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Sunday, 22 December, 2024
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POK के चुनाव में PTI ने जीती अधिकतर सीटें, विपक्ष ने लगाया धांधली का आरोप

पीटीआई को सरकार बनाने के लिए साधारण बहुमत मिल गया है और उसे किसी अन्य पार्टी के समर्थन की जरूरत नहीं है. यह पहली बार है कि वह पीओके में सरकार बनाएगी. परंपरागत रूप से, देश की सत्ताधारी पार्टी ही पीओके में चुनाव जीतती आयी है.

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इस्लामाबाद : प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पहली बार सरकार बनाएगी. पीटीआई ने पीओके विधानसभा की 45 सीटों के लिए हुए चुनाव में 25 सीटें जीती हैं। हालांकि चुनाव में हिंसा हुई है और विपक्ष ने धांधली के आरोप लगाए हैं.

सरकारी ‘रेडियो पाकिस्तान’ ने चुनाव आयोग द्वारा घोषित अनौपचारिक नतीजों के हवाले से खबर दी है, पीटीआई ने 25 सीटें जीती हैं, जबकि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) 11 सीटें जीत कर दूसरे स्थान पर है और फिलहाल सत्ता पर काबिज पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को सिर्फ छह सीटें मिली हैं.

पीटीआई को सरकार बनाने के लिए साधारण बहुमत मिल गया है और उसे किसी अन्य पार्टी के समर्थन की जरूरत नहीं है. यह पहली बार है कि वह पीओके में सरकार बनाएगी. परंपरागत रूप से, देश की सत्ताधारी पार्टी ही पीओके में चुनाव जीतती आयी है.

मुस्लिम कांफ्रेंस (एमसी) और जम्मू कश्मीर पीपुल्स पार्टी (जेकेपीपी) को एक-एक सीट पर कामयाबी मिली है. भारत ने इससे पहले गिलगित-बाल्तिस्तान में चुनाव कराने के पाकिस्तान के फैसले का विरोध किया था और कहा था कि सेना के जरिए कब्जाए गए क्षेत्र की स्थिति को बदलने का कोई कानूनी आधार नहीं है.

पीओके विधानसभा में कुल 53 सदस्य हैं लेकिन इनमें से केवल 45 सीटों पर सीधे निर्वाचन किया जाता है. इनमें पांच सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और तीन विज्ञान विशेषज्ञों के लिए हैं.

सीधे चुने जाने वाले 45 सदस्यों में से 33 सीटें पीओके के निवासियों के लिए हैं और 12 सीटें शरणार्थियों के लिए हैं, जो बीते वर्षों में कश्मीर से यहां आए थे और पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में बस गए है.

पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि पीटीआई की ‘चुनावों में शानदार जीत प्रधानमंत्री इमरान खान में आम आदमी के भरोसे की अभिव्यक्ति है.’ उन्होंने सोमवार को एक ट्वीट में कहा कि विपक्षी दलों को अपने नेतृत्व और राजनीति दोनों पर पुनर्विचार करना चाहिए.

पाकिस्तान के विपक्षी नेताओं – पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी और पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरयम नवाज़ ने आरोप लगाया कि पीटीआई ने धांधली के जरिए चुनाव जीता और उन्होंने रविवार को हुए चुनाव के नतीजों को खारिज कर दिया.

भुट्टो ने दावा किया कि चुनाव आयोग चुनावी नियमों का उल्लंघन करने पर पीटीआई के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है.

उन्होंने कहा, ‘पीटीआई ने हिंसा और धांधली का सहारा लिया।” इसके बावजूद पीपीपी 11 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है , जिसे पिछली बार तीन सीटें मिली थीं. उन्होंने पार्टी के जीतने वाले उम्मीदवारों की सूची भी साझा की.

पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरयम नवाज़ ने कहा कि उन्होंने परिणामों को स्वीकार नहीं किया है और न ही कभी स्वीकार करेंगी. ‘मैंने 2018 के नतीजों को न तो स्वीकार किया है और न ही इस नकली सरकार को माना है.’ हालांकि, उन्होंने चुनावों में ‘पीटीआई द्वारा हिंसा और धांधली’ के बावजूद ‘अच्छी लड़ाई लड़ने’ के लिए पीएमएल-एन के कार्यकर्ताओं की प्रशंसा की. पीपीपी की उपाध्यक्ष सीनेटर शेरी रहमान ने कहा, ‘चुनाव में व्यवस्थित धांधली का सबूत है.’

