जेफरी विलियम नोफ, मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज वेरमोंट (यूएस), 13 अप्रैल (द कन्वरसेशन) 11 अप्रैल, 2022 को यूक्रेन से कुछ ऐसी खबरें सामने आई, जिनमें आरोप लगाया गया था कि रूस ने दक्षिणी शहर मारियुपोल में ड्रोन का इस्तेमाल करके एक अज्ञात रासायनिक पदार्थ गिराया हैं 12 अप्रैल तक इन रिपोर्टों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। लेकिन पेंटागन ने कहा है कि यह समाचार रूस की ‘‘यूक्रेन में आंसू गैस सहित दंगा नियंत्रण वाले पदार्थों को रासायनिक तत्वों के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने की मंशा’’ के बारे में अमेरिकी चिंता को दर्शाता है। एक रासायनिक हथियार कोई भी रसायन हो सकता है जिसका उपयोग लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है, जिसमें उन्हें घायल करना या मारना भी शामिल है। कई पदार्थों का उपयोग रासायनिक हथियारों के रूप में किया गया है। तंत्रिका एजेंट सबसे घातक होते हैं, क्योंकि उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचाने के लिए एक छोटी मात्रा की आवश्यकता होती है। एक विशेषज्ञ के रूप में, जिसने सीरिया के गृहयुद्ध में रासायनिक हथियारों के उपयोग का अध्ययन किया है, मैंने सोचा है कि रूस द्वारा पहली बार यूक्रेन पर हमला करने के बाद से रूस द्वारा रासायनिक हथियारों का उपयोग करने की संभावना कम है। रूस के पास उनका उपयोग करने के लिए बहुत कम राजनीतिक या सैन्य कारण है और इस तरह के हमले करने पर जोरदार मजबूत अंतरराष्ट्रीय फटकार और संभावित सैन्य परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन जैसा कि हाल की रिपोर्टों से संकेत मिलता है, कुछ परिस्थितियों में रूस द्वारा इसके इस्तेमाल की आशंका बनी हुई है। यह खास तौर से उस वक्त हो सकता है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यह लगने लगे कि एक प्रमुख मोर्चे पर गतिरोध को तोड़ने का यह एकमात्र तरीका है। सीरिया में रासायनिक हथियार सीरिया में चल रहा गृहयुद्ध नागरिकों पर व्यापक रासायनिक हथियारों के हमलों का सबसे हालिया उदाहरण प्रस्तुत करता है। 2012 में युद्ध शुरू होने के बाद से सीरिया में 300 से अधिक रासायनिक हमलों की खबरें आई हैं। संयुक्त राष्ट्र और रासायनिक हथियार निषेध संगठन की एक संयुक्त टीम ने कुछ बड़े हमलों की जांच की, और कई के लिए निर्णायक रूप से असद शासन को जिम्मेदार ठहराया। .
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के सहयोगी रूस ने इन हमलों के बावजूद सीरियाई सरकार का समर्थन करना जारी रखा। असद शासन ने अपने ही लोगों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया क्योंकि उसे डर था कि अगर वह युद्ध हार गया तो क्या होगा। अगर विद्रोही दलों ने उसे हरा दिया तो असद सत्ता खो देंगे। असद और उसके सहयोगियों को भी चिंता थी कि वे मारे जा सकते हैं। अगस्त 2012 में, राष्ट्रपति ओबामा ने सीरिया को रासायनिक हथियारों के उपयोग के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा था कि अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। 2012 के अंत तक, सीरियाई सेना द्वारा रासायनिक हमलों को अंजाम देने की खबरें सामने आने लगीं। अगस्त 2013 में सीरियाई बलों ने युद्ध का सबसे बड़ा रासायनिक हमला किया। उन्होंने दमिश्क के उपनगर घोउटा में तंत्रिका तंत्र को नाकारा कर देने वाले सरीन युक्त रॉकेट दागे, जिसमें बच्चों सहित अनुमानित 1,400 लोग मारे गए। इन हमलों के बाद रूस ने असद के लिए अपना समर्थन बढ़ा दिया। वैसे रूस ने 2013 में अमेरिका के साथ मिलकर असद को एक ऐसी संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने का काम किया, जो रासायनिक हथियार रखने और इसके इस्तेमाल दोनों को प्रतिबंधित करती है। पुतिन को डर था कि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो अमेरिका असद को सत्ता से हटाने के अभियान को तेज कर सकता है और ऐसा होने पर रूस को मध्य पूर्व में अपने सबसे करीबी सहयोगी को खोना पड़ सकता है। इस सौदे से 2016 की शुरुआत में 1,300 टन से अधिक सीरियाई रासायनिक पदार्थो का विनाश हुआ। इसने ओबामा प्रशासन को सीरिया में सैन्य कार्रवाई से परहेज करने के लिए भी