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Thursday, 14 November, 2024
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राजनीतिक मसलों के लिए पाकिस्तानी सेना के पास वक्त नहीं: मेजर जनरल गफूर

‘आजादी मार्च’ कहे जा रहे प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने इमरान खान पर 2018 के आम चुनावों में धांधली करने का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफा मांगा है.

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इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सेना ने बुधवार को कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में बेहद व्यस्त है और उसके पास किसी राजनीतिक मुद्दे को देखने का वक्त नहीं है. सेना का स्पष्ट इशारा जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फज़ल के नेता मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व में चल रहे विशाल प्रदर्शन पर था. प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने समाचार चैनल ‘हम’ को दिए साक्षात्कार में यह बात कही. दरअसल, उनसे प्रश्न किया गया था कि क्या सेना प्रमुख मौलाना के प्रदर्शन में मध्यस्थता करेंगे.

पाकिस्तान ने बुधवार को कहा कि गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर करतारपुर गलियारा खुलने के बाद यहां आने वाले सिख श्रद्धालुओं को किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने की इजाजत नहीं होगी.

इमरान के इस्तीफे के लिए ‘आज़ादी मार्च’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की मांग करने वाले ‘आजादी मार्च’ का नेतृत्व कर रहे नेता एवं मौलाना फज़ल-उर-रहमान ने बुधवार को कहा कि यह विशाल धरना राष्ट्रीय जिम्मेदारी पूरी करने के लिए हो रहा है न कि ‘मुजरा’ करने के लिए.

रहमान ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई, तो निश्चित रूप से अराजकता फैलेगी. उन्होंने कहा कि अगर सरकार बीच का रास्ता ढूंढ़ना और गतिरोध तोड़ना चाहती है तो उसे विपक्षी दलों को अपने सुझाव देने चाहिए.

दक्षिणपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के नेता एक बड़े प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं जो बुधवार को छठे दिन भी जारी रहा.

‘आजादी मार्च’ कहे जा रहे इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने खान पर 2018 के आम चुनावों में धांधली करने का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफा मांगा है.


यह भी पढ़ें: पाक पीएम इमरान खान के इस्तीफे की मोहलत खत्म, मौलाना फजलुर रहमान ने दी देश में बंद की धमकी


रहमान ने कहा कि छह दिन से चल रहा सरकार विरोधी धरना राष्ट्रीय जिम्मेदारी पूरी करने के लिए हो रहा है और इसके लिए बहुत प्रयास किए गए हैं.

डॉन अखबार ने उनके हवाले से कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम यहां रोज रात को मुजरा करते हैं. यहां सम्मानजक लोग बैठे हैं. वे अय्याशी करने के लिए यहां नहीं आए हैं. मेरी शालीनता मुझे उन दृश्यों को दोहराने की अनुमति नहीं देती है, जो हम सभी इस्लामाबाद में देख चुके हैं.’

रहमान ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर मांगे नहीं मानी गई तो निश्चित रूप से अराजकता होगी.

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) समेत विपक्षी दलों ने भी सरकार विरोधी प्रदर्शन को समर्थन दिया है.

पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष चौधरी परवेज इलाही और पीएमएल-क्यू अध्यक्ष चौधरी शुजात हुसैन के साथ मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए रहमान ने कहा, ‘सकारात्मक जवाब की स्थिति अभी नहीं बनी है.’

डॉन अखबार ने उनके हवाले से कहा, ‘यह हर किसी का देश है, जब जहाज डूबता है तो हम सभी डूबते हैं. देश में अशांति है और यह हर किसी की जिम्मेदारी है कि इस अशांति को खत्म किया जाए.’

रहमान ने कहा कि अगर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार बीच का रास्ता ढूंढना चाहती है तो उसे सुझाव रखने चाहिए, फिर विपक्ष देखेगा.

उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने खुद स्वीकार किया है 95 फीसदी फॉर्म में हस्ताक्षर नहीं थे और पूछा कि क्यों संसदीय आयोग एक साल से सक्रिय नहीं था.

जेयूआई-एफ नेता ने कहा, ‘इमरान खान, जुल्फिकार अली भुट्टो से बड़ी शख्सियत नहीं हैं अगर वह दोबारा चुनाव करा सकते थे तो इमरान क्यों नहीं?’

इमारन खान की सबसे बड़ी चुनौती

राजधानी में हो रहा यह प्रदर्शन पिछले साल आम चुनाव जीतने के बाद से खान के सामने विपक्ष की पहली संयुक्त चुनौती है.


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प्रधानमंत्री ने बुधवार को प्रदर्शनकारियों की खैरियत को लेकर चिंताएं जतायी और अधिकारियों से प्रदर्शन स्थल का दौरा करने को कहा.

खान ने एक ट्वीट में कहा, ‘मैंने सीडीए अध्यक्ष को फौरन धरना स्थल पर जाकर मदद करने के निर्देश दिए हैं कि धरने में शामिल होने वाले लोगों को बारिश और बदलते मौसम के कारण किस सहायता की आवश्यकता है.’

उनकी यह टिप्पणी तब आयी है जब एक दिन पहले पाकिस्तान सरकार और विपक्षी नेताओं के बीच दूसरे दौर की वार्ता गतिरोध को तोड़ने में नाकाम रही. हालांकि खान ने कहा कि वह ‘आजादी मार्च’ के प्रदर्शनकारियों की सभी जायज मांगे मानने के लिए तैयार हैं.

रहमान का कहना है कि जब तक खान इस्तीफा नहीं दे देते तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.

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