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Saturday, 23 November, 2024
होमविदेश'प्रेमिका को पीटने वाले', भारत से घृणा और युद्ध को तैयार मुनीर अकरम यूएन में होंगे पाक के नए राजदूत

‘प्रेमिका को पीटने वाले’, भारत से घृणा और युद्ध को तैयार मुनीर अकरम यूएन में होंगे पाक के नए राजदूत

अकरम, जो कि यूएन में इस्लामाबाद के 2003 से 2008 तक प्रतिनिधि थे. उन्होंने एक बार भारत को आतंक की जननी और कश्मीर को 'भारत का अफगानिस्तान' कहा था.

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नई दिल्ली : मुनीर अकरम जो कि अब संयुक्त राष्ट्र, न्यूयार्क में पाकिस्तान के नए राजदूत होंगे. वह महज एक और पाकिस्तानी राजनयिक नहीं हैं. वह स्वतंत्र विचारों, खुलकर बोलने वाले के रूप में जाने जाते हैं, कभी-कभी अशिष्ट- उग्र तौर पर भारत विरोधी हैं. उन्हें एक बार हमले के मामले में अमेरिका द्वारा ‘डिप्लो-बैशर’ दिए जाने का गौरव भी प्राप्त है.

अकरम अपनी कठोर भाषा के लिए भी जाने जाते हैं. इसका नमूना ये रहाः जब भारत ने एक बार पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद का आरोप जड़ा तो उन्होंने कहा था कि यह कश्मीर की ‘आजादी के संघर्ष’ में लगा हुआ है. अकरम ने यहां तक भारत पर ‘आतंकवाद की जननी’ होने का आरोप लगाया था.

एक दिग्गज राजनयिक और हाल में पाकिस्तान के एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक डॉन के स्तंभकार, अकरम यूएन में 2003 से 2008 तक इस्लामाबाद के प्रतिनिधि भी रहे हैं.


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यूएन में रहने के दौरान अकरम ने लगातार कश्मीर मसले पर भारत पर जमकर हमले किए. 2003 में 58वें महासभा सत्र के दौरान जिसमें तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिस्सा लिया, अकरम ने कहा था कि भारत ने ‘सीमा पार आतंकवाद’ को मूल रूप से ‘कश्मीरी स्वतंत्रता संग्राम’ कहा था.

यह भारत के उस दौरान न्यूयार्क में राजनीतिक काउंसलर हर्षवर्धन श्रृंगला के जवाब में था, जो अब अमेरिका में भारत के राजदूत हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को एक फीसदी इरादा वाली और 99 फीसदी दिखावा कहा था.

अकरम ने वाजपेयी पर तब के पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के एक्शन प्लान को खारिज करने के लिए भी हमला किया था और कहा था भारत ‘आतंकवाद की जननी’ है.

2019 का बयान

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अकरम ने 18 अगस्त को डॉन में लिखा जिसमें उन्होंने कश्मीर को ‘भारत का अफगानिस्तान’ कहा.

उन्होंने लिखा है, ‘भारत पाक अधिकृत कश्मीर में 70 सालों से संघर्षरत है. यह लड़ाई अफगानिस्तान में सोवियत संघ या यूएस-नाटो द्वारा किसी भी समय तैनात किए गए सैनिकों की अधिकतम संख्या 7,00,000 से सात बार से ज्यादा बलों के बराबर लड़ी गई है. कश्मीर युद्ध तभी समाप्त होगा जब नई दिल्ली को यह महसूस होगा कि वह कश्मीरी लोगों की इच्छाशक्ति को नहीं तोड़ सकता है और यह भारतीय राज्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसा भविष्य अब दिख रहा है.’

उनके भारत-विरोधी लेखों को पाकिस्तानी सेना ने बहुत सराहना की, और ‘द न्यू ग्रेट गेम’ नामक एक लेख को विशेष रूप से पूर्व पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता असीम बाजवा ने सराहा.

अकरम ने एक बार कहा था, ‘पाकिस्तान का एक ग्रेट पावर में बने रहना भारत के लिए सबसे बड़ी अनुमानित बांधा है.’
29 सितंबर को यूएनजीए में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण के बाद जहां उन्होंने कश्मीर में एक बार प्रतिबंध हटने के बाद खूनखराबे की बात की थी. इस पर अकरम ने डॉन में एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने इस भाषण को ‘जोशीला, वाकपटु और मौलिक’ बताया.