राजी किया। इतना होने पर भी 2014 में, सीरिया ने क्लोरीन, जो घातक होती है, का उपयोग करके हमलों को फिर से शुरू किया। सीरिया बाद में भी कभी-कभार सरीन से हमले करता रहा। रूसी सेना ने खुद कभी भी रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन उन्होंने बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए -उसी तरह जैसे यूक्रेन के कई शहरों पर हमले किए गए – जिसने 2016 में सीरिया के शहर अलेप्पो के महत्वपूर्ण हिस्से को नष्ट कर दिया। राजनीतिक तर्क प्रथम विश्व युद्ध में लगभग सभी प्रमुख लड़ाकों द्वारा पहली बार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। विरोधी सेनाओं ने युद्ध के मैदान के संचालन के हिस्से के रूप में मस्टर्ड गैस, क्लोरीन और फॉसजीन का इस्तेमाल किया। रूस और रासायनिक हथियार माना जाता है कि रासायनिक हथियार संधि पर हस्ताक्षर करने के बावजूद रूस के पास रासायनिक हथियार हैं। रूस पर दो बार राजनीतिक हत्याओं के प्रयास में रासायनिक हथियारों का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है। 2018 में, रूस ने ब्रिटेन में रहने वाले एक पूर्व रूसी डबल एजेंट, सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी को नोविचोक जहर दिया, यह एक तंत्रिका एजेंट है, जिसका निर्माण शीत युद्ध के अंतिम वर्षों में सोवियत संघ द्वारा किया गया था। स्क्रिपल बच गए, लेकिन दो अन्य लोग जो गलती से नोविचोक के संपर्क में आए थे, उनकी मृत्यु हो गई। 2020 में रूस ने विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी को नोविचोक जहर देने का प्रयास भी किया था। नवलनी को मरणासन्न अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन वह अंततः ठीक हो गया। रूस ने कभी भी नोविचोक रखने की बात स्वीकार नहीं की है। लेकिन हत्या के दो प्रयासों से पता चलता है कि रूस के पास संभवतः रासायनिक हथियार कार्यक्रम वाले तत्व मौजूद हैं। ऐसे अन्य उदाहरण भी है, जिसमें रूस के कानून प्रवर्तन कार्यों में रसायनों का उपयोग करने की जानकारी मिलती है। अक्टूबर 2002 में, चेचेन आतंकवादियों द्वारा मॉस्को थिएटर में 900 से अधिक लोगों को बंधक बनाए जाने के बाद, रूसी सुरक्षा सेवाओं ने थिएटर में गैस भर दी। गैस की वजह से 100 से अधिक बंधकों की मौत हो गई। रूस ने कभी भी उस गैस का खुलासा नहीं किया जिसका उसने इस्तेमाल किया था, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह ओपिओइड फेंटेनाइल का एक रूप था। यूक्रेन के लिए निहितार्थ यह स्पष्ट है कि रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल से पुतिन को कोई नैतिक समस्या नहीं होगी। लेकिन फिलहाल, रूस को लगता है कि उन्हें इस्तेमाल करने की कोई जरूरत नहीं है। असद शासन को प्रेरित करने वाली स्थितियां – पारंपरिक ताकतों की कमी और उखाड़कर फेंके जाने का डर – यूक्रेन में रूस की स्थिति पर लागू नहीं होती हैं। यद्यपि रूसी सेना यूक्रेन में बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को गंवा रही है, लेकिन रूस के पास अभी भी पारंपरिक स्तर पर लड़ाई जारी रखने की सैन्य क्षमता है। और चूंकि युद्ध रूस के अंदर नहीं हो रहा है, इसलिए पुतिन को यूक्रेन के हाथों अपनी सत्ता के जाने का भी कोई खतरा नहीं है। नागरिकों को आतंकित करने की रूस की क्षमता – रासायनिक हथियारों के उपयोग का एक प्रमुख लक्ष्य – भी सीमित हो सकता है। एक रासायनिक हमले का नागरिकों के मनोबल को गिराने का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी नहीं हो सकता है। ऐसा लगता है कि पुतिन ने यूक्रेन के नागरिकों के धैर्य का अंदाजा लगाने में गलती की है। भले ही रूस ने उनके खिलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया हो, लेकिन यूक्रेनियन लड़ाई जारी रखना चाहेंगे। यह स्थिति बदल सकती है यदि रूसी सेना निर्णायक हार के कगार पर हो। फिर, हताशा पुतिन को रासायनिक विकल्प पर विचार करने के लिए प्रेरित कर सकती है। यद्यपि रासायनिक हथियारों के उपयोग और विशेष रूप से बड़े पैमाने पर इसके उपयोग का जोखिम कम है, लेकिन इसकी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। द कन्वरसेशन एकता एकताएकता
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