नई दिल्ली: अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन के साथ एक टेलीफोनिक बातचीत में बीजिंग ने एक बार फिर से अमेरिका द्वारा बढ़ावा दिए जा रहे इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटेजिक फ्रेमवर्क (हिन्द प्रशांत रणनीतिक सरंचना) की कड़ी आलोचना की और कहा कि इसे चीन पर लगाम कसने के लिए बनाया गया है.
ब्लिंकन ने रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव पर चर्चा करने के लिए चीनी विदेश मंत्री वांग यी को फोन किया था.
मंगलवार को फोन पर हुई इस बातचीत के दौरान, अमेरिका ने ‘यूक्रेन की संप्रभुता और इसकी क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया’.
एक ओर जहां अमेरिकी पक्ष ने इस फ़ोन कॉल का दो-पंक्ति वाला रीडआउट जारी किया, वहीं चीनी पक्ष ने कई बयान जारी किए जिनमें दोनों मंत्रियों के बीच की बातचीत का अधिक विस्तृत पेश किया गया है.
ब्लिंकन ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘मैंने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी के साथ बात की. मैंने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया.’
I spoke with People's Republic of China State Councilor and Foreign Minister Wang Yi. I underscored the need to preserve Ukraine’s sovereignty and territorial integrity.
— Secretary Antony Blinken (@SecBlinken) February 22, 2022
अमेरिकी विदेश मंत्रालय (डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट) ने इस फोन कॉल के रीडआउट में कहा कि ब्लिंकन और वांग यी ने ‘डीपीआरके (उत्तर कोरिया) में हो रहे घटनाक्रम और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता के बारे में बातें की. सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कायम रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया.‘
चीन के द्वारा जारी बयान भारत-प्रशांत रणनीति के खिलाफ काफी कठोर और मुखर थे. उनमें कहा गया है कि अमेरिका ने बीजिंग के साथ संबंध सहज बनाए रखने के अपने वादे को पूरा नहीं किया है और असलियत में वह चीन के खिलाफ और अधिक आक्रामक हो गया है.
चाइनीज स्टेट काउंसिल द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘वांग ने अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति की खिलाफ जोर देते हुए कहा है कि उसने सार्वजनिक रूप से चीन को एक शीर्ष क्षेत्रीय चुनौती के रूप में उद्धृत किया है, और चीन को घेरने की अमेरिकी क्षेत्रीय रणनीति में शामिल करने के लिए ताइवान का उपयोग करने कोशिश की है, जो स्पष्ट रूप से चीन की घेरेबंदी करने और उसे नियंत्रित करने का एक गलत संकेत भेज रहा है.‘
स्टेट काउंसिल के बयान में यह भी कहा गया है कि इसी फोन कॉल के दौरान, वांग ने ब्लिंकन से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा किए गए वादे पर कायम रहने और ‘उनके द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने’ का भी आग्रह किया.
बयान में कहा गया है, ‘वांग ने बताया कि चीन ने अमेरिकी पक्ष से राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया. साथ ही उन्होंने कहा कि आपके कहने और करने में काफी फर्क है, जो आप कहते हैं वो नहीं करते हैं.
चीनी विदेश मंत्री चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के बीच नवंबर 2021 में हुई उस शिखर बैठक का जिक्र कर रहे थे, जिसमें अमेरिका ने ‘वन चाइना‘ नीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी.
उस वक्त दोनों नेताओं ने भारत-प्रशांत रणनीति और इस क्षेत्र में ‘नेविगेशन (समुद्री परिवहन) की स्वतंत्रता और सुरक्षित ओवरफ्लाइट (किसी विमान द्वारा किसी विशेष क्षेत्र, खासकर किसी विदेशी क्षेत्र में, भरी गई उड़ान)’ के प्रति अमेरिका के अनुपालन पर भी चर्चा की थी.
चीनी स्टेट काउंसिल द्वारा मंगलवार को जारी बयान के अनुसार, चीन ने वाशिंगटन से यह भी कहा है कि वह अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर ‘कायम रहेगा’.
