नई दिल्ली: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई के पिता सहित पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कार्यकर्ताओं के निशाने पर आने के बाद, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने शुक्रवार को पश्तून संस्कृति पर अपनी विवादित टिप्पणी के लिए माफी मांगी.
उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान पर मानवीय ब्रीफिंग में मेरी टिप्पणियों के कारण पहुंची ठेस के लिए मैं माफी चाहता हूं. मैं चूक गया और मेरे शब्द पाकिस्तान के पक्ष को नहीं दर्शाते हैं.’
राजदूत ने आगे सफाई देते हुए कहा कि पश्तून संस्कृति के लिए उनके मन में ‘बेहद सम्मान’ है और महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा तक पहुंच से वंचित करना ‘न तो इस्लामी और न ही पश्तून संस्कृति’ है.
इससे पहले बुधवार को न्यूयॉर्क में यूएन में एक ब्रीफिंग के दौरान अकरम ने कहा था कि तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार द्वारा महिलाओं की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंध धार्मिक कारकों से नहीं बल्कि देश की पश्तून संस्कृति से उपजे हैं.
उन्होंने कहा था, ‘अफगान अंतरिम सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि पश्तून संस्कृति के एक अजीबोगरीब सांस्कृतिक दृष्टिकोण से आते हैं, जिसके लिए महिलाओं को घर पर रहने की जरूरत होती है.’
उन्होंने आगे कहा था, ‘और यह अफगानिस्तान की एक असाधारण, विशिष्ट सांस्कृतिक की वास्तविकता है जो सैकड़ों वर्षों से नहीं बदली है.’
पख्तून, जिन्हें पख्तून या पठान भी कहा जाता है, अफगानिस्तान में प्रमुख जातीय समूह हैं. पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बड़ी संख्या में पश्तून भी हैं, जो अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करता हैं.
यह पहली बार नहीं है जब अकरम विवादों में आए हैं. 2008 में, उन्हें पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि के पद से बर्खास्त कर दिया गया था क्योंकि उनकी इस बात पर असहमति थी कि क्या बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले को यूएन के साथ उठाया जाए.
इससे पहले 2002 में उन पर अमेरिका में उनकी तत्कालीन गर्लफ्रेंड ने घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था.
यह भी पढ़ेंः जीरा शराब फैक्टरी: प्लांट बंद करने के मान के वादे के बाद प्रदर्शनकारी बोले- ‘यह हमें लिखित में दें’
‘घृणित और शर्मनाक’
अकरम ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के एक मेजबान से आलोचना की थी, जिन्होंने पश्तून संस्कृति का दृढ़ता से बचाव किया था.
मलाला यूसुफजई के पिता और शिक्षा कार्यकर्ता, जियाउद्दीन ने राजदूत की टिप्पणी को ‘घृणित और अपमानजनक’ बताया था.
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था, ‘आपको संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के 50 मिलियन पख्तूनों को गलत तरीके से पेश करने और उन्हें अपमानित करने के लिए माफी मांगनी चाहिए.’
इस बीच पाकिस्तान में वकालत, नीति और अनुसंधान के लिए एक गैर-लाभकारी संस्था बोलो भी के निदेशक उसामा खिलजी जैसे कार्यकर्ता ने अकरम की टिप्पणी को ‘शर्मनाक’ बताया था.
अन्य पाकिस्तानी अधिकारियों ने अतीत में पश्तूनों के बारे में टिप्पणियों के लिए आलोचना की है. 2021 में, पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने गलती से अफगानिस्तान में एक आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क को पश्तून जनजाति के रूप में संदर्भित किया था.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ेंः पंजाब में AAP मोहल्ला क्लीनिकों के 5 विवाद : ‘पंज प्यारों को हटाना और प्रचार में 30 करोड़ लगाना’