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Saturday, 21 December, 2024
होमविदेश2014 के आर्मी स्कूल हमले में बाल-बाल बचा पाकिस्तानी छात्र ऑक्सफोर्ड यूनियन का ट्रेजरर बना

2014 के आर्मी स्कूल हमले में बाल-बाल बचा पाकिस्तानी छात्र ऑक्सफोर्ड यूनियन का ट्रेजरर बना

अहमद नवाज उस समय 14 साल का था जब तालिबान हमलावरों ने उसके स्कूल— पेशावर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल, पर धावा बोला था और छात्रों पर गोलियां बरसा दी थीं. इस हमले में मारे गए 141 लोगों में उसका छोटा भाई भी शामिल था.

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नई दिल्ली: आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) पेशावर में 2014 के आतंकी हमले में बाल-बाल बचे अहमद नवाज को ऑक्सफोर्ड यूनियन का ट्रेजरर चुना गया है, जो कि प्रमुख ब्रिटिश यूनियन की विख्यात डिबेटिंग सोसाइटी है.

एपीएस पर हमले के समय नवाज 14 वर्ष का था, जब तालिबान बंदूकधारी स्कूल परिसर में घुस गए थे और उन्होंने छात्रों पर गोलियां बरसा दी थीं. इस हमले में 141 लोग मारे गए थे, जिनमें से 132 बच्चे थे. मरने वालों में नवाज का छोटा भाई 13 वर्षीय हारिस भी शामिल था. हाथ में गोली लगने के बाद नवाज के मरे पड़े होने के अभिनय के कारण ही उसकी जान बच सकी थी.

नवाज अब 20 साल का हो चुका है, और शिक्षा क्षेत्र आदि में काम करने वाले एक एक्टिविस्ट के तौर पर उभरा है. उसने पिछले साल ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश पा लिया था. शनिवार को नवाज़ ने ट्विटर के ज़रिए जानकारी दी कि उसे ऑक्सफोर्ड यूनियन का ट्रेजरर चुना गया है.

नवाज, लेडी मार्गरेट हाल में फिलॉस्फी और थियोलॉजी की पढ़ाई कर रहे हैं. पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई भी यहां ते छात्र रह चुके हैं. मलाला को 2012 में तालिबान बंदूकधारियों ने उस वक्त सिर में गोली मारी थी जब वह 15 साल की थीं और लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में आवाज बुलंद कर रही थीं.


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एक सर्वाइवर

नवाज और उनका परिवार गोली लगने के बाद इलाज और अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करने के लिए ब्रिटेन चला गया था.

अपने ट्विटर बायो में नवाज ने खुद को एक ‘सर्वाइवर’ और मानवाधिकार कार्यकर्ता बताया है, जो युवा सशक्तीकरण, सतत विकास और वंचित बच्चों तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है.

2020 में उसने गल्फ न्यूज को बताया था कि अपने परिवार के ब्रिटेन आने के तुरंत बाद उसने एक किशोर एक्टिविस्ट के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था. वह पुर्तगाल में वर्ल्ड लीडर कांफ्रेंस, नोबेल शांति पुरस्कार शिखर सम्मेलन में वन यंग वर्ल्ड और युवाओं के अधिकारों की वकालत करने वाले कई अन्य मंच का हिस्सा बन चुके हैं.

रिपोर्ट में उसे यह कहते हुए भी उद्धृत किया गया है कि अपने अभियान के तहत उसने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में कई युवाओं को छात्रवृत्ति दी है और लेबनान में शरणार्थी बच्चों के लिए एक स्कूल बनवाया है.

इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


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