नई दिल्ली: चीनी सेना की बढ़ती ताकत और उसकी आक्रामकता के साथ-साथ बढ़ी हुई जानकारी साझा करने और आधुनिक तकनीक पर सहयोग के मुद्दे, सोमवार को वाशिंगटन में भारत और अमेरिका के बीच 2+2 वार्ता के चौथे दौर में चर्चा में रक्षा क्षेत्र पर बातचीत अहम मुद्दे थे, सरकारी सूत्र ने दिप्रिंट को जानकारी दी.
एक सूत्र ने कहा, ‘बातचीत का जोर इंडो-पैसिफिक था और इस पर सहयोग करने की आवश्यकता थी. अमेरिकी अर्थों में इंडो-पैसिफिक एक विशाल क्षेत्र है और, हमारे अर्थ में, बहुत अधिक प्रतिबंधित क्षेत्र है.’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अपने अमेरिकी समकक्ष लॉयड ऑस्टिन के साथ वार्ता की और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग, हिंद-प्रशांत एवं व्यापक हिंद महासागर क्षेत्र सहित क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की.
सिंह विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ सोमवार को भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लेने के लिए रविवार को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन पहुंचे. यह बाइडन प्रशासन के कार्यकाल में पहली 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता है जिसकी मेजबानी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और ऑस्टिन ने की है.
नयी दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि सिंह, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार और एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन, पेंटागन में संयुक्त चीफ ऑफ स्टॉफ के अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की.
बयान में कहा गया है, ‘दोनों रक्षा मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति के सभी पहलुओं की समीक्षा की.’
ऊपर कही गई बातों पर सूत्र ने कहा, ‘यह इनकार नहीं कर रहे कि चीन हमारे घर में घुसकर बैठा है, इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता. चीन पर काफी बातचीत हो चुकी है और अमेरिका व भारत सूचना को साझा करने, स्पेस और मिलिट्री टेक्नोलॉजी को लेकर किस तरह का सहयोग करते हैं.’
एक अन्य सूत्र ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश रहा है, लेकिन वह चुनौतियों और खतरों से बेखबर नहीं है.
दूसरे सूत्र ने कहा, ‘जब चीन की बात आती है तो अमेरिका की भाषा सख्त होती है. हमारे लिए चीन हमारा निकटतम पड़ोसी है. हम अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन साथ ही हम अपनी सेना को मजबूत करने में भी निवेश कर रहे हैं, जो कि बहुत महत्वपूर्ण भी है.
इससे पहले सिंह को सोमवार को अमेरिका के रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन में तब विशिष्ट सम्मान दिया गया जब वह अपने अमेरिकी समकक्ष लॉयड ऑस्टिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए वहां पहुंचे.
विशिष्ट सम्मान बेहद खास अतिथियों को दिया जाता है. सामान्य सम्मान के तहत अतिथियों का पेंटागन की सीढ़ियों पर सम्मान किया जाता है और हाथ मिलाकर उनका स्वागत किया जाता है. वहीं, विशिष्ट सम्मान के तहत दोनों देशों के राष्ट्रगान बजाए जाते हैं.
(दिप्रिंट के स्नेहेश एलेक्स फिलिप के इनपुट्स के साथ)