नई दिल्ली: पाकिस्तानी कॉलम्निस्ट नुसरत मिर्जा ने एक इंटरव्यू के दौरान दावा किया कि उन्होंने अपनी भारत के दौरान जमा की गई जानकारी को वहां की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ साझा किया था. मिर्जा ने कांग्रेस के शासन के दौरान कई बार भारत का दौरा किया था.
पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शकील चौधरी के साथ एक इंटरव्यू के दौरान मिर्जा ने कहा कि उन्हें भारत की अपनी यात्राओं के दौरान पाकिस्तान के विदेश मामलों के विभाग से कई विशेषाधिकार मिले थे. उन्होंने साझा किया कि ‘आमतौर पर जब आप भारत के लिए वीजा का आवेदन देते हैं, तो वो आपको सिर्फ तीन जगहों पर जाने की अनुमति देते हैं. हालांकि, उस समय, खुर्शीद कसूरी (पाकिस्तानी राजनेता और लेखक जिन्होंने नवंबर 2002 से नवंबर 2007 के बीच पाकिस्तान के विदेश मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया था) विदेश मंत्री थे जिन्होंने मुझे सात शहरों का वीजा दिलाने में मदद की.
उन्होंने दावा किया कि वह कई मौकों पर भारत आए थे. ‘मुहम्मद हामिद अंसारी के उपराष्ट्रपति पद के समय मुझे भारत में आमंत्रित किया गया था.’ अंसारी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और रिटायर्ड राजनयिक हैं जो 2007 से 2017 तक भारत के 12वें उपराष्ट्रपति थे.
‘मैंने पांच बार भारत का दौरा किया है. मैंने दिल्ली, बंगलौर, चेन्नई, पटना और कोलकाता का भी दौरा किया है. 2011 में, मैं मिल्ली गेजेट के पब्लिशर जफरुल इस्लाम खान से भी मिला.’ जफरुल-इस्लाम खान दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं.
मिर्जा ने पाकिस्तानी सेना में नेतृत्व के साथ अपनी निराशा भी दर्ज की और कहा कि वे स्थिति पर विचार नहीं करते हैं और आमतौर पर विशेषज्ञों के काम की अनदेखी करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में समस्या क्या है? जब कोई नया प्रमुख आता है, तो वह पिछले प्रमुख द्वारा किए गए काम को मिटा देता है और एक नई शुरूआत करता है. खुर्शीद ने मुझसे कयानी (जनरल अशफाक परवेज कयानी, पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख) के साथ जो जानकारी साझा की थी, उसे सौंपने के लिए कहा था. मैंने कहा कि मैं उन्हें जानकारी नहीं दूंगा लेकिन अगर आप चाहते हैं तो मैं आपको जानकारी दे रहा हूं. उन्होंने इसे कयानी को सौंप दिया.’
मिर्जा ने कहा, ‘बाद में उन्होंने मुझे फोन किया और पूछा कि क्या मुझे इस तरह की और जानकारी मिल सकती है. मैंने उन्हें अपनी दी गई जानकारी पर काम करने के लिए कहा. उनके पास एक रिसर्च विंग है. उनके पास जानकारी है. वे भारत में नेतृत्व की कमजोरियों के बारे में जानते हैं लेकिन वे इसका इस्तेमाल न करें.’
भारत से उन्हें मिली खुफिया जानकारी को संभालने के लिए पाकिस्तान के ‘ढीले’ रवैये को जारी रखते हुए उन्होंने कहा, ‘जब से एफएटीएफ आया है, पाकिस्तान ने कोई गतिविधि नहीं की है. उसके हाथ बंधे हुए हैं.’ गौरतलब है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की टेरर फाइनेंस वॉचलिस्ट देश में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए मापदंडों को पूरा नहीं करने के लिए पाकिस्तान पर कड़ी नजर रखे हुए है.
मिर्जा ने कहा कि हालांकि उन्होंने पाकिस्तानी नेतृत्व को जानकारी दी लेकिन कई मुद्दों के कारण किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि मैं मानता हूं कि मैं विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन मैं उनकी (भारत की) संस्कृति को समझता हूं. मुझे उनकी कमजोरियों के बारे में पता है लेकिन समस्या यह है कि मैंने भारत के बारे में जो अनुभव हासिल किया है, उसका इस्तेमाल पाकिस्तान में अच्छे नेतृत्व की कमी के कारण नहीं हो रहा है.
‘मुझे पता है कि अलगाववादी आंदोलन कहां हो रहे हैं लेकिन कोई भी जानकारी का फायदा नहीं उठाना चाहता. अलगाववादी आंदोलन भारत के सभी क्षेत्रों में हो रहे हैं. इसमें कोई शक नहीं है. मैं कहता था कि 26 आंदोलन चल रहे थे, लेकिन अब किसी ने कहा ऐसे 67 आंदोलन हैं.’
मिर्जा सिंध के मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में भी काम कर चुके हैं. पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम खुद को अपनी पार्टी के भीतर एक नेता के रूप में स्थापित नहीं कर सके और पाकिस्तान ने विश्व पटल पर अपनी साख खो दी है.
अपने साक्षात्कार के दौरान, मिर्जा ने कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) परियोजनाओं को लेकर चीन इमरान खान से लगातार निराश होता जा रहा है.
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