वांग ने यह भी आशा व्यक्त की कि अमेरिका भी ‘चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने की अपनी मूल आकांक्षा पर खरा उतरेगा, चीन के बारे में तर्कसंगत और व्यावहारिक धारणा पर वापस लौटेगा तथा संयुक्त रूप से काम करते हुए स्वस्थ और स्थिर विकास के हित में द्विपक्षीय संबंधों को सही रास्ते पर वापस लाएगा.’
स्टेट काउंसिल के बयान में दावा किया गया है, ‘ब्लिंकन ने अपनी तरफ से कहा कि जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने कई बार कहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका किसी नए शीत युद्ध या फिर चीन की व्यवस्था को बदलने की चाह नहीं रखता. साथ ही, उन्होंने कहा वह (अमेरिका) ताइवान की स्वतंत्रता का विरोध करता है और चीन के साथ किसी भी तरह के संघर्ष या टकराव का उसका कोई इरादा नहीं है.‘
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‘यूक्रेन के तनाव पर बारीक़ निगाह रख रहा है चीन’
रूस और यूक्रेन के बीच गहराते संकट पर चीन ने अमेरिका को सूचित किया कि वह इस सारे घटनाक्रम की ‘निगरानी’ कर रहा है.
भारत की तरह ही चीन ने भी सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है और मामले के कूटनीतिक समाधान की आवश्यकता पर बल दिया है. इसने मॉस्को द्वारा पूर्वी यूक्रेन में दो अलगाववादी क्षेत्रों, डोनेट्स्क और लुहान्स्क, को स्वतंत्र गणराज्यों के रूप में घोषित किए जाने पर भी चुप्पी साध रखी है. इस कदम ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा वहां अपने सैनिकों को भेजने की योजना का मार्ग प्रशस्त किया है, जिससे एक पूर्ण युद्ध भड़काने का डर पैदा हो गया है.
साथ ही, पुतिन का यह कदम अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया द्वारा रूस पर कई कड़े आर्थिक प्रतिबंधों को लगाए जाने का कारण भी बना है.
चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी एक अन्य बयान में कहा गया, ‘ब्लिंकन ने वांग यी को यूक्रेन की मौजूदा स्थिति के बारे में अमेरिकी विचारों और दृष्टिकोण से जुड़ी जानकारी दी. इस पर वांग यी ने कहा कि चीन यूक्रेन की स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है, और उन्होंने यूक्रेन के मुद्दे पर चीन के निरंतर एक जैसे दृष्टिकोण पर जोर दिया.’
इसमें कहा गया है, ‘उन्होंने कहा कि किसी भी देश की वैध सुरक्षा संबंधी चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों को बरकरार रखा जाना चाहिए.’
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘यूक्रेन मुद्दे पर जो कुछ हुआ है, उसका मिन्स्क- II समझौतों के प्रभावी कार्यान्वयन में हुई ‘लंबी’ देरी से बहुत कुछ संबंध है. चीन सभी पक्षों के साथ इस ‘मामले’ के ‘गुण दोष’ के अनुसार व्यवहार करना जारी रखेगा.
इसने कहा, ‘यूक्रेन में स्थिति बिगड़ती जा रही है. चीन एक बार फिर सभी पक्षों से संयम बरतने, अविभाज्य सुरक्षा (इंडीविजिबल सिक्योरिटी) के सिद्धांत को लागू करने के महत्व की कद्र करने और आपसी संवाद और बातचीत के माध्यम से मतभेदों को हल करके तनावपूर्ण स्थिति को कम करने का आह्वान करता है.‘
मिन्स्क I और II समझौते, जिन्हें 2014 और 2015 में फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता द्वारा संभव बनाया गया था, यूरोप में बड़े पैमाने पर संघर्ष से बचने के लिए एक राजनयिक समाधान की रुपरेखा निर्धारित करते हैं. ये समझौते रूसी सेना द्वारा यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र पर हमला करने और उन पर क़ब्जा करने के बाद किए गए थे.
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