(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, पांच मार्च (भाषा) फलस्तीन के शरणार्थियों के लिए काम करने वाली ‘संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी’ (यूएनआरडब्लयूए) की तरफ से किए गए विशेष अनुरोध पर भारत ‘सकारात्मक’ रूप से विचार कर रहा है।
एजेंसी ने मौद्रिक सहायता की जगह आवश्यक वस्तुओं के रूप में मदद करने का अनुरोध किया है। हालांकि, भारत ने हाल ही में लगाए गए उन आरोपों पर गहरी चिंता जताई है कि यूएनआरडब्लयूए के कुछ कर्मचारी इजराइल पर सात अक्टूबर को हमास के हमले में शामिल हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने यूएनआरडब्ल्यूए पर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक विशेष बैठक को संबोधित किया।
कम्बोज ने कहा कि इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की जान चली गई और इसके परिणामस्वरूप एक खतरनाक मानवीय संकट पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा कि भारत ने फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान की है और आगे भी करता रहेगा। कम्बोज ने कहा, ‘‘हम आवश्यक वस्तुओं के रूप में गैर मौद्रिक सहायता के लिए यूएनआरडब्ल्यूए के विशिष्ट अनुरोधों पर भी सकारात्मक रूप से विचार कर रहे हैं।’’
कम्बोज ने कहा कि फलस्तीनी शरणार्थियों के साथ अपनी एकजुटता के प्रतीक के रूप में भारत ने 2018 में एजेंसी में अपना वार्षिक योगदान 12.5 लाख अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 50 लाख अमेरिकी डॉलर कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत यह रकम नियमित तौर पर दे रहा है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि यूएनआरडब्ल्यूए के खिलाफ हालिया आरोप ‘गंभीर चिंता का विषय’ हैं। कम्बोज ने कहा, ‘‘हमने पाया कि महासचिव ने ऐसे सभी आरोपों की समयबद्ध जांच की घोषणा की है।’’
संरा महासभा की एक अन्य बैठक में कम्बोज ने कहा कि गाजा में पिछले करीब पांच महीने से जारी संघर्ष को लेकर भारत ‘‘बेहद चिंतित’’ है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध में आम नागरिकों की मौत और उससे उपजा मानवीय संकट ‘‘स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य’’ है।
कम्बोज ने सोमवार को ‘वीटो के उपयोग’ पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही।
कम्बोज ने यूएनजीए में कहा, ‘‘इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर आम नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की जान चली गई है…इसके परिणामस्वरूप एक मानवीय संकट भी पैदा हो गया है। यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है।’’
पांच महीने से युद्ध जारी रहने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मानवीय संकट गहरा गया है, जिससे क्षेत्र और आसपास अस्थिरता बढ़ रही है।’’
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका द्वारा वीटो करने के बाद महासभा ने ‘वीटो के उपयोग’ पर पूर्ण बहस आयोजित की। अमेरिका के वीटो के कारण परिषद गाजा युद्ध में मानवीय संघर्षविराम के प्रस्ताव को अपनाने में विफल रही।
कम्बोज ने यूएनजीए में कहा कि संघर्ष पर भारत की स्थिति स्पष्ट है और भारत ने संघर्ष में नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा की है।
भाषा संतोष अविनाश
अविनाश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.