(सीमा हाकू काचरु)
ह्यूस्टन (अमेरिका), दो मई (भाषा) अमेरिका में रह रहे कश्मीरी हिंदू पहलगाम आतंकी हमले के बाद व्यापक जवाबदेही तय करने और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर जागरूकता पैदा किये जाने की मांग कर रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में अनंतनाग जिले के पहलगाम में पिछले हफ्ते मंगलवार को आतंकवादियों के हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे।
प्रवासी भारतीयों ने कहा कि 22 अप्रैल को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस की भारत यात्रा के दौरान हुए हमले ने सुरक्षा तैयारियों में चूक और कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के खतरों को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा की हैं।
प्रतिबंधित पाकिस्तानी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक छद्म समूह ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
‘इंडो-अमेरिकन कश्मीर फोरम’ (आईएकेएफ) के अंतरराष्ट्रीय समन्वयक डॉ. विजय साजवाल ने दावा किया कि इस हमले को रोका जा सकता था।
उन्होंने दावा किया, ‘‘हजारों पर्यटक प्रतिदिन इस मार्ग का उपयोग करते हैं, फिर भी हमले के दिन कोई सुरक्षा व्यवस्था नजर नहीं आई। एक उच्च-स्तरीय राजनयिक यात्रा के बावजूद, बुनियादी जोखिम आकलन को स्पष्ट रूप से नजरअंदाज कर दिया गया।’’
साजवाल ने कहा कि ध्यान अक्सर सीमा पार आतंकवाद पर होता है, लेकिन स्थानीय स्तर पर भी उन्हें (आतंकवादियों को) ऐसे लोगों से सहयोग मिलता है, जो चुपचाप आतंकवादी गतिविधियां जारी रखते हैं।
उन्होंने दावा किया कि ‘‘न्यायिक देरी और प्रशासनिक अक्षमताओं के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई बाधित हुई है।’’
पद्म श्री से सम्मानित और ओक्लाहोमा में रह रहे शिक्षाविद डॉ. सुभाष काक ने कहा कि पहलगाम हमला इस तथ्य को रेखांकित करता है कि पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध तोड़ना या व्यापार पर अंकुश लगाना भर ही पर्याप्त नहीं है।
ह्यूस्टन में रहने वाले कश्मीरी पंडित अमित रैना ने कहा, ‘‘कई लोगों के लिए, यह एक चौंकाने वाली घटना थी। हमारे लिए यह बार-बार आने वाले बुरे सपने जैसा है। अमरनाथ, वंधामा, नदीमर्ग जैसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाती हैं। हम अब भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं।’’
इस बीच, ‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा’ (जीकेपीडी) और उत्सव चक्रवर्ती के नेतृत्व वाले ‘हिंदूएक्शन’ पांच मई को वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी संसद की एक ब्रीफिंग की मेजबानी कर रहे हैं, जिसका शीर्षक ‘पाकिस्तान का हिंदुओं के खिलाफ छद्म युद्ध : वैश्विक प्रभाव’ रखा गया है।
हिंदूएक्शन के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने कहा कि इस हमले ने देश-विदेश में एक बड़े खतरे को प्रदर्शित किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल एक और आतंकी घटना नहीं है। यह एक सतत वैचारिक अभियान का हिस्सा है। अमेरिका और उसके सहयोगियों को पाकिस्तान द्वारा जिहादी समूहों को भू-राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल करने को गंभीरता से लेना चाहिए।’’
पहलगाम हमले की विश्व के नेताओं ने कड़ी निंदा की है। साथ ही, उन्होंने भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की।
इस आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के 50 से अधिक शहरों में स्मृति सभाएं और सामुदायिक प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश
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