उन्होंने कहा, ‘पिछले दशक के पाकिस्तानी नेताओं के विपरीत, जिनकी यूएनजीए में उपस्थिति बहुत कम थी और यहां तक ​​कि कम प्रभावशाली थे, इमरान खान को न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाले प्रत्येक कार्यक्रम में गर्मजोशी से स्वीकारा गया और जिनको संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के नेताओं, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, वैश्विक निगमों और मुख्यधारा के मीडिया ने तवज्जो दी.’

जब अकरम ने सलमान खुर्शीद को ‘किराए का मुस्लिम’ कहा

अकरम को भारत के मुस्लिम आबादी के खिलाफ, कभी-कभी बेतुके बयानों के लिए जाना जाता है. मिसाल के तौर पर एक मामला पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के रूप में है, अकरम ने पूर्व भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को ‘किराई का मुसलमान‘ (किराए पर लिया मुसलमान) कहा था.

हमेशा अपने चेहरे पर एक क्रोधी रूप धारण किए हुए, जैसे कि वह युद्ध में जा रहे हों, अकरम ने कभी भारत को ‘एशिया का बीमार आदमी’ कहा था. उनके भाई, ज़मीर अकरम भी एक ट्रेंडी राजनयिक थे, जिन्होंने भारत में सेवा दी थी.

एक मज़ेदार घटना में, तत्कालीन पाकिस्तानी विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी ने अपनी किताब, नाइदर ए हॉक नॉर ए डोव में स्वीकार किया कि 2005 में वार्षिक यूएनजीए सत्र के दौरान, राष्ट्रपति मुशर्रफ और कसूरी विदेश मंत्री नटवर सिंह के साथ तत्कालीन भारतीय पीएम मनमोहन सिंह से मिलने के लिए तैयार थे. हालांकि, यूएनजीए में मुशर्रफ के भाषण के बाद भारतीय पक्ष में सन्नाटा पसर गया क्योंकि मुशर्रफ ने मारक भाषण दिया, जिन्होंने एक साल पहले भारत में ओलिव ब्रांच के विस्तार करने और यहां तक ​​कि कश्मीर पर बातचीत के लिए बैठक की बात कही थी और नई दिल्ली इसके लिए सहमत हो गई थी.

लेकिन मुशर्रफ के भाषण के बाद मन बदल गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत कश्मीर के संघर्ष को अवैध करार देने की कोशिश कर रहा था और 9/11 के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंक विरोधी भावना का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा था. कसूरी ने बाद में अपनी किताब में स्वीकार किया है कि इसे अकरम ने लिखा था.


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लिव-इन पार्टनर को प्रताड़ित करने के आरोपी

2003 में, जब पाकिस्तान यूएन सेक्योरिटी काउंसिल में एक अस्थायी सदस्य की सीट के लिए आतुर था, अकरम ने अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख के तौर पर एक बड़े विवाद को जन्म दिया, इस्लामाबाद को अपनी राजनयिक गतिविधि खत्म करने की बात की.

यह घटना अकरम की लिव-इन-पार्टनर मारिजुआना मिहिक के दिसंबर 2002 में 1:36 बजे देर रात पुलिस को एक फोन के बाद की है, जिसमें उन्होंने अकरम द्वारा प्रताड़ित होने की शिकायत की थी. लेकिन जब पुलिस इस जोड़े के ‘लग्जरी हाउस’ में पहुंची तो मिहिक ने अपना बयान बदल लिया और उन्होंने गिरने की वजह से घायल होना बताया.

इस बीच, यूएन के सिटी के प्रभारी कमिश्नर ने 26 दिसंबर को यूएस मिशन, न्यूयार्क को मार्जोरी तिवेन जारी कर अकरम की तैनाती को रद्द करने की मांग की.

अकरम ने न्यूयार्क पोस्ट के एक साक्षात्कार में कहा, ‘मेरी सरकार ने यहां मुझे देश के प्रतिनिधित्व के लिए भेजा है. मैं यहां रहने आया हूं-और मेरी सरकार चाहती है कि मैं रुकूं.’

इसके बाद अपर्याप्त सबूतों और प्रेस के आरोपों से मिहिक के इंकार के बाद अकरम के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई और वह यूएन में 2008 तक पाकिस्तान के प्रतिनिधि बने रहे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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