जा बचती है।
कृषि भूमि और बागों पर जोखिम
गहन कृषि कीटों की कमी के सबसे चर्चित कारणों में से एक है। यह अन्य कारणों से भी काफी हद तक जुड़ा हुआ है।
कृषि क्षेत्रों में देशी मधुमक्खियों पर विचार करें। जैसे-जैसे कृषि का विस्तार होता है, उनके मूल निवास स्थान कम होते जाते हैं। कृषि परिदृश्य में रासायनिक प्रदूषण का उच्च स्तर भी होता है- विशेष रूप से कीटनाशक, कवकनाशक और उर्वरक। कीटनाशक कीटों के शरीर विज्ञान को बाधित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं और सीधे मधुमक्खियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रदूषित पानी कीड़ों को भी नुकसान पहुंचा सकता है
मनुष्य अक्सर मधुमक्खियों और तितलियों जैसे कीड़ों पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि वे अधिक दिखाई देते हैं, लेकिन कई कीड़े अपना अधिकांश जीवन पानी के नीचे बिताते हैं, जहां उन्हें अन्य खतरों का सामना करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए, ड्रैगनफ़्लाई जब किशोर होते हैं तो जलीय होते हैं। जीवन के इस चरण में खतरे कम गंभीर नहीं होते, बल्कि वयस्कों के सामने आने वाले खतरों से बिल्कुल अलग होते हैं। सफल संरक्षण में सभी जोखिमों पर विचार किया जाता है।
पृथ्वी पर कीट-पतंगों की जितनी प्रजातियां हैं, उतनी किसी भी अन्य पौधे या पशु समूह में नहीं हैं। वे लगभग हर जगह पाए जा सकते हैं। फिर भी लोगों का ध्यान ज्यादातर परागण करने वालों पर ही केंद्रित है। इससे अन्य कीट-पतंगों को मानवीय खतरों का सामना करना पड़ सकता है।
ड्रैगनफ़्लाई जैसे जलीय कीटों के लिए आर्द्रभूमि, झीलों और नदियों जैसे जल संसाधनों को संरक्षित और बहाल करना महत्वपूर्ण है। कई अन्य कीट अपना अधिकांश जीवन भूमिगत रूप से बिताते हैं। मिट्टी में रहने वाले कीट और मक्खियां नष्ट हो चुके पौधों की सामग्री को विघटित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करती हैं।
कीटों की मदद कैसे करें
कीटों की मदद करने का सबसे आसान तरीका है उच्च गुणवत्ता वाले रहवास उपलब्ध कराना।
इसमें विभिन्न प्रकार के देशी पौधों को बनाए रखना होगा जो कई शाकाहारी कीटों के लिए उनके पूरे जीवन में भोजन होते हैं। साथ ही, अन्य खतरों के संपर्क को सीमित करना भी महत्वपूर्ण है। रात में कृत्रिम रोशनी कम करने और कीटनाशकों के इस्तेमाल को कम करने जैसे उपाय मददगार हो सकते हैं।
कीटों की संख्या में कमी आने के कई कारण हैं, जिससे उनकी संख्या में वृद्धि एक बड़ी चुनौती बन गई है। लेकिन ऐसे कई बड़े और छोटे तरीके भी हैं जिनसे लोग, शहर और कंपनियां नुकसान को कम कर सकती हैं और इन महत्वपूर्ण जीवों को पनपने में मदद कर सकती हैं।
(द कन्वरसेशन) आशीष देवेंद्र
देवेंद्र
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