नई दिल्ली : भारतीय मूल के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी, एस्तर डफ्लो और माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र के 2019 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा सोमवार को की गई. तीनों अर्थशास्त्रियों को वैश्विक गरीबी खत्म करने के उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए सोमवार को नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.
इस्थर डुफलो अभिजीत बनर्जी की पत्नी है. दोनों लोगों को संयुक्त रूप से इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है.
यहां जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बनर्जी का जन्म 1961 में मुंबई में हुआ था. उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है. वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं.
बयान में कहा गया है कि 1972 में जन्मी डफ्लो सबसे कम उम्र की और दूसरी ऐसी महिला हैं, जिन्हें आर्थिक क्षेत्र में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
BREAKING NEWS:
The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrize pic.twitter.com/SuJfPoRe2N— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 14, 2019
इन तीनों लोगों को ‘एक्सपेरिमेंटल एप्रोच टू एलिवेटिंग ग्लोबल पोवर्टी के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.’
नोबेल कमिटी के अनुसार, इस रिसर्च से वैश्विक गरीबी से निपटने में मदद मिलेगी.
द रोएल स्वेडिश एकेडमी ऑप साइंस 1901 से अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दे रही है.
द नोबेल प्राइज ने ट्वीट किया कि ग्लोबल पावर्टी के विषय में काम करने के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है.
नोबेल पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिया जाता है. मेडिसिन, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के लिए विशेष काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाता है.
अर्थशास्त्र के लिए इससे पहले भारतीय मूल के अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार दिया गया था. वर्ष 1998 में सेन को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था.