नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को एलान किया कि वेस्ट बैंक पर स्थित इजरायली सेटलमेंट को वो अवैध नहीं मानता और ये किसी अंतरराष्ट्रीय कानून का भी उल्लंघन नहीं करता है.
नीति से जुड़े फैसले का ऐलान अमेरका के सेक्रेटरी जनरल माइक पोम्पियो ने किया. येरूसलम पोस्ट के अनुसार, पोम्पियो ने कहा, इस कानूनी बहस के सभी पक्षों का अध्ययन करने के बाद प्रशासन पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के नीतियों के साथ सहमत हुआ है. वेस्ट बैंक में इजरायली लोगों का सेटलमेंट किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून के हिसाब से गलत नहीं है.
यह ऐलान उस नीति में बदलाव को दिखाता है कि पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के प्रशासन काल में उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना है.
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए कहा है कि वो फिलिस्तीन के क्षेत्र में इजरायली सेटेलमंट को वैध मानता है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, माइक पोम्पियो ने कहा है कि अमेरिका ने जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए ये फैसला किया है. उन्होंने कहा कि 1981 में राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद रीगन ने भी इजरायली सेटेलमेंट को वैध माना था.
अमेरिका की तरफ से किए गए बड़े नीतिगत बदलाव के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने खुशी जताई. उन्होंने कहा कि इस फैसले में ऐतिहासिक सत्य का प्रतिबिंब है कि इस क्षेत्र में रह रहे लोग बाहरी नहीं हैं.
टाइम्स ऑफ इजरायल ने नेतन्याहू को कोट करते हुए कहा है कि अमेरिका ने एक महत्वपूर्ण नीति के जरिए ऐतिहासिक गलती को सुधारा है.
फिलिस्तीनी अधिकारियों की तरफ से आई अब तक की प्रतिक्रिया से यही साफ होता है कि उन्हें ट्रंप प्रशासन का यह फैसला पसंद नहीं है, जिसके कारण दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ सकती है.
स्पटनिक के अनुसार जहां पर इजरायली सेटेलमेंट है, वहां लगभग 6 लाख लोग रहते हैं.
यूरोपियन संघ ने भी अमेरिका द्वारा किए गए नीतिगत बदलाव की आलोचना की है और कहा है कि फिलिस्तीन के क्षेत्र में इजरायली सेटेलमेंट को लेकर, जो उसका पुराना मत है. उसमें कोई बदलाव नहीं आया है. अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार इस क्षेत्र में सभी सेटेलमेंट अवैध हैं. ऐसी नीति दोनों देशों के बीच शांति को प्रभावित करेगी.
इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने येरूसलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी. जिसके बाद काफी विवाद हुआ था.
(एएनआई के इनपुट के साथ)