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Thursday, 9 May, 2024
होमविदेशन्यूयॉर्क टाइम्स का दावा- भारत ने इजरायल से 'डील' में खरीदा स्पाइवेयर पेगासस; कांग्रेस ने बोला हमला

न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा- भारत ने इजरायल से ‘डील’ में खरीदा स्पाइवेयर पेगासस; कांग्रेस ने बोला हमला

'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने 'द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरवेपन' शीर्षक वाली एक खबर में कहा कि इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप लगभग एक दशक से अपने जासूसी सॉफ्टवेयर दुनिया को बेच रही थी.

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नई दिल्ली: पिछले साल भारत समेत कई देशों में पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकारों की रक्षा करने वालों के साथ-साथ अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए कुछ सरकारों द्वारा कथित तौर पर एनएसओ समूह के पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग की बात सामने आई थी जिसके चलते गोपनीयता संबंधी चिंताएं पैदा हो गई थीं. अब अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया है कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली भारत-इजराइल के बीच 2017 में हुए लगभग दो अरब डॉलर के हथियार एवं खुफिया उपकरण सौदे के ‘केंद्र बिंदु’ थे.

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ‘द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरवेपन’ शीर्षक वाली एक खबर में कहा कि इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप लगभग एक दशक से इस दावे के साथ ”अपने जासूसी सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को बेच’’ रही थी कि यह जैसा काम कर सकता है, वैसा कोई और नहीं कर सकता.

कांग्रेस का हमला

कांग्रेस ने पेगासस स्पाईवेयर से संबंधित ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की खबर को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर ‘देशद्रोह करने’ और संसद एवं उच्चतम न्यायालय के साथ धोखा करने का आरोप लगाया और कहा कि वह आगामी बजट सत्र के दौरान संसद के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जवाबदेही तय करने की मांग करेगी क्योंकि ‘‘वह खुद इस स्पाईवेयर की खरीद के एवं इसके गैरकानूनी उपयोग के लिए जिम्मेदार हैं.’

मुख्य विपक्षी पार्टी ने यह भी कहा कि वह इस मामले पर जल्द ही विभिन्न विपक्षी दलों के साथ बातचीत करके संसद सत्र के समय की रणनीति तय करेगी.

खबर में पीएम मोदी की यात्रा का उल्लेख

खबर में जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा का भी उल्लेख किया गया. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इजराइल यात्रा थी.

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खबर में कहा गया है कि भारत-इजराइल के बीच हुए लगभग दो अरब डॉलर के हथियार एवं खुफिया उपकरण सौदे में स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली ”केंद्रबिंदु” थे.

खबर में कहा गया है, ‘दशकों से, भारत ने ‘फलस्तीनी मुद्दे के प्रति प्रतिबद्धता’ की नीति बरकार रखी थी और इजराइल के साथ संबंध ठंडे पड़े थे. मोदी की यात्रा विशेष रूप से सौहार्द्रपूर्ण रही थी . उनके (इजराइल के तत्कालीन) प्रधानमंत्री (बेंजामिन) नेतान्याहू के साथ एक स्थानीय समुद्र तट पर नंगे पांव टहलने के दौरान इसकी झलक दिखी थी.‘’

खबर के अनुसार ‘उनके पास गर्मजोशी भरी भावनाएं व्यक्त करने का कारण था. उनके देश लगभग 2 अरब अमेरिकी डॉलर के हथियार और खुफिया उपकरण सौदे पर सहमत हुए थे, जिसके केंद्रबिंदु पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली थे.‘

खबर के अनुसार, ‘महीनों बाद, नेतन्याहू ने भारत की एक दुर्लभ राजकीय यात्रा की. और जून 2019 में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद में इजराइल का समर्थन करते हुए फलस्तीनी मानवाधिकार संगठन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से इनकार करने के लिए मतदान किया. भारत ने पहली बार ऐसा किया.‘

पिछले साल खड़ा हुआ था विवाद

‘पीटीआई-भाषा’ ने न्यूयार्क टाइम्स की इस खबर पर सरकार से प्रतिक्रिया मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

पिछले साल, इस बात को लेकर विवाद खड़ा हो गया था कि भारत में इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके लोगों को निशाना बनाकर निगरानी की जा रही है. अक्टूबर में, उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की जांच के लिए एक 3 सदस्यीय स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करते हुए कहा था कि सरकार हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बता कर सवालों से बच नहीं सकती.

वहीं, इजराइल ने पिछले साल नवंबर में पेगासस विवाद के खुद को दूर कर लिया था, जब अमेरिका ने स्पाइवेयर की निर्माता कंपनी एनएसओ समूह को काली सूची में डाल दिया था. इजराइल ने कहा था कि यह एक निजी कंपनी है और इसका इजराइल सरकार की नीतियों से कोई लेना-देना नहीं है.

(खबर के इनपुट्स पीटीआई-भाषा से लिए गए हैं.)


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