नई दिल्ली: पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान के ग्वादर में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए 44 लाइट इन्फेंट्री का मुख्यालय शुरू करने की प्रक्रिया में लगी हुई है. चीन द्वारा चलाई जा रही 60 बिलियन डॉलर की लागत वाली चीन-पाकिस्तान-इकोनॉमिक कॉरिडोर की सुरक्षा को लेकर यह कदम उठाया जा रहा है.
चीन की तरफ से सीपीईसी की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की गई थी. बलूचिस्तानी प्रदर्शनकारी इस क्षेत्र में बन रही सड़कों, रेलवे प्रोजेक्ट और पाइपलाइन का विरोध कर रहे हैं. यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र से गुजर कर जाता है.
भारतीय रक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान क्षेत्र में नया डिविजन बनाना चीन की तरफ से बनाए गए दबाव का परिणाम है. चीन ने पाकिस्तान को इस क्षेत्र में काम कर रहे हजारों चीनी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी.
सूत्रों के अनुसार नया मुख्यालय इस क्षेत्र की सुरक्षा और सहयोग को सुनिश्चित करेगा. पाकिस्तान जानता है कि चीन द्वारा चलाए जा रहे किसी प्रोजेक्ट पर अगर हमला होता है तो देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. खासकर सेना को जिसे इस प्रोजेक्ट से सबसे ज्यादा फायदा मिलने वाला है.
इस प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. माना जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना के नेतृत्व करने वाले इसका फायदा उठा रहे हैं.
सीपीईसी प्रोजेक्ट का भारत विरोध करता आया है. चीन की यह योजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है इसलिए भारत इस योजना का विरोध कर रहा है.
यह भी पढ़ें : आज एफएटीएफ की बैठक में पता चलेगा क्या होगा पाकिस्तान का, मिलेगी क्लीन चिट या फिर होगा ब्लैक लिस्ट
10 सितंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा था, ‘भारत लगातार चीन और पाकिस्तान के इस प्रोजेक्ट पर चिंता जाहिर करता आया है. ये प्रोजेक्ट भारतीय क्षेत्र में चलाया जा रहा है जिसे पाकिस्तान ने 1947 में गलत तरीके से हथिया लिया था.’
कई हमलों के बाद चीन की चिंता बढ़ी
मई की शुरुआत में ग्वादर के 5 सितारा होटल में हुए हमले के बाद चीन की चिंता बढ़ने लगी थी. इस हमले में चीन के लोग टार्गेट पर थे जो होटल में रह रहे थे.
इसी साल अप्रैल में ग्वादर से आ रही एक बस पर हमला किया गया था. जिसमें 14 लोगों की मौत हुई थी. इस हमले में पाकिस्तानी सेना के लोग भी शामिल थे. इस मुद्दे को पाकिस्तानी मीडिया ने विस्तार से रिपोर्ट नहीं किया था. लेकिन बलूचिस्तान के एक्टिविस्टों का दावा है कि 14 पाकिस्तानी सेना के जवानों को बस से बाहर निकाल कर मारा गया था.
बलूच लिबरेशन आर्मी ने इन दोनों हमलों की जिम्मेदारी ली थी.
पाकिस्तान ने 2016 में सीपीईसी प्रोजेक्ट की सुरक्षा को लेकर स्पेशल सेक्योरिटी डिविजन का गठन किया गया था. तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ ने कहा था, ‘सेना इस क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर कुछ भी कर सकती है.’ सीपीईसी चीन की एक महत्वाकांक्षी योजना है जो एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ती है.
मई में चीन के उप-राष्ट्रपति वांग क्विशान ने पाकिस्तान का दौरा किया था. उन्होंने पाकिस्तान की सेना और प्रधानमंत्री इमरान खान से सीपीईसी प्रोजेक्ट की सुरक्षा को लेकर आश्वासन मांगा था. बीजिंग की विकास परियोजना को मजबूत करने के लिए और ग्वादर बंदरगाह की सुरक्षा को लेकर वांग ने सवाल उठाए था.
इस परियोजना की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टॉफ कमिटी के चैयरमेन की चीनी यात्रा के दौरान भी चर्चा हुई थी.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)