नई दिल्ली: चीन के अमेरिकी दूतावास ने 2018 में कोरोनावायरस पर शोध कर रही वुहान की एक लैब में अपर्याप्त सुरक्षा के बारे में अमेरिकी प्रशासन को दो आधिकारिक चेतावनियां भेजी थीं.
द वॉशिंगटन पोस्ट के जोश रोजिन ने दावा किया कि इन आधिकारिक पत्रों के माध्यम से अमरीकी दूतावास के अधिकारीयों ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की सुरक्षा और प्रबंधन की खामियों के बारे में चेतावनी दी गई थी और संभावित मानव संचरण के प्रति आगाह किया जो नए एसएआरएस (सार्स) जैसे महामारी के समान भयानक हो सकता था.
जनवरी 2018 को दूतावास के पर्यावरण, विज्ञान और स्वास्थ्य विभाग द्वारा भेजी गयी सूचना में लिखा गया कि वुहान लैब के वैज्ञानिकों से बातचीत करने पर पता चला कि वायरस के खतरे वाली लैबोरेटरी को सुरक्षित रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक तकनीकी रूप से प्रशिक्षित तकनीशियनों और जांचकर्ताओं की गंभीर कमी है.
‘लंबे समय से रही हैं सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं’
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कली में स्कूल ऑफ इनफार्मेशन के एक शोधकर्ता जिओ किआंग के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ये हमें बताता है कि काफी लंबे समय से इस प्रयोगशाला से सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरे की संभावना के बारे में चिंताएं रही हैं, अगर ये सच है कि इसे सही तरीके से संरक्षित नहीं किया जा रहा था.’
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय बायोसर्च सुरक्षा (बीएसएल -4) के उच्चतम स्तर को प्राप्त करने वाली चीन की पहली प्रयोगशाला बनी थी.
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने अनुसंधान की प्रमुख शी झेंगली से भी मुलाकात की थी, जो कोरोनावायरस पर शोध कर रहीं थीं. 2017 के झेंगली के शोध ने यह भी दावा किया था कि चीन के युन्नान प्रांत से एकत्र किए गए एक विशेष प्रकार के चमगादड़ संभवतः उसी प्रजाति के थे जिनसे 2003 में एसएआरएस (सार्स) फैला था.
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने इन अमरीकी अधिकारियों की इन लैब यात्राओं के बारे में अंग्रेजी में एक सूचना जारी की थी, जो 27 मार्च, 2018 को प्रकाशित हुई थी. हालांकि, उन्होंने अपनी वेबसाइट से उस बयान को पिछले हफ्ते हटा दिया.
बहरहाल चीन सरकार ने कोरोनोवायरस की उत्पत्ति से जुड़ी अकादमिक शोध के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाया है. फरवरी में पहली बार कोरोनोवायरस जीनोम को साझा करने वाली शंघाई को भी चीन सरकार द्वारा बंद करने का आदेश दिया गया था.
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