पोर्ट लुइस, 13 मार्च (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को यहां अप्रवासी घाट और अंतरराष्ट्रीय दासता संग्रहालय में बहादुर गिरमिटिया मजदूरों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुर्मू तीन-दिवसीय यात्रा पर यहां आई हैं और इस दौरान वह मंगलवार को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि रहीं।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर किये गये पोस्ट के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू ने बुधवार को पोर्ट लुइस में आप्रवासी घाट और अंतरराष्ट्रीय दासता संग्रहालय का दौरा किया तथा वहां अपने बहादुर पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पोस्ट में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रपति मुर्मू ने उन 16 सीढ़ियों पर अपने कदम बढ़ाए, जहां से लगभग दो शताब्दी पहले भारत से आए गिरमिटिया मजदूरों ने मॉरीशस में अपना नया जीवन शुरू किया था। दोनों जगहों पर मॉरीशस की अनूठी संगीत परंपरा भोजपुरी गीत गवई और सेगा के कलाकारों द्वारा राष्ट्रपति मुर्मू का स्वागत किया गया।’’
अप्रवासी घाट वह जगह है जहां से गिरमिटिया मजदूरों का प्रसार शुरू हुआ था। ब्रिटिश सरकार ने 1834 में गुलामों के स्थान पर ‘मुक्त’ श्रमिकों के उपयोग के लिए ‘महत्वपूर्ण प्रयोग’ के तौर पर मॉरीशस द्वीप को चुना था।
मॉरीशस के गन्ना बागानों में काम करने के लिए, या रीयूनियन द्वीप, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका या कैरेबियन देशों में भेजे जाने के लिए लगभग पांच लाख गिरमिटिया मजदूर 1834 और 1920 के बीच भारत से अप्रवासी घाट पहुंचे थे।
अंतरमहाद्वीपीय दासता संग्रहालय मॉरीशस के ‘ट्रूथ एंड जस्टिस कमीशन’ की प्रमुख सिफारिशों में से एक है। कमीशन ने औपनिवेशिक काल से लेकर आज तक गुलाम और गिरमिटिया मजदूरों की विरासत का पता लगाने के लिए 2009 में सार्वजनिक मंच की स्थापना की। यह दुनिया का पहला आयोग है जो विशेष रूप से दासता के लिए समर्पित है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि स्वतंत्रता की 56वीं वर्षगांठ और मॉरीशस गणराज्य की 32वीं वर्षगांठ पर उनकी (राष्ट्रपति की) उपस्थिति भारत-मॉरीशस विशेष भागीदारों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती को प्रदर्शित करते हुए मुर्मू को मॉरीशस विश्वविद्यालय द्वारा ‘डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ’ की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया।
भाषा खारी सुरेश
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