नई दिल्ली: श्रीलंका अपनी कृषि नीतियों पर यू-टर्न जारी रखते हुए धान की खेती के लिए यूरिया खरीदने के उद्देश्य से भारत से 55 मिलियन डॉलर ऋण ले रहा है. यह फैसला राजपक्षे सरकार की तरफ से रासायनिक उर्वरकों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के एक साल बाद लिया गया है क्योंकि पूरी तरह से जैविक खेती अपनाने के प्रयास ने द्वीप राष्ट्र के किसानों को एक अभूतपूर्व संकट की स्थिति में ला दिया है.
श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने मंगलवार को इस संबंध में करार पर हस्ताक्षर के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसे प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने वित्त, आर्थिक स्थिरीकरण और राष्ट्रीय नीतियों के मामले के मंत्री के तौर पर पेश किया था.
इंपोर्ट-एक्सपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया (एक्जिम बैंक) के माध्यम से मुहैया कराए जाने वाले 55 मिलियन डॉलर (करीब 427.7 करोड़ रुपये) के ऋण का उपयोग 2022-23 फसल सीजन के लिए यूरिया की खरीद में किया जाएगा.
पिछले साल गोटाबाया राजपक्षे सरकार की तरफ से हर तरह के रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने और पूरी तरह जैविक खेती पर निर्भर होने का किसानों का गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ है, क्योंकि इससे देश को करीब 50 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ है. हालांकि, अब विक्रमसिंघे के सत्ता में आने के बाद पिछली सभी कृषि नीतियों को रद्द कर दिया गया है. उन्होंने अर्थव्यवस्था, खासकर कृषि क्षेत्र को फिर से पटरी पर लाने की योजना तैयार की है.
इस ऋण के अलावा, भारत श्रीलंका को 65,000 मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति भी करेगा ताकि खाद्य संकट में घिरे देश और किसानों की मदद की जा सके.
श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने रविवार को बताया, ‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने यूरिया की खेप दान किए जाने को मंजूरी दे दी है, जो मूलत: ओमान से सीधे श्रीलंका पहुंचा दी जाएगी.’
इससे पहले, श्रीलंका के कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा ने बढ़ते खाद्य संकट को दूर करने के लिए भारतीय उच्चायोग से मदद मांगी थी. इसी का नतीजा है कि यूरिया निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद भारत श्रीलंका को इसकी खेप भेज रहा है.
यूरिया की यह खेप भारत की तरफ से मौजूदा 1 अरब डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत दी जाएगी.
राहत अभियान
मंगलवार को राष्ट्र के नाम एक संबोधन में विक्रमसिंघे ने कहा, ‘भारत, चीन और जापान उन देशों की सूची में सबसे आगे हैं जो हमें ऋण और सहायता प्रदान करते हैं. इन देशों के साथ हमेशा मजबूत रहे संबंध अब टूटने लगे हैं. उन रिश्तों को फिर से प्रगाढ़ बनाने की जरूरत है.’
उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खाद्य पदार्थों का आयात करने की आवश्यकता है. इस पर हर महीने करीब 150 मिलियन डॉलर का खर्च आता है. कृषि क्षेत्र में गिरावट दूर करने के लिए हमें तत्काल काम करना होगा. हम अपनी फसलों के निर्यात का अंतरराष्ट्रीय बाजार खो रहे हैं.’
भारत ने अकेले इस साल श्रीलंका को 3.5 अरब डॉलर से अधिक का समर्थन दिया है ताकि यह अपनी मौजूदा कठिनाइयों से उबर सके. इसके अलावा, भारत ने भोजन और दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी को कम करने में भी सहायता प्रदान की है.
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