लाहौर, पांच नवंबर (भाषा) पाकिस्तान की एक अदालत ने 2014 में वाघा सीमा पर हुए आत्मघाती हमले के तीन दोषियों की मौत की सजा और 300 साल की कैद की सजा रद्द कर दी है। इस हमले में 60 से अधिक लोग मारे गए थे। अदालत के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
न्यायमूर्ति सैयद शाहबाज अली रिजवी के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने दोषियों – हसीनुल्लाह हसीना, हबीबुल्लाह और सैयद जान उर्फ गजनी – की अपील स्वीकार कर ली और मंगलवार को उन्हें बरी कर दिया।
लाहौर की एक आतंकवाद-रोधी अदालत ने 2020 में प्रतिबंधित जमात-उल-अहरार के सदस्य माने जाने वाले तीनों व्यक्तियों को 2014 के वाघा सीमा बम विस्फोट में शामिल होने के लिए मौत की सजा और 300 साल कैद की सजा सुनाई थी। इस बम विस्फोट में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और 100 अन्य घायल हो गए थे।
हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित जुंदुल्लाह और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अलग हुए गुट जमात-उल-अहरार ने अलग-अलग ली थी।
अदालत के एक अधिकारी ने बताया, ‘लाहौर उच्च न्यायालय ने मंगलवार को तीनों दोषियों की मौत की सजा और 300 साल की कैद की सजा रद्द कर दी और उन्हें बरी करने का आदेश दिया।’
दोषियों पर आत्मघाती हमलावरों को सहायता प्रदान करने का आरोप लगाया गया था।
भाषा अमित पवनेश
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