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मंगलवार, 6 मई, 2025
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सिंगापुर के राष्ट्रपति ने फिलैन्थ्रपी एशिया समिट में भारत के आकांक्षी जिला कार्यक्रम का उदाहरण दिया

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(गुरदीप सिंह)

सिंगापुर, छह मई (भाषा) सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षणमुगरत्नम ने विकासशील क्षेत्रों में लोगों को सशक्त बनाने का उदाहरण देते हुए भारत के ‘‘आकांक्षी जिला कार्यक्रम’’ का उल्लेख किया।

षणमुगरत्नम सोमवार को ‘फिलैन्थ्रपी एशिया समिट (पीएएस) 2025’ को संबोधित कर रहे थे।

‘प्राइमिंग एशिया फॉर गुड’ विषय पर आधारित यह शिखर सम्मेलन जलवायु, शिक्षा और स्वास्थ्य के परस्पर जुड़े क्षेत्रों में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के खातिर एशिया भर से समाधान, नवाचारों और कार्यों पर प्रकाश डालने के लिए विचारकों को एक मंच पर लाता है।

शिखर सम्मेलन पांच से सात मई तक आयोजित किया जा रहा है।

षणमुगरत्नम ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘नवाचार में संगठन भी शामिल है। अगर आप भारत को देखें तो आकांक्षी जिला कार्यक्रम एक सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है। भारत में सबसे अविकसित जिलों के लिए एक बेहतर नाम।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में पूरे भारत के 112 सबसे कम विकसित जिलों को तेजी से और प्रभावी ढंग से बदलने के उद्देश्य से इस पहल की शुरुआत की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि गेट्स फाउंडेशन ने इसे वित्तपोषित करने में पिरामल फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट्स के साथ मिलकर मदद की है।’’

उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम केंद्र के समर्थन से समुदाय को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्वास्थ्यकर्मी और डेटा प्रणाली विकसित करना के स्वामित्व देता है और यह कार्यक्रम विशेष रूप से मातृ स्वास्थ्य और शुरुआती वर्षों में बच्चे के स्वास्थ्य पर लक्षित है।

षणमुगरत्नम ने कहा कि उन्होंने कुछ जिलों का दौरा किया है और देखा है कि वे कैसे काम कर रहे हैं क्योंकि वे गांव के लोगों को जमीनी स्तर पर स्वामित्व देते हैं।

शिखर सम्मेलन में शामिल हुईं दिल्ली की श्रीति पांडे ने भी इस बात पर सहमति जताई कि इस कार्यक्रम ने गांवों में महिलाओं को सशक्त बनाया है। पांडे ने एक साल तक कार्यक्रम का बारीकी से अध्ययन किया है।

पांडे ने कहा कि उन्होंने इन जिलों में ऐसी महिलाओं को देखा है जो निश्चित रूप से सशक्त हुईं और क्लीनिक तथा आंगनबाड़ी संचालित करने जैसी परियोजनाओं में शामिल हैं।

उन्होंने सम्मेलन से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बहुत से फाउंडेशन और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) में इस योजना को परियोजनाओं को राशि उपलब्ध कराने के लिए अपनाया जा रहा है।’’

भाषा खारी वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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