( तस्वीर सहित )
सिंगापुर, चार अप्रैल (भाषा) भारतीय मूल की रंगोली कलाकार विजयलक्ष्मी मोहन को सिंगापुर के समुदाय और युवा पीढ़ी के बीच सांस्कृतिक विरासत में उनके कौशल और परंपराओं को बढ़ावा के लिए सम्मानित किया गया। विजयलक्ष्मी के अलावा चार अन्य को भी सम्मानित किया गया है।
विजयलक्ष्मी, सिंगापुर में ही रह रही हैं और उनके पास वहीं की नागरिकता है।
नेशनल हैरिटेज बोर्ड (एनएचबी) ने शुक्रवार को कहा कि नेशनल गैलरी सिंगापुर में संस्कृति, समुदाय और युवा मंत्री एडविन टोंग ने विजयलक्ष्मी तथा चार अन्य लोगों को एनएचबी के ‘द स्टूअर्ड इंटेंजिबल कल्चर हेरिटेज अवॉर्ड’ से सम्मानित किया।
विजयलक्ष्मी के अलावा, पुरस्कार पाने वाले चार लोगों में मलय ड्रम निर्माता मोहम्मद यजीज मोहम्मद हसन, पेरनकन शैली के आभूषण निर्माता थॉमिस क्वान, चीनी चाय की दुकान चलाने वाले पेक सिन चून और ट्योश्यू पेस्ट्री दुकान के संचालक थेई मोह चान शामिल हैं।
मूलरूप से तमिलनाडु के त्रिची में जन्मी एवं पली-बढ़ी 66 वर्षीय कलाकार विजयलक्ष्मी पांच साल की उम्र से ही, पांच हजार साल पुरानी भारतीय लोककला रंगोली बनाती आ रही हैं।
उन्होंने अपनी मां से यह कला सीखी जो हर सुबह अपने आंगन में रंगोली बनाती थीं।
‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ की खबर में विजयलक्ष्मी को यह कहते हुए उद्धृत किया गया, ‘‘दक्षिण भारत में, हम सफेद रंग से एक आकृति बनाते हैं जिसे कोलम कहा जाता है। हम गणितीय सिद्धांतों और ज्यामितीय डिजाइनों पर आधारित आकृतियां बनाते हैं।’’
विजयलक्ष्मी 1992 में सिंगापुर आ गईं और 2005 में वहां की नागरिक बन गईं।
उन्होंने 1993 में सिंगापुर में पहली बार रंगोली प्रतियोगिता में भाग लिया था और चावल के रंगीन पाउडर से भगवान गणेश की तस्वीर बनाई थी।
पुरानी बातों को याद कर हंसते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहली बार भाग ले रही थी और मुझे नहीं पता था कि इतनी तेज हवा चलेगी। निर्णायकों के आने से पहले ही मेरी बनाई आकृति का रंग तेज हवा में उड़ गया और मुझे अयोग्य घोषित कर दिया गया।’’
उन्होंने स्कूलों और विश्वविद्यालयों में रंगोली कार्यशालाएं आयोजित कीं और 2015 में अपने पति एन. मोहन के साथ मिलकर ‘सिंगा रंगोली’ नामक कंपनी बनाई।
भाषा खारी मनीषा
मनीषा
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