इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बुधवार को काबुल में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद से अफगानिस्तान के पड़ोसियों की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक की मेजबानी करते हुए कहा कि भले ही युद्ध से थके हुए देश में स्थिति ‘जटिल और परिवर्तनशील’ है, उसकी ‘नई वास्तविकता’ को देखने के लिये दुनिया को अपना ‘पुराना नजरिया’ छोड़ना होगा और एक ‘यथार्थवादी दृष्टिकोण’ के साथ आगे बढ़ना होगा.
कुरैशी ने अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों- चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान- के विदेश मंत्रियों की पहली डिजिटल बैठक की अध्यक्षता करने के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट किए.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘अफगानिस्तान में स्थिति जटिल और परिवर्तनशील बनी हुई है. हमें उम्मीद है कि राजनीतिक स्थिति स्थिर हो जाएगी और जल्द ही स्थितियां सामान्य हो जाएंगी. नई वास्तविकता के लिए हमें पुराने नजरिये को त्यागने, नई अंतर्दृष्टि विकसित करने और यथार्थवादी/ व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है.’
यह बैठक तालिबान द्वारा मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व वाली एक कट्टरपंथी अंतरिम सरकार की घोषणा करने के एक दिन बाद हुई है. इसमें विद्रोही संगठन के प्रमुख सदस्यों के साथ सत्ता साझा की जा रही है और इस सरकार में आंतरिक मंत्री के तौर पर खूंखार हक्कानी नेटवर्क के विशेष रूप से वैश्विक आतंकवादी नामित शख्स को भी शामिल किया गया है.
उन्होंने कहा कि प्रयासों के केंद्र में अफगान लोगों की भलाई होनी चाहिए, जो 40 वर्षों से अधिक समय से संघर्ष के कारण भारी नुकसान झेल रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर मुख्य प्राथमिकताएं मानवीय संकट और आर्थिक मंदी को रोकने के लिए कदम उठाना है.’
उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि अफगानिस्तान में शांति से ‘सीमाओं को सुरक्षित करने, अफगान धरती से आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने, शरणार्थियों की उनकी भूमि पर सम्मानजनक वापसी की संभावनाएं, आर्थिक स्थिरता और जीवन स्तर में सुधार और संपर्क/अधिक क्षेत्रीय पारिस्थितिकी एकीकरण में मदद मिलेगी.’
उन्होंने अफगानिस्तान में उभरती स्थिति से निपटने के लिए क्षेत्रीय दृष्टिकोण के पाकिस्तान के प्रस्ताव पर सकारात्मक और रचनात्मक प्रतिक्रिया की सराहना भी की.
उन्होंने कहा, ‘इस बात पर और जोर नहीं दिया जा सकता कि इसके लिये अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ज्यादा भागीदारी की जरूरत है, खासतौर पर इस महत्वपूर्ण मोड़ पर. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए हमारी सामूहिक आवाज शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध अफगानिस्तान के हमारे संदेश को मजबूत करेगी.’