(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, 15 अप्रैल (भाषा) सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त डॉ. शिल्पक अंबुले ने सोमवार को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की जयंती पर आयोजित समारोह के दौरान कहा कि नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) भारत-सिंगापुर संबंधों में एक महत्वपूर्ण हितधारक है और द्विपक्षीय संबंधों में आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में भारत के लिए एक मूल्यवान साझेदार है।
एनयूएस के छात्रों और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए राजदूत ने कहा, ‘‘भारत-सिंगापुर संबंधों में एनयूएस एक महत्वपूर्ण हितधारक है और द्विपक्षीय संबंधों में आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में हमारे लिए एक मूल्यवान भागीदार है। हमें खुशी है कि इस आयोजन के लिए एनयूएस के साथ काम करने का अवसर मिला।’’
डॉ. अंबुले ने कहा कि साझा इतिहास, विश्वास और आपसी सम्मान पर आधारित मित्रता की लंबी परंपरा और कई क्षेत्रों में व्यापक सहयोग के साथ भारत-सिंगापुर सहयोग पिछले कुछ वर्षों में प्रगाढ़ हुआ है और सहयोग का दायरा विविध क्षेत्रों में बढ़ा है।
सिंगापुर में भारतीय उच्चायोग ने एनयूएस के सहयोग से सोमवार को आंबेडकर की जयंती मनाई।
राजदूत ने कहा, ‘‘भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाना एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब भारत स्वतंत्र हुआ तो दुनिया भारत के भविष्य पर संदेह करने वालों से भरी थी।’’
उन्होंने छात्रों से कहा, ‘‘भारतीय संविधान द्वारा प्रदान की गई शासन व्यवस्था ने हमें ऐसे आलोचकों को चुनौती देने और उन्हें हराने में मदद की है। आज, हम अपनी उपलब्धियों पर गर्व करते हैं, अपनी ताकत को लेकर आश्वस्त हैं और अपने भविष्य के प्रति आशावादी हैं, जिसका श्रेय हमारे संविधान द्वारा रखी गई ठोस नींव को जाता है।’’
उच्चायुक्त ने छात्रों से कार्यक्रम में प्रदर्शित प्रदर्शनी को देखने का आह्वान किया।
एनयूएस के विधि संकाय के डॉ. सबरीश सुरेश ने भारतीय संविधान के प्रारूप तैयार करने में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के योगदान और अन्य संविधानों पर इसके प्रभाव पर बात की।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सिंगापुर के संविधान में निहित मौलिक स्वतंत्रताएं भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के समान हैं।
डॉ. सुरेश ने बताया कि सिंगापुर के संविधान ने इन मौलिक स्वतंत्रताओं को मलेशिया के संघीय संविधान से लिया है और मलेशिया के संविधान में मौलिक स्वतंत्रता का प्रावधान भारतीय संविधान से प्रेरित है।
सिंगापुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की डॉ. प्रिया जरादी ने ‘कलाकृति और कलाकृति के रूप में भारतीय संविधान’ पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने दस्तावेज में कलाकृतियों के बारे में विस्तार से बताया।
भाषा सुरभि मनीषा
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