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गुरूवार, 5 जून, 2025
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पहलगाम हमले को लेकर भारत के विरोध के बीच पाकिस्तान को UNSC की आतंकवाद समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया

इस्लामाबाद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा इन पदों पर नियुक्त किया गया है. 1988 प्रतिबंध समिति, जिसकी अध्यक्षता पाकिस्तान को करनी है, तालिबान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों की देखरेख करती है.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1988 प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो तालिबान पर लगाए गए प्रतिबंधों की निगरानी करती है. यह पद 31 दिसंबर 2025 तक रहेगा. साथ ही, पाकिस्तान को काउंटर-टेररिज़्म कमेटी का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है. सुरक्षा परिषद इन नियुक्तियों को अपने मौजूदा सदस्य देशों की आपसी सहमति के आधार पर करती है.

पाकिस्तान को UNSC की इन समितियों में यह भूमिका उस समय मिली है जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 पर्यटकों और एक कश्मीरी नागरिक की मौत हुई थी. भारत का कहना है कि हमलावरों को पाकिस्तान में प्रशिक्षण और मदद मिली थी.

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी मिशन ने बुधवार को एक बयान में कहा, “एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम के तहत, पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की उस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है जो प्रस्ताव 1988 (2011) के तहत तालिबान पर लगे प्रतिबंधों को लागू करने की निगरानी करती है, साथ ही प्रस्ताव 1373 (2001) के तहत आतंकवाद विरोधी उपायों की निगरानी करने वाली काउंटर-टेररिज़्म कमेटी का उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया है.”

मिशन ने आगे कहा, “ये नियुक्तियां संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में पाकिस्तान की सक्रिय भूमिका और सुरक्षा परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में उसके रचनात्मक योगदान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हैं. साथ ही, ये पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी प्रयासों को भी स्वीकार करती हैं.”

सुरक्षा परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति स्थायी और अस्थायी सदस्य देशों के बीच आपसी सहमति के बाद करती है.

1988 प्रतिबंध समिति और काउंटर-टेररिज़्म कमेटी, दोनों यूएनएससी की सहायक इकाइयां हैं. सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्य हर साल इनमें सदस्य बनते हैं.

पाकिस्तान को 1 जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2026 की अवधि के लिए सुरक्षा परिषद में एक अस्थायी सीट मिली है.

भारत, खासतौर पर यूएनएससी के सदस्य देशों के साथ, पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अपना राजनयिक पक्ष लगातार रखता रहा है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान, चीन और सोमालिया को छोड़कर सभी सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों से बातचीत की और भारत का पक्ष सामने रखा. साथ ही, भारत सरकार ने संसद सदस्यों के नेतृत्व में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल सभी यूएनएससी सदस्य देशों की राजधानियों में भेजे, सिवाय पाकिस्तान और चीन के.

ये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल उन सदस्य देशों के पास भी गए जिन्हें 1 जनवरी 2026 से दो साल के लिए अस्थायी सदस्यता मिलेगी. 3 जून को चुने गए पांच देश हैं: बहरीन, कोलंबिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, लातविया और लाइबेरिया. ये देश मौजूदा अस्थायी सदस्य—अल्जीरिया, गुयाना, कोरिया गणराज्य, सिएरा लियोन और स्लोवेनिया—की जगह लेंगे.

ये दो बॉडी कौन सी हैं?

प्रतिबंध समिति की स्थापना 2011 में सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1988 के तहत की गई थी. इस समिति का काम तालिबान पर लगाए गए प्रतिबंधों की निगरानी करना है. यह समिति समय-समय पर प्रतिबंधित व्यक्तियों की सूची की समीक्षा करती है, जागरूकता कार्यक्रम चलाती है और प्रतिबंधों के पालन को लेकर सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट देती है.

प्रस्ताव 1988 के तहत जिन प्रतिबंधों की अनुमति दी गई है, उनमें संपत्ति जब्त करना, यात्रा प्रतिबंध और हथियारों पर रोक शामिल हैं. समिति की बैठकों की अध्यक्षता समिति का चेयरमैन करता है.

इस सहायक इकाई के नियमों में साफ लिखा है कि 1988 प्रतिबंध समिति के सभी फैसले आपसी सहमति से लिए जाते हैं. अगर सहमति नहीं बनती, तो मामला सुरक्षा परिषद के सामने रखा जा सकता है.

भारत 2021 और 2022 में इस समिति का चेयर था, जब वह यूएनएससी का अस्थायी सदस्य था. भारत ने 2022 में काउंटर-टेररिज़्म कमेटी की भी अध्यक्षता की थी.

यह पहली बार है जब इस्लामाबाद को 1988 प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता में वापसी की थी, जिसमें पाकिस्तान की परोक्ष भूमिका मानी जाती है, हालांकि दोनों के रिश्ते अब तनावपूर्ण हैं.

पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने घोषणा की कि वह अफगानिस्तान में तालिबान शासन के साथ अपने राजनयिक संबंधों को आगे बढ़ाएगा और काबुल स्थित अपने मिशन में एक राजदूत नियुक्त करेगा. पाकिस्तान ने यह कदम चीन के बाद उठाया है. यह फैसला चीन, पाकिस्तान और तालिबान नेताओं के बीच हुई त्रिपक्षीय बैठक के बाद लिया गया.

भारत तालिबान शासन को मान्यता नहीं देता, लेकिन काबुल में एक तकनीकी मिशन बनाए रखता है.

सुरक्षा परिषद ने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद प्रस्ताव 1373 के जरिए काउंटर-टेररिज़्म कमेटी की स्थापना की थी.

काउंटर-टेररिज़्म कमेटी, जिसे एग्ज़िक्युटिव डायरेक्टोरेट (CTED) सहायता प्रदान करता है, नीति निर्धारण और सदस्य देशों का दौरा करता है ताकि आतंकवाद से निपटने में मदद मिल सके। पाकिस्तान को इस समिति का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

अल्जीरिया को इस वर्ष के लिए इस समिति का चेयर नियुक्त किया गया है, जबकि फ्रांस और रूस इसके अन्य उपाध्यक्ष हैं.

वहीं, डेनमार्क को सुरक्षा परिषद की प्रभावशाली 1267 प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवंत (ISIL) पर प्रतिबंधों से जुड़ी है.

भारत के लिए 1267 समिति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा के कई आतंकियों, जिनमें जकी-उर-रहमान लखवी भी शामिल हैं, पर इस समिति के तहत प्रतिबंध लगाए गए हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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