(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, एक जुलाई (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमला आर्थिक युद्ध का नया कृत्य था जिसका मकसद कश्मीर में पर्यटन खत्म करना था।
उन्होंने कहा कि भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि परमाणु ‘ब्लैकमेल’ की पाकिस्तान की नीति भारत को पड़ोसी देश से उत्पन्न आतंकवाद का जवाब देने से नहीं रोक पाएगी।
जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान से प्रेरित कई आतंकवादी हमले हुए हैं और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद देश में यही भावना है कि अब बहुत हो गया।
समाचार पत्रिका ‘न्यूजवीक’ के सीईओ देव प्रगाद के साथ मैनहट्टन में 9/11 स्मारक के पास वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थित प्रकाशन के मुख्यालय में आयोजित एक बातचीत के दौरान उन्होंने यह टिप्पणी की।
जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला ‘‘एक आर्थिक युद्ध का कृत्य था। इसका उद्देश्य कश्मीर में पर्यटन को तबाह करना था, जो वहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। इसका उद्देश्य धार्मिक हिंसा को भड़काना भी था क्योंकि लोगों को मारने से पहले उनसे उनके धर्म के बारे में पूछा गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने तय किया कि हम आतंकवादियों को दंडित किए बिना नहीं छोड़ सकते। वे सीमा के उस तरफ हैं और इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती, मुझे लगता है कि इस तरह के विचार को चुनौती देने की आवश्यकता है और हमने यही किया।’’
जयशंकर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं और मंगलवार को चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद ‘क्वाड’ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए वाशिंगटन डीसी जाएंगे। ‘क्वाड’ चार देशों – भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका का समूह है।
उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित ‘आतंकवाद की मानवीय कीमत’ (द ह्यूमन कॉस्ट ऑफ टेररिज्म) शीर्षक वाली एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करके की।
जयशंकर ने कहा कि भारत के खिलाफ हमलों को अंजाम देने वाले पाकिस्तान के आतंकवादी गुप्त रूप से काम नहीं करते हैं और इन आतंकी संगठनों के ‘‘पाकिस्तान के घनी आबादी वाले शहरों में कॉरपोरेट मुख्यालय सरीखे ठिकाने’’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि संगठन ‘ए’ और संगठन ‘बी’ का मुख्यालय क्या है और ये वे इमारतें, मुख्यालय हैं जिन्हें भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में नष्ट कर दिया।’’
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाने के लिए शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य पहलगाम हमले का बदला लेना था। पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे और पाकिस्तान के आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने जिम्मेदारी ली थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम बहुत स्पष्ट हैं कि आतंकवादियों को कोई छूट नहीं दी जाएगी। हम अब उन पर परोक्ष रूप से नहीं बल्कि सीधा सीधा हमला करेंगे और उस सरकार को नहीं बख्शेंगे जो उनका समर्थन, वित्तपोषण और कई तरीकों से उन्हें बढ़ावा देती है। परमाणु ‘ब्लैकमेल’ की नीति हमें जवाब देने से नहीं रोकेगी।’’
जयशंकर ने कहा कि ‘‘हम यह भी बहुत लंबे समय से सुनते आ रहे हैं’’ कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न देश हैं और ‘‘इसलिए कोई और शख्स आएगा और खौफनाक चीजें करेगा, लेकिन आप कुछ नहीं कर सकते क्योंकि इससे दुनिया चिंतित हो जाती है’’।
जयशंकर ने कहा, ‘‘अब हम इसके झांसे में नहीं आने वाले हैं। अगर वे आकर कुछ करेंगे तो हम वहां जाएंगे और जिन्होंने ऐसा किया है, उन्हें निशाना बनाएंगे। हम परमाणु ‘ब्लैकमेल’ के आगे नहीं झुकने वाले हैं, आतंकवादियों को कोई छूट नहीं मिलेगी, उनके छिप छिपकर हमलों को बख्शा नहीं जाएगा। हमें अपने लोगों की रक्षा के लिए जो करना है, करेंगे।’’
जयशंकर की इस टिप्पणी की वहां मौजूद लोगों ने तालियों के साथ सराहना की।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा किए गए हमलों सहित दुनिया भर में आतंकवादी हमलों के विनाशकारी प्रभावों को उजागर करने वाली प्रदर्शनी का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि ‘‘आतंकवाद वास्तव में सभी के लिए खतरा है, किसी भी देश को इसे अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने के साधन के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि आखिरकार यह सभी को नुकसान पहुंचाता है।’’
बातचीत के बाद प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान जयशंकर से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के बारे में पूछा गया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष को रोकने के लिए मध्यस्थता की और क्या इससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता प्रभावित हुई है। इस पर जयशंकर ने कहा, ‘‘नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। मुझे लगता है कि व्यापार से जुड़े लोग वही कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए। मुझे लगता है कि वे बहुत पेशेवर हैं और इस बारे में बहुत, बहुत केंद्रित हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत में इस बात पर राष्ट्रीय सहमति है कि ‘‘पाकिस्तान के साथ हमारा व्यवहार द्विपक्षीय’’ होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इस विशेष मामले में मैं आपको बता सकता हूं कि मैं उस कक्ष में मौजूद था जब उपराष्ट्रपति (जेडी) वेंस ने नौ मई की रात को प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी से बात की थी और कहा था कि अगर हमने कुछ बातें नहीं मानीं तो पाकिस्तान भारत पर बहुत बड़ा हमला करेगा।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री पाकिस्तानियों की धमकियों से प्रभावित नहीं हुए। इसके विपरीत उन्होंने संकेत दिया कि हमारी ओर से इसका जवाब दिया जाएगा। यह उससे एक रात पहले की बात है जब पाकिस्तानियों ने हम पर बड़े पैमाने पर हमले किए और हमने उसका बहुत तेजी से जवाब दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और… अगली सुबह मिस्टर (विदेश मंत्री मार्को) रुबियो ने मुझे फोन किया और कहा कि पाकिस्तानी बातचीत के लिए तैयार हैं। इसलिए मैं आपको केवल अपने व्यक्तिगत अनुभव से बता सकता हूं कि क्या हुआ। बाकी मैं आप पर छोड़ता हूं।’’
भाषा सुरभि वैभव
वैभव
वैभव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.