इस्लामाबाद: पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर और बलूचिस्तान के अधिग्रहण को लेकर एक भारतीय सांसद की टिप्पणी वाले सैकड़ों फ्लेक्स बैनर नेशनल असेम्बली के पास बुधवार सुबह नजर आए.
भारत ने सोमवार को जोर देकर कहा कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, बल्कि एक आंतरिक मामला है. धारा 370 रद्द कर दिया गया है जो जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देता था. पाकिस्तान ने इस कदम की कड़ी निंदा की है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस पर ध्यान देने का आग्रह किया है.
बैनर पाकिस्तानी संसद और प्रधानमंत्री इमरान खान के निवास से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर लगाए गए थे.
‘अखंड भारत’ या अविभाजित भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश को भारत का हिस्सा मानता है. यह हिंदू-राष्ट्रवादी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (आरएसएस) के मुख्य लक्ष्यों में से एक रहा है. आरएसएस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का वैचारिक मातृ संगठन है. भाजपा भारत में मई में हुए आम चुनाव में दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आई है. बैनर पर शिवसेना सांसद संजय राउत की लिखी टिप्पणियां हैं.
ये बैनर इस्लामाबाद के मुख्य इलाके में सेक्टर एफ-6 में नेशनल प्रेस क्लब के सामने एक व्यस्त सड़क पर बिजली के खंभे पर लगाए गए थे. कथित तौर पर इन्हें सुबह होने से पहले लगाया गया था और स्थानीय लोगों ने इसे पहली बार तब देखा, जब वे काम पर जा रहे थे.
बैनर पहले देखने वालों में एक व्यवसायी साजिद महमूद भी रहे. उन्होंने इसका एक वीडियो बनाया और ट्विटर और फेसबुक पर पोस्ट किया. दो मिनट का यह वीडियो वायरल हो गया और यहां के कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को तुरंत पोस्टरों को हटाने के लिए मजबूर किया.
पुलिस अधीक्षक (शहर) आमिर खान नियाजी ने इस संवाददाता को बताया कि राजधानी क्षेत्र की पुलिस ने बैनर हटा दिए हैं और यह पता लगाने के लिए जांच शुरू की है कि किसने ये बैनर लगाए.
इस्लामाबाद के मुख्य आयुक्त के एक प्रवक्ता ने मंगलवार देर रात कहा कि दोषियों की पहचान होने के बाद मीडिया को जानकारी दी जाएगी.
बैनर के बारे में खबर फैलने के बाद इस्लामाबाद के निवासियों में गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने सवाल किया कि इस्लामाबाद के मुख्य क्षेत्र में कोई इस तरह के काम को कैसे अंजाम दे सकता है.
इस्लामाबाद के सेक्टर एफ6 के निवासी साजिद अली ने कहा, “यह हमारे कानून प्रवर्तन एजेंसियों की विफलता है, जो इस्लामाबाद के बीचोबीच देश विरोधी पोस्टर लगाने वालों को रोक नहीं सके.”
इस्लामाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने इस चूक पर संज्ञान लिया और इस्लामाबाद महानगर पालिका प्राधिकरण को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि बैनरों को हटाने में उन्हें पांच घंटे क्यों लगे.
पत्रकार जब बैनरों की तस्वीरें लेने के लिए मौके पर पहुंचे, तो उन्हें पुलिस ने रोक दिया. पुलिस ने कुछ ऐसे लोगों का पीछा किया जो बैनरों की फुटेज लेने में कामयाब रहे और उन्हें वीडियो हटाने के लिए मजबूर किया.
इस्लामाबाद स्थित नेशनल प्रेस क्लब के महासचिव ने मंगलवार शाम कहा, ‘पुलिस द्वारा वरिष्ठ पत्रकारों को प्रताड़ित किया जाना अस्वीकार्य है.’ पुलिस अधिकारियों ने पत्रकारों को पीटने के दोषी पाए गए दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है.
सूत्रों ने इस संवाददाता को बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है और अधिकारियों से दोषियों का पता लगाने के लिए गहन जांच शुरू करने को कहा है.
इससे पहले समाचारपत्र डॉन ने बुधवार को बताया था कि पुलिस ने ब्लू एरिया से एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि उसने बैनर लगाए थे. संदिग्ध प्रिटिंग बिजनेस से जुड़ा है और उसे गुजरांवाला के एक निवासी से उन बैनरों की छपाई का ऑर्डर मिला था.
पुलिस ने इस्लामाबाद में उसके प्रिंटिंग प्रेस को सील कर दिया है और आगे की पूछताछ के लिए उसे एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है.