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Monday, 23 December, 2024
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संसद तय करेगी नेपाल को किस तरह की विकास सहायता की जरूरत है: विदेश मंत्रालय

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(शिरीष बी प्रधान)

काठमांडू, 20 फरवरी (भाषा) नेपाल हमेशा एक स्वतंत्र, संतुलित और गुटनिरपेक्ष विदेश नीति का अनुसरण करता रहा है और इसकी संप्रभु संसद तय करेगी कि देश के लिए किस तरह की विकास सहायता की आवश्यकता है। विदेश मंत्रालय ने 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की विवादास्पद मिलेनियम कॉर्पोरेशन चैलेंज (एमसीसी) परियोजना के संबंध में रविवार को यहां यह बात कही।

नेपाल सरकार ने विरोध के बीच रविवार को एमसीसी परियोजना से जुड़े समझौते को संसद में मंजूरी के लिए पेश किया। अमेरिका की इस परियोजना को लेकर नेपाल में जोरदार विरोध किया जा रहा है और इस मुद्दे को लेकर हिमालयी देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण तेज हो गया है।

हालांकि प्रतिनिधि सभा में समझौते को पेश किया गया तो सत्तारूढ़ दल के कुछ सदस्यों समेत विपक्षी दलों के सांसदों द्वारा इसका तीव्र विरोध किया गया। अधिकारियों ने कहा कि संसद के बाहर कम्युनिस्ट पार्टी के छोटे गुटों और कई वाम समर्थक युवा संगठनों ने रैलियां की और अमेरिका विरोधी नारे लगाए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया।

नेपाल के विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘‘विकास सहायता स्वीकार करने का निर्णय हमारे राष्ट्रीय हित और प्राथमिकताओं के संदर्भ में नेपाल द्वारा लिया जाता है।’

इसमें कहा गया है, ‘यह अकेले नेपाल की संप्रभु संसद है जो यह तय करती है कि नेपाल और उसके लोगों के सर्वोत्तम हित में किस तरह की सहायता की आवश्यकता है।’’

नेपाल के राजनीतिक दल एमसीसी समझौते के तहत अमेरिकी अनुदान सहायता को स्वीकार करने पर विभाजित हैं, जो प्रतिनिधि सभा में विचाराधीन है।

नेपाल के वामपंथी राजनीतिक दल इस समझौते का विरोध करते हुए कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय हित में नहीं है और यह चीन का मुकाबला करने के लिए है।

बयान में कहा गया है, ‘‘नेपाल हमेशा एक स्वतंत्र, संतुलित और गुटनिरपेक्ष विदेश नीति का अनुसरण करता रहा है। इस नीति के अनुसरण में, एक संप्रभु देश के रूप में, नेपाल ने अपनी राष्ट्रीय आवश्यकता और प्राथमिकता के अनुसार विकास सहायता को स्वीकार किया है।’’

बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को कहा था कि चीन नेपाल को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता देखकर ‘‘खुश’’ है, लेकिन यह बिना किसी राजनीतिक बंधन के मिलनी चाहिए।

अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को एक बयान में कहा, ‘‘50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का एमसीसी अनुदान अमेरिकी लोगों की ओर से एक उपहार है। दोनों देशों के बीच साझेदारी से नेपाल में रोजगार और बुनियादी ढांचे का सृजन होगा जिससे नेपालियों के जीवन में सुधार होगा।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘इस परियोजना का अनुरोध नेपाली सरकार और नेपाली लोगों द्वारा किया गया था और इसे पारदर्शी रूप से गरीबी को कम करने और नेपाल की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए तैयार किया गया था।’’

नेपाल और अमेरिका ने 2017 में एमसीसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य नेपाल में बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है जिसमें विद्युत पारेषण लाइन और राष्ट्रीय राजमार्गों का सुधार शामिल है।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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