कराची, 13 मार्च (भाषा) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने तथा जाफर एक्सप्रेस अपहरण की घटना के बाद वहां के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए बृहस्पतिवार को अशांत बलूचिस्तान प्रांत का दौरा किया। ट्रेन के अपहरण की घटना में 21 नागरिक और चार सैनिक मारे गए थे।
शरीफ की यह यात्रा सुरक्षा बलों द्वारा मंगलवार को जाफर एक्सप्रेस का अपहरण करने वाले बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के सभी 33 उग्रवादियों को मार गिराने के एक दिन बाद हो रही है।
शरीफ के साथ उप प्रधानमंत्री मोहम्मद इसहाक डार, संघीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार, संघीय योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल, संघीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री नवाबजादा मीर खालिद मगसी और अन्य लोग भी आए हैं।
करीब 440 मुसाफिरों को लेकर क्वेटा से पेशावर जा रही ट्रेन पर गुडलार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाकों के पास एक सुरंग में बीएलए के उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। उन्होंने ट्रेन पर गोलीबारी की और यात्रियों को बंधक बना लिया, जिसके बाद सुरक्षा बलों को अभियान शुरू करना पड़ा जो दो दिनों तक चला।
अभियान के पूरा होने का ऐलान करते हुए इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने बुधवार को कहा कि सशस्त्र बलों ने उन उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई में हिस्सा लिया, जो ‘सैटेलाइट फोन के जरिए अफगानिस्तान में बैठे अपने मददगारों और मास्टरमाइंड के संपर्क में थे।’
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बृहस्पतिवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर घटना का “राजनीतिकरण” करने और सोशल मीडिया पर घटना को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया।
आसिफ ने कहा, ‘हमें राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर (ऐसे मौकों पर) राष्ट्रीय एकता प्रदर्शित करने की जरूरत है।’
आसिफ ने पीटीआई नीत पूर्व सरकार के उस फैसले की आलोचना की जिसमें प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के हजारों लड़ाकों को देश में स्थानांतरित किया गया था।
जाफर एक्सप्रेस को लेकर चलाए गए अभियान पर मंत्री ने कहा, ‘बहुत सारे लोग हताहत हो सकते थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों का सफाया कर दिया।’
मंत्री ने कहा, “ आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई एक बड़ी उपलब्धि है जिस पर पूरा देश गर्व कर सकता है। अगर पूरा देश इसी तरह हमारे सशस्त्र बलों के साथ गर्व से खड़ा हो, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम (आतंकवाद के खिलाफ) अपनी जंग में सफल होंगे।”
भाषा नोमान मनीषा
मनीषा
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