उन्होंने कहा कि पीटीआई कार्यकर्ताओं ने मतदान के दौरान पीपीपी कार्यकर्ता पर हमला किया, जबकि पुलिस ने उनकी पार्टी के एक शिविर को उखाड़ फेंका. रहमान ने कहा कि ‘कई मतदान केंद्रों की मतदाता सूचियों में साफ फर्क है.’

पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरयम औरंगजेब ने एक बयान में दावा किया कि चुनाव में धांधली करने के लिए ‘पीटीआई के गुंडों ने’ गुजरांवाला के अलीपुर छत्ता इलाके में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमला किया. हालांकि, क्षेत्र के चुनाव आयोग ने आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से हुए हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त अब्दुल राशिद सुलेहरिया ने मीडिया को बताया कि वह चुनाव प्रक्रिया से संतुष्ट हैं.

पीटीआई के बैरिस्टर सुल्तान महमूद चौधरी क्षेत्र के ‘प्रधानमंत्री’ की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। वह अपनी सीट जीत गए हैं. पूर्व ‘प्रधानमंत्री’ और पीएमएल-एन नेता राजा फारूक हैदर ने अपनी सीट बचा ली है. एक अन्य पूर्व ‘प्रधानमंत्री’ और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सरदार अतीक अहमद खान भी जीत गए हैं. पीओके में सरकार प्रमुख को ‘प्रधानमंत्री’ कहा जाता है.

पीओके के विभिन्न जिलों की 33 सीटों पर कुल 587 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जबकि पाकिस्तान में बसे जम्मू-कश्मीर के शरणार्थियों की 12 सीटें पर 121 प्रत्याशी मैदान में थे.

इससे पहले रविवार को कोटली जिले के चारहोई इलाके में एक मतदान केंद्र पर पीपीपी के कार्यकर्ताओं के साथ झड़प में पीटीआई के कम से कम दो कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि अज्ञात लोगों ने दो कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी.

सेना ने एक बयान में बताया कि क्षेत्र के लासवा इलाके में एक घुमावदार पहाड़ी सड़क मार्ग पर नीचे एक खड्ड में वाहन के गिर जाने से उसमें सवार कम से कम चार सैनिकों की मौत हो गई, जबकि तीन सैनिक और पेशे से ड्राइवर एक आम नागरिक घायल हो गए. ये सभी चुनाव के दौरान शांति बनाए रखने में मदद के लिए तैनात सैनिकों में शामिल थे. सेना के अनुसार, घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है.

वहीं, एक अन्य घटना में झेलम घाटी जिले में एक मतदान केंद्र पर जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के हमले में पांच पुलिसकर्मी जख्मी हो गए.

जियो न्यूज के मुताबिक, पीएमएल-एन के उम्मीदवार चौधरी मोहम्मद इस्माईल गुर्जर ने रविवार को धमकी दी कि अगर स्थानीय प्रशासन उनकी चिंताओं को दूर करने में नाकाम रहता है, तो वह ‘भारत की मदद मांगेंगे.’ इससे पहले उनकी पार्टी के मतदान एजेंटों को एक मतदान केंद्र से हटा दिया गया था.

पीओके विधानसभा का पिछला आम चुनाव जुलाई 2016 में हुआ था और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की इसमें जीत हुई थी.

पीटीआई ने सभी 45 निर्वाचित क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि पीएमएल-एन और पीपीपी ने 44 सीटों के लिए अपने उम्मीदवार उतारे थे. कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान (टीएलपी) जिसे पाकिस्तान सरकार ने उसकी हिंसक गतिविधियों के लिए अप्रैल में प्रतिबंधित कर दिया था, वह 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी.

विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकटधारियों के अलावा, कुल 261 निर्दलीय उम्मीदवार भी पीओके की 33 सीटों के लिए मैदान में थे जबकि 12 शरणार्थी सीटों पर 56 निर्दलीय उम्मीदवार थे.

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