नयी दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को अफगानिस्तान के अपने समकक्ष मोहम्मद हनीफ अतमार से ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में मुलाकात की और इस दौरान अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की.
जयशंकर अतमार की मुलाकात को लेकर भारत की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन अफगानिस्तान ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा है कि वे ‘राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति, शांति प्रक्रिया, और विभिन्न क्षेत्रों में अफगानिस्तान के साथ भारत के सहयोग पर चर्चा करने के लिए मिले, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई और अफगानिस्तान और क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता की स्थापना शामिल है.
जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद और अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह की बैठकों में भाग लेने के लिए मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर दुशान्बे पहुंचे. बैठक के दौरान अमेरिकी बलों के अफगानिस्तान से वापस जाने के कारण तेजी से बिगड़ते सुरक्षा हालात पर चर्चा की जाएगी.
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘मेरे दुशान्बे दौरे की शुरुआत अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार से मुलाकात के साथ हुई। हालिया घटनाक्रम को लेकर उनकी अद्यतन जानकारी को सराहा. अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह की कल होने वाली बैठक को लेकर उत्साहित हूं.’
विज्ञप्ति के मुताबिक, मुलाकात के दौरान, अतमार ने अफगानिस्तान में राजनीतिक और सुरक्षा की स्थिति, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की हाल की वाशिंगटन यात्रा के नतीजे और अमेरिका के अफगानिस्तान को निरंतर समर्थन और सहयोग पर विस्तार से जानकारी दी गई.
विज्ञप्ति के अनुसार अतमार ने विदेशी लड़ाकों, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क की मिलीभगत से नागरिकों और अफगान रक्षा बलों के खिलाफ तालिबान के बढ़तों हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि इस साझा खतरे पर काबू पाना क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अहम है.
उसमें बताया गया है कि अतमार ने अफगान शांति प्रक्रिया पर क्षेत्रीय सहमति को मजबूत करने और पिछले दो दशकों की उपलब्धियों के संरक्षण में भारत की रचनात्मक भूमिका को रेखांकित किया.
विज्ञप्ति के मुताबिक, जयशंकर ने हिंसा के बढ़ने पर चिंता व्यक्त की और अफगानिस्तान में खूनखराबे को समाप्त करने की जरूरत पर बल दिया. उसमें कहा गया है कि भारतीय मंत्री ने अतमार को अफगानिस्तान में राजनीतिक समाधान हासिल करने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक सहमति को मजबूत करने में भारत के निरंतर सहयोग का आश्वासन दिया.
भारत ऐसी राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है जो अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-अधिकार वाली और अफगान-नियंत्रित हो.
गौरतलब है कि एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद और अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह की बैठकें महत्वपूर्ण है क्योंकि ये ऐसे समय में हो रही हैं, जब तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान के अधिकतर इलाकों को तेजी से अपने नियंत्रण में ले रहे हैं, जिसने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है.
भारत ने अफगान बलों और तालिबान लड़ाकों के बीच भीषण लड़ाई के मद्देनजर कंधार स्थित अपने वाणिज्य दूतावास से लगभग 50 राजनयिकों एवं सुरक्षा कर्मियों को एक सैन्य विमान के जरिए निकाला है.
सरकार द्वारा हालात पर बारीकी से नजर रखे जाने का जिक्र करते हुए भारतीय अधिकारियों ने कहा कि अफगानिस्तान के कंधार और मजार-ए-शरीफ स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास का संचालन जारी है.
इससे पहले दिन में भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई ने कहा कि कंधार स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास बंद नहीं हुआ है और स्थानीय कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘ राजनयिकों को वापस भारत लाने का अस्थायी कदम सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. शांतिपूर्ण, संप्रभु एवं स्थिर अफगानिस्तान को लेकर भारत की लंबे समय से सशक्त प्रतिबद्धता रही है.’
चीन और फ्रांस समेत कई अन्य देशों ने भी सुरक्षा कारणों के चलते अपने नागरिकों को अफगानिस्तान छोड़ने को कहा है. अफगानिस्तान में पिछले कुछ सप्ताह में कई आतंकी हमले हुए हैं. अमेरिकी बलों की अगस्त के अंत तक वापसी के चलते हमलों में तेजी देखी गई है जो करीब दो दशक से इस युद्ध प्रभावित देश में तैनात थे.