नई दिल्ली: रूस यूक्रेन के कुछ हिस्सों में जनमत संग्रह करा रहा है कि वे रूस में रहना चाहते हैं या नहीं. रूस की न्यूज एजेंसी आरटी से यह जानकारी सामने आई है.
यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इस जनमत संग्रह की निंदा की है. इसे रूस द्वारा कब्जा करने की कोशिश करार दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कहे अनुसार डोनबास क्षेत्र में जनमत संग्रह के लिए 23 सितंबर से वोटिंग शुरू हो चुकी है. डोनेट्स्क, खोरासन, लुहांस्क और झपुर्झा क्षेत्र के निवासियों को अब ‘हां’ या ‘नहीं’ के रूप में अपना वोट डालना है. इस वोटिंग के जरिए वो रूसी संघ में शामिल होने के लिए अपनी सहमति प्रदान करेंगे.
वोटिंग की यह प्रक्रिया 27 सितंबर तक जारी रहेगी.
इससे रूस यह दावा कर सकेगा कि क्षेत्रों पर फिर से कब्जा करने के यूक्रेनी बलों के प्रयास वास्तव में रूस पर हमले हैं.
गौरतलब है कि जनमत संग्रह से पहले रूस ने सैनिकों की लामबंदी की घोषणा की थी.
अमेरिका ने जनमत संग्रह को बताया था दिखावा
वहीं इससे पहले अमेरिका ने रूस के कब्जे वाले पूर्वी और दक्षिणी यू्क्रेन के हिस्से को रूस में मिलाने के लिए जनमत संग्रह कराने की मास्को की योजना को ‘दिखावा’ करार दिया और इसे ‘संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांत का अपमान’ बताया था.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने मंगलवार को दावा किया था कि ‘जनमत संग्रह में हेरफेर किया जाएगा.’ साथ ही उन्होंने कहा था कि अमेरिका यूक्रेन के किसी भी हिस्से पर रूस के कथित कब्जे के दावे को मान्यता नहीं देगा.
सुलिवन ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा था, ‘यह जनमत संग्रह संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के उन सिद्धांतों का अपमान है जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का आधार हैं.’
उन्होंने कहा था, ‘हम जानते हैं कि जनमत संग्रह में हेर-फेर की जाएगी. रूस इन दिखावटी जनमत संग्रहों का उन क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए या तो अभी या बाद में इस्तेमाल करेगा.’
सुलिवन ने कहा था, ‘हम इस क्षेत्रों को यूक्रेन के क्षेत्र के अलावा कभी किसी अन्य रूप में मान्यता नहीं देंगे. हम रूस की कार्रवाई को खारिज करते हैं. हम रूस को जवाबदेह ठहराने के लिए हमारे सहयोगियों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे.’
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